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अमेरिका से वार्ता के बीच भारत ने कहा, चीन के साथ सैन्य वार्ता में कोई बाहरी मुद्दा नहीं

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सभी देशों में शांति स्थिरता और खुशहाली चाहते हैं। यह तभी संभव है जब सभी देश अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का पालन करें अंतरराष्ट्रीय जल सीमा में बेरोकटोक आवाजाही होने दें दूसरे देशों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 30 Oct 2020 06:15 AM (IST)Updated: Fri, 30 Oct 2020 06:15 AM (IST)
अमेरिका से वार्ता के बीच भारत ने कहा, चीन के साथ सैन्य वार्ता में कोई बाहरी मुद्दा नहीं
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्‍तव (एएनआइ)।

नई दिल्ली, प्रेट्र। भारत ने गुरुवार को स्पष्ट किया कि सीमा विवाद को लेकर चीन के साथ हो रही उसकी वार्ताओं का किसी बाहरी मुद्दे से संबंध नहीं है। हाल ही में अमेरिका के साथ हुई टू प्लस टू वार्ता के दौरान दोनों देशों ने पूर्वी लद्दाख में चीनी सैनिकों की घुसपैठ पर चर्चा की थी। भारत ने उसी परिप्रेक्ष्य में यह टिप्पणी की है। चीन के साथ कोर कमांडर स्तर की अगले दौर की वार्ता के संबंध में जानकारी देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि सीमा पर तनाव कम करने के लिए दोनों पक्ष सैन्य और कूटनीतिक चैनलों के जरिए बातचीत से जल्द से जल्द समाधान निकालने पर सहमत हैं। 

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टू प्लस टू बातचीत का भारत-चीन वार्ता पर असर पड़ने के आसार नहीं : प्रवक्ता 

उन्होंने कहा कि मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि चीन के साथ चल रही वार्ताओं का किसी बाहरी मुद्दे का संबंध नहीं है। प्रवक्ता ने यह जवाब उस सवाल पर दिया जिसमें पूछा गया था कि अमेरिका के साथ टू प्लस टू वार्ता में बेसिक एक्सचेंज एंड कॉओपरेशन फॉर जिओ स्पैटिएल कोआपरेशन (बीका) समझौता होने के बाद क्या चीन ने सैन्य वार्ता विलंबित कर दी है। उल्लेखनीय है बीका समझौते के तहत अमेरिका भारत को उच्च स्तरीय सैन्य तकनीक देने को राजी हो गया है जिसे अब तक उसने केवल गिने-चुने देशों को ही दिया है। टू प्लस टू वार्ता के संदर्भ में विदेश मंत्री ने कहा था कि हमारी बातचीत में हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर विशेष फोकस रहा। 

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने गुरुवार को कमोवेश यही दोहराते हुए कहा कि हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र के सभी देशों में शांति, स्थिरता और खुशहाली चाहते हैं। यह तभी संभव है जब सभी देश नियम आधारित अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था का पालन करें, अंतरराष्ट्रीय जल सीमा में बेरोकटोक आवाजाही होने दें, दूसरे देशों की क्षेत्रीय अखंडता का सम्मान करें और मुक्त संपर्क को बढ़ावा दें। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि टू प्लस टू वार्ता के दौरान पूर्वी लद्दाख और हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की दादागीरी का मामला उठा था और अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने भारत की रक्षा के लिए किए जा रहे प्रयासों को अपने देश का समर्थन देने की बात कही थी। 

इस पर चीन ने प्रतिक्रिया देते हुए पोंपियो से चीन के पड़ोसी देशों से वैमनस्य पैदा न करने को कहा था। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने 12 अक्टूबर को चीन के साथ हुई पिछली कोर कमांडर स्तर की वार्ता का जिक्र करते हुए कहा कि इससे दोनों पक्षों के बीच इस विषय पर एक दूसरे की स्थिति समझने में सहूलियत हुई। दोनों पक्ष अपने नेताओं के बीच बनी इस सहमति कि किसी असहमति को बड़े विवाद में नहीं बदलने देंगे, को लागू करने पर राजी हुए। साथ ही सीमा पर शांति सद्भाव बनाए रखने को मिलकर काम करेंगे।

इसी के तहत हम आपस में संवाद कायम रखते हुए वास्तविक नियंत्रण रेखा पर शांति बनाए हुए हैं। उल्लेखनीय है सीमा विवाद के समाधान के लिए दोनों देशों के बीच अब तक उच्च स्तरीय वार्ताओं के सात दौर हो चुके हैं लेकिन मामले का कोई हल नहीं निकल सका है। 

 

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