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LAC पर जारी है सीमा विवाद: विदेश मंत्रालय ने मांगे चीनी विशेषज्ञ, चाहिए- सेवानिवृत्त संयुक्त सचिव या मेजर जनरल रैंक के अधिकारी

चीन के साथ भारतीय सीमा एलएसी पर जारी विवाद के बीच विदेश मंत्रालय की ओर से विशेष परियोजनाओं और शोध के लिए चीन से विशेषज्ञ मंगाए जाने का फैसला लिया गया है। मंत्रालय ने सेवानिवृत्त संयुक्त सचिव और मेजर जनरल स्तर के अधिकारी की मांग की है।

By Monika MinalEdited By: Published: Wed, 03 Nov 2021 11:57 PM (IST)Updated: Wed, 03 Nov 2021 11:57 PM (IST)
LAC पर जारी है सीमा विवाद: विदेश मंत्रालय ने मांगे चीनी विशेषज्ञ, चाहिए- सेवानिवृत्त संयुक्त सचिव  या मेजर जनरल रैंक के अधिकारी
एलएसी पर सीमा विवाद के बीच विदेश मंत्रालय ने मांगे चीनी विशेषज्ञ

नई दिल्ली, आइएएनएस। भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के बीच विदेश मंत्रालय ने विशेष परियोजनाओं और शोध के लिए चीन से विशेषज्ञों की मांग की है। ये विशेषज्ञ सेवानिवृत्त संयुक्त सचिव और मेजर जनरल रैंक के अधिकारी होने चाहिए। ये विशेषज्ञ मंत्रालय के समकालीन चीन अध्ययन केंद्र प्रभाग में काम करेंगे।

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विदेश मंत्रालय को एक विशेषज्ञ विशेष परियोजनाओं के लिए चाहिए और दूसरा शोध के लिए। विशेष परियोजनाओं के लिए मंत्रालय को मेजर जनरल रैंक का सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी चाहिए और शोध के लिए मंत्रालय को संयुक्त सचिव स्तर का सेवानिवृत्त अधिकारी या मेजर जनरल रैंक का सेवानिवृत्त सैन्य अधिकारी चाहिए। मंत्रालय का कहना है कि इन विशेषज्ञों को भारत-चीन संबंधों समेत चीन और चीन से जुड़े मुद्दों की जानकारी होनी चाहिए। साथ ही उन्हें चीन की व्यवस्था के साथ काम करने या उनसे वार्ता का अनुभव होना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि उन्हें चीनी भाषा के ज्ञान के साथ चीन में रहने या चीन में काम करने का अनुभव भी होना चाहिए।

पिछले साल मई से चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर एकपक्षीय बदलाव कर रहा है और उभरते खतरे से निपटने के लिए भारत ने सुरक्षा और तंत्र में सुधार किया है। दो हफ्ते पहले चीन ने जमीनी सीमा कानून पर एक विधेयक लाने का एकपक्षीय फैसला लिया था। भारत ने साफ कहा कि चीन के फैसले का सीमा प्रबंधन पर वर्तमान द्विपक्षीय प्रबंध पर असर पड़ सकता है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची का कहना था, हमने इस बात पर संज्ञान लिया है कि चीन ने 23 अक्टूबर, 2021 को एक नया जमीनी सीमा कानून पारित किया है। यह कानून अन्य चीजों के अलावा यह भी कहता है कि जमीनी सीमा मामलों पर दूसरे देशों के साथ किए गए समझौता का पालन करता है। इसमें सीमाई इलाकों में जिलों का पुनर्गठन करने का भी प्रविधान है।


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