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आइटी पेशेवरों का टूटता दिख रहा अमेरिकी सपना, भारत की दिग्‍गज कंपनियों के कामकाज पर भी पड़ेगा असर

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के दूसरे देशों से आने वाले पेशेवरों व कामगारों पर 60 दिनों के लिए अस्थायी रोक लगाने के फैसले से सबसे ज्यादा असर भारतीय पेशेवरों पर पड़ने की उम्मीद है।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 22 Apr 2020 09:48 PM (IST)Updated: Wed, 22 Apr 2020 09:48 PM (IST)
आइटी पेशेवरों का टूटता दिख रहा अमेरिकी सपना, भारत की दिग्‍गज कंपनियों के कामकाज पर भी पड़ेगा असर
आइटी पेशेवरों का टूटता दिख रहा अमेरिकी सपना, भारत की दिग्‍गज कंपनियों के कामकाज पर भी पड़ेगा असर

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को अपनी मंशा साफ कर दी है कि वह दूसरे देशों से रोजगार के लिए आने वाले पेशेवरों व कामगारों पर 60 दिनों के लिए अस्थायी रोक लगाने जा रहे हैं। बुधवार को वह शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर भी कर देंगे जो बाहरी कामगारों के प्रवेश को रोकने के साथ ही प्रतिष्ठित एच1बी वीजा प्राप्त पेशेवरों के लिए ग्रीन कार्ड लेने के रास्ते भी फिलहाल बंद कर देगा।

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सबसे ज्यादा असर भारतीय पेशेवरों पर पड़ने की उम्मीद

राष्ट्रपति के इस फैसले से ज्यादा असर भारतीय पेशेवरों पर पड़ने की उम्मीद है। अमेरिकी सीनेटर डिक डर्बिन की तरफ से ग्रीन कार्ड देने के मौजूदा नियमों में भारी बदलाव के लिए प्रस्तावित एस 386 संशोधन को लेकर भारतीय समुदाय पहले से ही डरा हुआ है, अब राष्ट्रपति के इस कदम से उनका अमेरिकी ड्रीम बिखरता दिख रहा है। सैकड़ों भारतीयों ने तमाम सोशल साइट्स पर दुख को जगजाहिर भी किया है। 

ट्रंप की नई नीति के साथ ही सीनेटर डिक डर्बिन के नये कानूनी संशोधन को लेकर भी चिंता 

उधर, विदेश मंत्रालय हालात पर नजर रखे हुए है। बताया गया है कि एक बार ट्रंप प्रशासन की तरफ से इस बारे में दिशा-निर्देश आने के बाद भारत की तरफ से प्रतिक्रिया जताई जाएगी। वैसे दोनो देशों के बीच होने वाली हर स्तर की बातचीत में अमेरिका में वर्किंग वीजा पर जाने वाले प्रोफेशनल्स का मुद्दा उठता रहा है। घरेलू इंफॉरमेशन टेक्नोलोजी कंपनियां भी ट्रंप प्रशासन के नए नियम के ऐलान होने की घोषणा कर रही हैं।

भारतीय कंपनियों का कामकाज हो सकता है चौपट 

दिग्गज आईटी कंपनियों जैसे इंफोसिस, विप्रो, टीसीएस आदि के विदेशों से होने वाले राजस्व में बड़ी हिस्सेदारी अमेरिकी बाजार की होती है। ट्रंप प्रशासन का कदम इन सभी के कारोबार को चौपट कर सकती है। अभी तकरीबन 100 भारतीय कंपनियां अमेरिका में काम करती हैं। इनके लिए प्रतिष्ठित एच1बी वीजा का काफी महत्व है। इस बात की पूरी संभावना है कि भारत एक बार फिर आधिकारिक स्तर पर इस मुद्दे को उठाएगा। 

अमेरिका में नागरिकता लेना होगा मुश्किल 

भारतीय पेशेवरों के सामने सिर्फ ट्रंप का यह नया नियम ही रोड़ा नहीं है बल्कि सीनेटर डर्बिन की तरफ से सीनेट में पेश एस386 संशोधन की तलवार भी लटक रही है। इससे वहां की नागरिकता लेना और मुश्किल कर देगा। माना जा रहा है कि अगले कुछ महीनों बाद ही वहां होने वाले राष्ट्रपति चुनाव को देखते हुए विदशी कामगारों को वीजा देने के मामले को तूल दिया जाता रहेगा। वर्ष 2016 के राष्‍ट्रपति चुनाव में भी राष्ट्रपति ट्रंप ने इसे खूब उछाला था। 

भारतीय पेशेवरों ने अपना दर्द कुछ यूं बयां किया 

सोशल साइट्स पर अमेरिकी वीजा का इंतजार कर रहींं प्रियंका नागर ने कहा कि उनके पति व बेटी अमेरिका मे हैं जबकि वह इस समय वीजा को रिन्यू कराने के उद्देश्य से भारत में हैं। अह वीजा पर ही प्रतिबंध लग रहा है तो वह भविष्य को लेकर अनिश्चित हैं।

धवल बाबू ने ट्विटर पर कहा कि वह भी भारत में जनवरी से अमेरिकी वीजा का इंतजार कर रहे हैं। अमेरिकी कंपनी में कार्यरत बाबू को अभी तक समय पर वीजा मिल जाता था, लेकिन अभी तीन महीने बीतने के बावजूद रोक कर रखा गया है। नए नियम में हो सकता है उन्हें इसके काबिल ही नहीं माना जाए। मल्लिकार्जुन ने लिखा है कि वर्ष 2008 से वह अमेरिका में कार्यरत हैं व वर्ष 2010 से ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं। नया नियम इनके सपनों को भी तोड़ सकता है।


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