सुलभ का काम देख हैरान रह गए अमेरिकी शिक्षाविद
सुलभ का काम देख हैरान रह गए अमेरिकी शिक्षाविद , गांधी के जीवन दर्शन व कार्यो को देखने समझने निकला है यह दल।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। शांति के तीर्थ यात्री के तौर पर भारत आए अमेरिका के शिक्षाविद उस समय हैरान रह गए, जब उन्होंने यहां सुलभ ग्राम का दौरा किया। दुनिया को उदारीकरण का पाठ पढ़ाने वाले देश अमेरिका के ये शिक्षाविद् महात्मा गांधी के जीवन दर्शन और कायरें को देखने के लिए भारत की यात्रा पर हैं। भारत में उनका दिल्ली के अलावा गांधी के आश्रम के लिए मशहूर सेवाग्राम, वर्धा, मुंबई के साथ ही गांधी जी से जुड़ी तमाम जगहों पर जाने का भी कार्यक्त्रम हैं।
अमेरिका के कार्डिनल स्टि्रक यूनिवर्सिटी से जुड़े ये शिक्षाविद् सवेंट्र लीडरशिप प्रोग्राम के तहत सुलभ ग्राम पहुंचे तो वहां डॉक्टर बिंदेश्र्वर पाठक के कराये कायरें को देखकर चकित रह गए। सुलभ संस्थापक डॉक्टर बिंदेश्र्वर पाठक के सुधार और स्वच्छता कार्यक्रम को देखकर उन्होंने कहा कि डॉक्टर पाठक के काम के जरिए ना सिर्फ महात्मा गांधी, बल्कि शांति की अवधारणा को भी समझा जा सकता है। सुलभ के संग्रहालय मध्य काल से लेकर अब तक के विभिन्न मॉडलों के शौचालयों को देख अमेरिकी शिक्षाविदों के इस समूह की आंखें फटी रह गईं।
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संग्रहालय देखने के बाद इन शिक्षाविदों ने सुलभ परिवार की सामूहिक प्रार्थना में भी हिस्सा लिया। अमेरिका की कार्डिनल स्टि्रक यूनिवर्सिटी के जिस सवेंट्र लीडरशिप कार्यक्त्रम के तहत ये शिक्षाविद भारत आए हैं, उसका मकसद नेतृत्व में यह भाव जगाना है कि नेतृत्व भी सेवक पहले है। इस समूह में शामिल प्रोफेसर नैन्सी स्टैनफोर्ड ब्लेयर ने इस मौके पर कहा कि डॉक्टर पाठक का काम उनके उदाहरण योग्य किए गए काम में पूरी तरह रूपायित होता है।
इस मौके पर सर्व सेवा संघ के सचिव जीवीवीएसडीएस प्रसाद भी मौजूद थे। उन्होंने अछूत लोगों के उद्धार के लिए किए जा रहे डॉक्टर बिंदेश्र्वर पाठक के काम की जमकर सराहना की। प्रसाद ने कहा कि डॉक्टर पाठक ने अपने काम के जरिए महात्मा गांधी के सपने को सही मायने में साकार किया है।
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सुलभ ग्राम में अमेरिकी प्रतिनिधि मंडल का स्वागत करते हुए सुलभ संस्थापक डॉक्टर पाठक ने गांधी जी के कायरें और सिद्धांतों पर जोर देते हुए कहा कि सवेंट्र लीडरशिप कार्यक्त्रम गांधी जी के सिद्धांतों को समझने में न सिर्फ मददगार होगा, बल्कि उनकी सोच को उनके बताए गए कायरें में लागू करने में भी सहायक होगा। डॉक्टर पाठक ने कहा कि सरकार को भी सवेंट्र लीडरशिप यानी नेतृत्व भी सेवक के सिद्धांत के मुताबिक काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि गांधी का सिद्धांत भी यही है।
गांधी जी का खानपान, कपड़े पहने का तरीका और जीवन शैली सब आम लोगों की तरह इसी वजह से थी। उनका भरोसा आम लोगों की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में भी था। डॉक्टर पाठक ने कहा कि उन्होंने भी खुद गांधी जी के ही सिद्धांतों पर चलते हुए उन्हीं की तरह काम किया और अहिंसा के जरिए सामाजिक बदलाव लाने की कोशिश की है।