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राफेल डील पर फ्रांस के राजदूत का बड़ा बयान, कहा- तथ्यों को देखिए लोगों के ट्वीट्स नहीं

राफेल डील पर चल रहे विवाद पर भारत में फ्रांस के राजदूत एलेग्जैंडर जिगलर ने कहा है कि इस मुद्दे पर मेरा जवाब बहुत छोटा-सा है।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 29 Nov 2018 11:16 AM (IST)Updated: Thu, 29 Nov 2018 11:24 AM (IST)
राफेल डील पर फ्रांस के राजदूत का बड़ा बयान, कहा- तथ्यों को देखिए लोगों के ट्वीट्स नहीं
राफेल डील पर फ्रांस के राजदूत का बड़ा बयान, कहा- तथ्यों को देखिए लोगों के ट्वीट्स नहीं

नई दिल्‍ली, एएनआइ। राफेल सौदे पर देश में सियासी घमासान जारी है। इस बीच राफेल डील पर चल रहे विवाद पर भारत में फ्रांस के राजदूत एलेग्जैंडर जिगलर ने कहा है कि इस मुद्दे पर मेरा जवाब बहुत छोटा-सा है। आप सिर्फ तथ्यों को देखिए लोगों के ट्वीट्स नहीं।

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दरसअल, राफेल सौदे पर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमला जारी है। मिजोरम में चुनावी सभा में उन्होंने प्रधानमंत्री पर रिलायंस कंपनी के अनिल अंबानी की मदद के लिए 30 हजार करोड़ रुपये देने का आरोप दोहराया। उन्होंने कहा कि यह रकम देश में मनरेगा योजना के एक साल खर्चे के बराबर है। कांग्रेस अध्यक्ष ने मोदी सरकार पर सीबीआइ और चुनाव आयोग जैसी सरकारी संस्थाओं के कामकाज में हस्तक्षेप करने का भी आरोप लगाया।

Rafel Fighter Jet

 कब-कब क्‍या हुआ...

28 अगस्त 2007: रक्षा मंत्रालय ने 126 मीडियम मल्टी रोल कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (एमएमआरटीए) खरीदने का प्रस्ताव सरकार को भेजा।

4 सितंबर 2008: मुकेश अंबानी के नेतृत्व वाले रिलायंस ग्रुप ने रिलायंस एयरोस्पेस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड के नाम से एक नई कंपनी बनाई।

मई 2011: वायु सेना ने राफेल और यूरो फाइटर जेट के विमानों को खरीदने के लिए चुना।

30 जनवरी 2012: सबसे कम कीमत पर विमान उपलब्ध कराने की बोली के चलते दासौ एविएशन के राफेल विमान को खरीदने की मंजूरी दी गई। शर्तों के मुताबिक भारत को 126 लड़ाकू विमान खरीदने थे। इनमें से 18 लड़ाकू विमान तैयार हालत में देने की बात हुई थी।

13 मार्च 2014: बाकी बचे 108 विमान बनाने के लिए एचएएल और दासौ एविएशन के बीच समझौता हुआ।

8 अगस्त 2014: इसके बाद भाजपा नीति गठबंधन सरकार केंद्र में सत्ता में आया। उस समय रक्षा मंत्री रहे अरुण जेटली ने संसद को बताया कि समझौते के तीन से चार साल के अंदर देश को 18 तैयार लड़ाकू विमान मिलेंगे जबकि बाकी के 108 विमान सात सालों में क्रमबद्ध तरीके से दिए जाएंगे।

8 अप्रैल 2014: उस समय के विदेश सचिव ने कहा कि सौदे पर दासौ, रक्षा मंत्रालय और एचएएल के बीच विस्तृत बातचीत जारी है।

10 अप्रैल 2014: 36 तैयार लड़ाकू विमान खरीदने के सौदे की घोषणा की गई।

26 जनवरी 2016: भारत और फ्रांस के बीच 36 राफेल लड़ाकू विमानों को खरीदने के संबंध में एमओयू पर हस्ताक्षर हुए।

18 नवंबर 2016: सरकार ने संसद में बताया कि प्रत्येक राफेल विमान की कीमत 670 करोड़ रुपये है और इन्हें अप्रैल 2022 तक चरणबद्ध तरीके से दिया जाएगा।

31 दिसंबर 2016: दासौ एविएशन की वार्षिक रिपोर्ट से पता चला कि भारत सरकार 36 लड़ाकू विमानों के लिए जो कीमत दे रही है वह वास्तव में 60,000 करोड़ रुपये है। यह कीमत सरकार द्वारा संसद में बताई गई कीमत से लगभग दोगुनी थी।

13 मार्च 2018: केंद्र के राफेल लड़ाकू विमानों के खरीद के संबंध में स्वतंत्र जांच कराने की मांग के संबंध में सुप्रीम कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई। साथ ही संसद में इसकी कीमत बताने की भी मांग रखी गई।

5 सितंबर 2018: राफेल लड़ाकू विमानों की खरीद पर रोक लगाने संबंधी जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जताई।

18 सितंबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर 10 अक्टूबर तक सुनवाई टाली।

8 अक्टूबर 2018: सीलबंद लिफाफे में 36 लड़ाकू विमानों की कीमत बताने संबंधी नई जनहित याचिका पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सहमति जताई।

10 अक्टूबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से सौदे के संबंध में अपनाई गई प्रक्रिया को सीलबंद लिफाफे में देने को कहा।

24 अक्टूबर 2018: पूर्व मंत्री यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वकील प्रशांत भूषण ने राफेल सौदे के संबंध में एफआइआर दर्ज करने के लिए याचिका दायर की।

31 अक्टूबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने 10 दिनों के अंदर केंद्र से सीलबंद लिफाफे में 36 लड़ाकू विमानों की कीमत बताने को कहा।

12 नवंबर 2018: केंद्र सरकार ने लड़ाकू विमानों की कीमत से संबंधित सीलबंद लिफाफा सुप्रीम कोर्ट को सौंपा। साथ ही सौदे में अपनाई गई प्रक्रिया भी बताई।

14 नवंबर 2018: सुप्रीम कोर्ट ने न्यायालय की निगरानी में राफेल सौदे की जांच के संबंध में फैसला सुरक्षित रखा।


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