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अम‌र्त्य सेन की किताब से खुलासा, शिक्षा में जमकर होता है राजनीतिक हस्तक्षेप

शिक्षा के मामलों में सरकारी हस्तक्षेप अपनी हदें पार कर चुका हैं। बड़े पैमाने पर असामान्य हस्तक्षेप होता है और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के शासन में अक्सर यह घोर राजनीतिक रहता है।

By Test1 Test1Edited By: Published: Sun, 16 Aug 2015 07:17 PM (IST)Updated: Mon, 17 Aug 2015 12:19 AM (IST)
अम‌र्त्य सेन की किताब से खुलासा, शिक्षा में जमकर होता है राजनीतिक हस्तक्षेप

नई दिल्ली। शिक्षा के मामलों में सरकारी हस्तक्षेप अपनी हदें पार कर चुका हैं। बड़े पैमाने पर असामान्य हस्तक्षेप होता है और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) के शासन में अक्सर यह घोर राजनीतिक रहता है। नोबल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अम‌र्त्य सेन ने अपनी नई किताब में खुलकर अपना विचार व्यक्त किया है। उनकी किताब का प्रकाशन ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय प्रेस किया है।

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उन्होंने हालांकि कहा कि यह पहला मौका नहीं है जब सरकार अकादमिक मामलों में अपने नजरिए के साथ हस्तक्षेप कर रही है। इससे पूर्व की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार के खाते में हस्तक्षेप नहीं करने का रिकार्ड भी सच्चाई से कोसों दूर है। अपनी नई किताब 'दी कंट्री ऑफ फ‌र्स्ट ब्वायज' में सेन ने लिखा है, 'लेकिन हस्तक्षेप एकदम असामान्य हो चुका है और मौजूदा शासन में अक्सर चरम राजनीतिक रहता है।' अपनी किताब में उन्होंने भारतीय इतिहास की समझदारी और भावी जरूरत को पेश करने का प्रयास किया है।

उन्होंने आगे लिखा है कि और अक्सर हिंदुत्व की प्राथमिकताओं को बढ़ावा देने के प्रति समर्पित व्यक्ति को राष्ट्रीय महत्व के संस्थानों का प्रमुख बनाया जाता है।

1998 में अर्थशास्त्र में नोबल पुरस्कार से सम्मानित होने वाले सेन ने भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद (आइसीएचआर) के प्रमुख के तौर पर येल्लाप्रागदा सुदर्शन राव को नियुक्त किए जाने का उदाहरण दिया है। उन्होंने कहा है कि वे इतिहास में अनुसंधान के लिए नहीं जाने जाते हों, लेकिन हिंदुत्व के बारे में उनके विचार सभी जानते हैं। इसी तरह भारतीय संस्कृति परिषद के नए प्रमुख लोकेश चंद्र ने हमसे अपना नजरिया साझा किया है कि असल में मोदी ईश्वर के एक नए अवतार हैं।

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