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सुप्रीम कोर्ट ने अमरावती भूमि घोटाले मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक हटाई

अमरावती भूमि घोटाले मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक सुप्रीम कोर्ट ने हटा दी। आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने यह रोक लगाई थी। कोर्ट ने ने हाईकोर्ट से कहा कि वह एफआइआर के खिलाफ पूर्व एडवोकेट जनरल की याचिका पर फैसला न सुनाए।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 25 Nov 2020 03:17 PM (IST)Updated: Wed, 25 Nov 2020 03:17 PM (IST)
सुप्रीम कोर्ट ने अमरावती भूमि घोटाले मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक हटाई
अमरावती भूमि घोटाले मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक सुप्रीम कोर्ट ने हटाई।

नई दिल्ली, एएनआइ। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को अमरावती भूमि घोटाले मामले में मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक हटा दी। यह रोक आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट ने लगाई थी। जस्टिस अशोक भूषण, जस्टिस आरएस रेड्डी और जस्टिस एमआर शाह की पीठ ने मामले की अंतिम सुनवाई अगले साल जनवरी में करेगी। बेंच ने हाईकोर्ट से कहा कि वह एफआइआर के खिलाफ पूर्व एडवोकेट जनरल की याचिका पर फैसला न सुनाए।

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बेंच ने इस मामले में एफआइआर की जांच पर रोक सहित हाई कोर्ट के अन्य निर्देशों पर रोक लगाने इन्कार कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा हाई कोर्ट की 15 सितंबर के आदेश के खिलाफ दायर अपील पर सुनवाई करते हुए यह आदेश पारित किया।

सुप्रीम कोर्ट ने अपील पर मुख्यमंत्री वाइएस जगन मोहन रेड्डी को नोटिस जारी नहीं किया औरआंध्र प्रदेश के पुलिस महानिदेशक और राज्य के पूर्व महाधिवक्ता सहित अन्य से प्रतिक्रिया मांगी, जिनकी याचिका पर उच्च न्यायालय ने आदेश पारित किया था। मामले की अगली सुनवाई जनवरी में होगी। 

मामले की सुनवाई के दौरान आंध्र प्रदेश सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील राजीव धवन ने उच्च न्यायालय के आदेश को अभूतपूर्व बताया। उन्होंने कहा कि इस तरह के अंतरिम आदेश को पारित नहीं किया जाना चाहिए था। धवन ने घोटाले के बारे में कुछ तथ्यों का भी हवाला दिया, जो कथित तौर पर पूर्व महाधिवक्ता और अन्य लोगों से जुड़े विभिन्न लेनदेन को लेकर था।

इससे पहले 15 सितंबर को, आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय ने जांच पर रोक लगा दी थी और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी के बाद इस मामले में किसी भी मीडिया रिपोर्टिंग पर रोक लगा थी। भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो द्वारा 2014 में राज्य के विभाजन के बाद अमरावती को राजधानी में स्थानांतरित करने के संबंध में भ्रष्टाचार और अवैध भूमि के लेन-देन का आरोप लगाते हुए एफआइआर दर्ज की गई। हाईकोर्ट ने एफआइआर के संबंध में कोई भी सूचना किसी भी इलेक्ट्रॉनिक, प्रिंट या सोशल मीडिया में सार्वजनिक नहीं किए जाने का आदेश जारी किया था। 


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