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PDP के पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी ने महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला का किया समर्थन

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी (Altaf Bukhari) जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के समर्थन में आ गए हैं।

By Pooja SinghEdited By: Published: Sat, 08 Feb 2020 03:28 PM (IST)Updated: Sat, 08 Feb 2020 03:48 PM (IST)
PDP के पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी ने महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला का किया समर्थन
PDP के पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी ने महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला का किया समर्थन

श्रीनगर, आइएएनएस। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) के पूर्व मंत्री अल्ताफ बुखारी (Altaf Bukhari) जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला के समर्थन में आ गए हैं। उन्होंने न्यूज एजेंसी आइएएनएस से बातचीत करते हुए कहा कि पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) के तहत उन पर मामला दर्ज करना अलोकतांत्रिक है। साथ ही उन्होंने कहा कि पीएसए के तहत किसी भी राजनीतिक पार्टी के प्रतिनिधि को नजरबंद नहीं किया जा सकता है।

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रिहा करें पूर्व मुख्यमंत्रियों को

इसके साथ ही अल्ताफ बुखारी ने मांग करते हुए कहा कि जम्मू कश्मीर के पूर्व तीनों मुख्यमंत्रियों को रिहा कर देना चाहिए और उन्हें पार्टी के क्रियाकिलापों में हिस्सा लेने की इजाजत मिलनी चाहिए। बता दें कि जम्मू कश्मीर से 5 अगस्त 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के दौरान कई नेताओं को नजरबंद किया गया था। इसके बाद पिछले दिनों पीएसए के तहत राज्य के पूर्व दो मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुला पर मामला दर्ज किया गया था।

घाटी के विकास के लिए कही थी ये बात

बता दें कि बुखारी पहले ऐसे कश्मीरी नेता है जिन्होंने सार्वजनिक रूप से अनुच्छेद 370 हटाए जाने पर कहा था कि हमें सब कुछ भूलाकर घाटी के विकास के बारे में सोचना चाहिए। इससे पहले आखिरी महीने उन्होंने कई राजीनीतिक पार्टी के नेता और लेफ्टिनेंट गवर्नर से मुलाकात की थी। इस दौरान उन्होंने गवर्नर को केंद्र शासित प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियों के पुनरुद्धार के लिए ज्ञापन सौंपा था।

बना सकते हैं नई पार्टी

मिली जानकारी के मुताबिक, बुखारी अगले कुछ हफ्तों में अपनी एक अलग पार्टी का निर्माण कर सकते हैं। ऐसे में जम्मू कश्मीर में नई पार्टी मुखर हो सकती है। 

क्या है PSA

इस कानून के मुताबिक, दो साल तक किसी तरह की सुनवाई नहीं हो सकती थी,लेकिन वर्ष 2010 में इसमें कुछ बदलाव किए गए। पहली बार के उल्लंघनकर्त्ताओं के लिए पीएसए के तहत हिरासत अथवा कैद की अवधि छह माह रखी गई और अगर उक्त व्यक्ति के व्यवहार में किसी तरह का सुधार नहीं होता है तो यह दो साल तक बढ़ाई जा सकती है। यही नहीं यदि राज्य सरकार को यह आभास हो कि किसी व्यक्ति के कृत्य से राज्य की सुरक्षा को खतरा है, तो उसे 2 वर्षों तक प्रशासनिक हिरासत में रखा जा सकता है।


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