अलायंस एयर ने किया शिशु का बोर्डिग कार्ड देने से इनकार, छूटी फ्लाइट
एक परिवार को महज इसलिए बोर्डिग से वंचित होना पड़ा क्योंकि उनके साथ एक शिशु था।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आए दिन की तकनीकी विफलताओं से हलकान एयर इंडिया अपने बर्ताव से भी यात्रियों को किसी तरह का ढांढस बंधाने को तैयार नहीं है। उलटे उसके कर्मचारी इसकी छवि को बट्टा लगाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। नियम-कायदों के नाम पर भोले-भाले यात्रियों को पीडि़त करने में मानो इन्हें मजा आता है। इनके रुखे बर्ताव के कारण बुधवार को दिल्ली से पंतनगर जा रहे एक परिवार को महज इसलिए बोर्डिग से वंचित होना पड़ा क्योंकि उनके साथ एक शिशु था।
गौरव सांघी अपने परिवार के साथ बुधवार को अलायंस एयर की सुबह 9:55 बजे की फ्लाइट एआइ 9815 पकड़ने के लिए दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचे थे, लेकिन नौ बजे चेक-इन काउंटर पर मौजूद महिला कर्मी ने उनके शिशु का बोर्डिग कार्ड बनाने से इनकार कर दिया। कारण पूछने पर कर्मी कुछ कहने के बजाय काउंटर छोड़कर अपने सीनियर सुपरवाइजर से मिलने चली गई।
पीएनआर में नाम के बावजूद शिशु का दूसरा टिकट लेने को किया मजबूर
इससे पहले सांघी लगातार इस बात का अनुरोध करते रहे कि यदि कोई अतिरिक्त शुल्क लगता हो तो वे अदा करने को तैयार हैं। क्योंकि बच्चे का नाम पीएनआर में दर्ज है। कोई जवाब न मिलने पर सांघी ने साढ़े नौ बजे बच्चे के लिए दूसरा टिकट खरीदा, लेकिन इस बीच बोर्डिग बंद हो गई और उन्हें हताश होकर वापस लौटना पड़ा।
बोर्डिग बंद होने के बाद जारी किया टिकट, मजबूरन लौटना पड़ा वापस
सांघी का कहना है कि जब बोर्डिग बंद हो गई थी तो फिर एयरलाइन ने बच्चे का टिकट क्यों जारी किया। यह पूरी घटना सीसीटीवी में कैद है और जीएमआर के प्रोटोकॉल अधिकारी इसके गवाह हैं। सांघी ने पूरे वाकये के लिए महिला सुपरवाइजर को जिम्मेदार ठहराया है, जिसने शुरू में ही लगातार पूछे जाने के बावजूद उचित मार्गदर्शन नहीं किया। अचरज की बात यह है कि एयर इंडिया ने न तो बच्चे के टिकट के पैसे लौटाये और न ही समुचित रसीद देना गवारा किया।
सांघी ने इस मामले की शिकायत एयर इंडिया और विमानन मंत्रालय से की है। मंत्रालय ने एयर इंडिया से मामले की जांच के बाद दोषियों पर कार्रवाई को कहा है। एयर इंडिया के प्रवक्ता का कहना था दिल्ली-पंतनगर की फ्लाइट में छोटे विमानों का इस्तेमाल होता है। इनमें बोर्डिग और लगेज के नियम काफी सख्त हैं। इसलिए कर्मचारी अपनी ओर से निर्णय लेने में डरते हैं। फिर भी जांच के बाद उचित कार्रवाई की जाएगी।