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जानें कैसे बीते थे भय्यू महाराज के आखिरी कुछ दिन, सिलसिलेवार घटनाक्रम

राजा के तरह जीने वाले इस भय्यूजी महाराज की मौत भी कई राज का दस्तावेज बन गई। परिवार के झगड़े समर्थकों का दुख तो ज्‍यों का त्‍यों है केवल महाराज नहीं है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Wed, 13 Jun 2018 11:38 AM (IST)Updated: Wed, 13 Jun 2018 03:03 PM (IST)
जानें कैसे बीते थे भय्यू महाराज के आखिरी कुछ दिन, सिलसिलेवार घटनाक्रम
जानें कैसे बीते थे भय्यू महाराज के आखिरी कुछ दिन, सिलसिलेवार घटनाक्रम

[जागरण स्पेशल]। अपने व्यक्तित्व को लेकर हमेशा चर्चा में रहने वाले भय्यूजी महाराज की मौत भी चर्चा का विषय बन गई। दूसरी पत्‍नी और बच्‍ची के बीच के कालह ने उन्‍हें इतना तनावग्रस्त कर दिया कि उन्‍होंने जिंदगी से ही नाता तोड़ लिया। राजा के तरह जीने वाले इस भय्यूजी महाराज की मौत भी कई राज का दस्तावेज बन गई। परिवार के झगड़े समर्थकों का दुख तो ज्‍यों का त्‍यों है केवल महाराज नहीं है।

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भय्यू महाराज दो दिन पहले आए थे आश्रम
भय्यू महाराज के निधन की खबर सद्गुरु दत्त पारमार्थिक ट्रस्ट के बापट चौराहा स्थित आश्रम पहुंची तो यहां देखरेख करने वाले भक्तों को विश्वास नहीं हुआ। महाराष्ट्र से भक्तों के फोन लगातार इस खबर की पुष्टि के लिए आ रहे थे। आश्रम परिवार के सदस्य केशवराव लोखंडे के अनुसार दो दिन पहले आखिरी बार महाराजजी आश्रम पर आए थे। करीब दो घंटे यहां रहे। उन्होंने सबसे मुलाकात की। इसके बाद कहा सब एक-दूसरे का ध्यान रखें और मिलजुलकर काम करें।

आश्रम में बने पूछताछ केंद्र पर लोग घटना के बारे में पूछ रहे थे लेकिन यहां मौजूद कर्मचारी स्पष्ट रूप से कुछ बताने से बचते नजर आए। आश्रम के मुख्य द्वार पर लगे बोर्ड पर आज उनके माध्यम से लिखे गए कोटेशन में उनके मन की दुविधा झलक रही थी। कोटेशन में लिखा था कि 'आदमी के लिए विश्वास ही सब कुछ है। तुम अगर उस पर भी विश्वास खो देते हो तो इससे बड़ा डाउनफाल दूसरा नहीं हो सकता।"

आश्रम में मनाया था जन्मदिन
आश्रम से करीब 19 साल से जुड़ी सुलेखना भारती बताते हैं कि 8 जून को ही भय्यू महाराज की पत्नी डॉ. आयुषी का जन्मदिन था। उनका जन्मदिन आश्रम में आश्रम परिवार के सभी लोगों ने मिलकर मनाया था। उनकी चार माह की बेटी भी आई थी।

कई लोगों के घर बसाए
17 साल से आश्रम से जुड़ी उज्ज्वला माने कहती हैं महाराज गरीबों की मदद करते थे। उन्होंने कई लोगों के घर बसाए। वे हमारे गुरु थे। अलग-अलग योजनाओं के माध्यम से जिसे जिस चीज की जरूर होती थी, वे देते थे।

समाज से लड़कर की थी मुझसे शादी
बॉम्बे अस्पताल की पहली मंजिल पर महाराज की पत्नी डॉ. आयुषी फर्श पर बैठी महाराज के भक्तों से घिरी थीं। बदहवास हालत में वे बहकी-बहकी बातें कर रही थीं। उनके आंसू भी नहीं निकले थे। वे बार-बार कह रही थीं कि वे चले जाएंगे तो मैं भी उनके साथ चली जाऊंगी। उन्होंने समाज से लड़कर मुझसे शादी की थी, वे मुझे ऐसा छोड़कर क्यों जाएंगे।

डॉ. आयुषी एक ही रट लगा रही थीं कि वे ऐसा नहीं कर सकते। वे इतने कमजोर नहीं कि खुद को गोली मार दें। आत्महत्या का तो सवाल ही पैदा नहीं होता। मैं उनके बगैर कैसे जीऊंगी। मेरी जिंदगी कैसे चलेगी। बदहवास डॉ.आयुषी अस्पताल में मौजूद महाराज के भक्तों से कह रही थीं कि अब तुम आश्रम आकर क्या करोगे। कौन तुम्हें पुकारेगा।

अस्पताल में मौजूद सेवादारों ने बताया कि महाराज कुछ समय से अवसाद में थे। उन्हें देखकर ही लगता था कि उनके दिमाग में कुछ उथल-पुथल चल रही है लेकिन वे खुद को सामान्य रखने का प्रयास करते रहे। हमेशा आशंका रहती थी कि वे कोई कदम न उठा लें। इसी आशंका के चलते हमने पिस्टल भी छुपाकर रख दी थी।

2 बजकर 6 मिनट पर पहुंचे
बॉम्बे अस्पताल प्रबंधक राहुल पाराशर ने बताया कि महाराज को दोपहर 2 बजकर 06 मिनट पर अस्पताल लाया गया था। अस्पताल पहुंचने के पहले ही महाराज की मौत हो चुकी थी। बाद में करीब साढ़े तीन बजे शव को पोस्टमार्टम के लिए एमवाय अस्पताल रवाना कर दिया गया। वहां तीन डॉक्टरों की टीम ने पोस्टमार्टम किया।

3.05 बजे पहुंची बेटी
भय्यू महाराज की बेटी कुहू दोपहर करीब 3.05 बजे बॉम्बे हॉस्पिटल पहुंची। वह दोपहर दो बजे ही पुणे से लौटी थी। महाराज पढ़ाई के सिलसिले में उसे अमेरिका लेकर जाने वाले थे।

बार-बार फोन आए तो सेंधवा से लौटे थे
पुलिस पूछताछ में यह भी पता चला कि भय्यू महाराज सोमवार को इंदौर से महाराष्ट्र जाने के लिए निकले थे। सेंधवा पहुंचते ही उनके मोबाइल पर बार-बार फोन आने लगे। फोन आते ही वाहन में मौजूद लोगों को उतारकर उन्होंने अकेले में बात की थी। ऐसा सेंधवा पहुंचने के दौरान कई बार हुआ। आखिर सेंधवा से ही वे लौट आए। मंगलवार को पुलिस ने भय्यू महाराज के साथ महाराष्ट्र जा रहे लोगों से भी अलग-अलग पूछताछ की। सभी ने इस बात से अनभिज्ञता जाहिर की कि फोन किसके आ रहे थे। अब पुलिस इसकी जांच कर रही है।

रेस्टॉरेंट पहुंचे थे भय्यू महाराज
भय्यू महाराज सोमवार दोपहर राऊ और महू के बीच स्थित रेस्टॉरेंट पहुंचे थे। रेस्टॉरेंट के सीसीटीवी फुटेज में वे वाहन से उतरकर भीतर गए। उनके अनुयायियों ने रेस्टॉरेंट की कुर्सी पर साथ लाया आसन बिछाया। कुछ देर में एक महिला (संभवत: आयुषी, फुटेज में चेहरा स्पष्ट नजर नहीं आ रहा है) भी पहुंची। दोनों अलग-अलग वाहन से रेस्टोरेंट पहुंचे थे। कुछ देर वहां रुके, उनके बीच बातचीत भी हुई। बाद में दोनों रवाना हो गए।

पुणे शिफ्ट हो गई थी पहली पत्नी
महाराज के पारिवारिक सूत्रों के मुताबिक भय्यू महाराज की पहली पत्नी माधवी को महाराज का सार्वजनिक जीवन पसंद नहीं था, वे चाहती थीं कि महाराज एक आम व्यक्ति की तरह उनके साथ जीवन बिताएं, लेकिन जैसे-जैसे महाराज की ख्याति बढ़ी, दोनों के वैवाहिक जीवन में दूरियां बढ़ती गईं।

भय्यू महाराज ने माधवी के लिए पलासिया में एक बुटिक भी खोला और एक फ्लैट भी लेकर दिया, लेकिन माधवी खुद को अकेला महसूस करती थीं। बाद में बेटी की पढ़ाई के कारण वे पुणे शिफ्ट हो गईं और तीन साल पहले दिल का दौरा पड़ने से पुणे में ही उनकी मौत हो गई।

आत्महत्या से पहले क्या कुछ हुआ
आध्यात्मिक संत भय्यू महाराज (उदयसिंह देशमुख) ने मंगलवार दोपहर मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित अपने घर में लाइसेंसी रिवॉल्वर से गोली मारकर आत्महत्या कर ली। पुलिस को उनके कमरे से पॉकेट डायरी में लिखा सुसाइड नोट मिला है। इसमें लिखा है कि वे तनाव के कारण आत्महत्या कर रहे हैं। पुलिस और करीबियों के मुताबिक भय्यू महाराज पारिवारिक कलह से मानसिक तौर पर परेशान थे। उनके घर में कुछ भी सामान्य नहीं था। दूसरी पत्नी और बेटी में जमकर विवाद चल रहा था। पुलिस ने घर से सुसाइड नोट, रिवॉल्वर और मोबाइल, टैब, लैपटॉप, फोन सहित 7 गैजेट्स जब्त कर लिए हैं। परिवार और आश्रम से जुड़े लोगों से पूछताछ की जा रही है। उन्होंने भी कलह की पुष्टि की है।

आत्महत्या से पहले का घटनाक्रम
घटना बायपास स्थित सिल्वर स्प्रिंग (फेज-1) के मकान नं. 1 में हुई। दोपहर करीब 12.15 बजे भय्यू महाराज अचानक अपने कमरे से निकले और बेटी कुहू के कमरे में चले गए। उन्होंने नौकरों को फटकारते हुए कहा कि अभी तक कुहू के कमरे की सफाई क्यों नहीं की। उसकी बेडशीट भी नहीं बदली गई है। कर्मचारियों ने कुहू का बेडरूम व्यवस्थित किया और गुरुजी से क्षमा मांगी। भय्यू महाराज ने कर्मचारी शेखर से उनके मोबाइल पर आई कॉल्स के बारे में पूछा और कहा- सबसे कुछ देर बाद बात करूंगा। शेखर से कहा कि उन्हें डिस्टर्ब नहीं किया जाएं।

करीब 10 मिनट बाद हलके धमाके की आवाज सुनाई दी। कर्मचारियों को लगा हवा के झोंके से कुछ सामान गिरा है। कुछ देर बाद पत्नी डॉ. आयुषी उन्हें देखने पहुंचीं। दरवाजा अंदर से बंद मिला तो कर्मचारियों को आवाज लगाई। कर्मचारी विनायक, योगेश व अन्य दौड़कर आए और दरवाजा खुलवाने का प्रयास किया। काफी देर तक दरवाजा नहीं खुलने व जवाब नहीं मिलने पर शक गहराया। उन्होंने धक्का देकर चिटकनी तोड़ी और भीतर घुसे। अंदर भय्यू महाराज को खून से लथपथ पड़ा देख हक्के-बक्के रह गए।

पुलिस के मुताबिक, भय्यू महाराज दोपहर को अचानक बेटी कुहू के कमरे में रखे बींस बैग पर जाकर बैठ गए। कुछ देर बाद उन्होंने दाईं कनपटी पर रिवॉल्वर अड़ाकर गोली मार ली। परिजन ने देखा शव के पास रिवॉल्वर पड़ी हुई है। परिजन, कर्मचारी और अनुयायी तुरंत उन्हें लेकर बॉम्बे हॉस्पिटल पहुंचे। डॉक्टरों ने जांच के बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया।


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