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अब नहीं चलेंगी 22 कोच से ज्यादा लंबी ट्रेनें, रेलवे का बड़ा फैसला

अभी आम तौर पर यात्री ट्रेनों में अधिकतम 24 कोच लगाए जाते हैं। मांग बढ़ने पर अपवादस्वरूप कुछ लोकप्रिय ट्रेनों में इनकी संख्या 26 भी कर दी जाती है।

By Tilak RajEdited By: Published: Tue, 02 Jan 2018 09:44 PM (IST)Updated: Tue, 02 Jan 2018 11:26 PM (IST)
अब नहीं चलेंगी 22 कोच से ज्यादा लंबी ट्रेनें, रेलवे का बड़ा फैसला
अब नहीं चलेंगी 22 कोच से ज्यादा लंबी ट्रेनें, रेलवे का बड़ा फैसला

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। रेल मंत्रालय ने यात्री ट्रेनों में बोगियों की अधिकतम संख्या को मौजूदा 26 से 22 करने का निर्णय लिया है। इस निर्णय से न केवल ट्रेनों की संख्या और रफ्तार बढ़ाने में मदद मिलेगी, बल्कि दुर्घटना की संभावनाएं भी घटेंगी। यही नहीं, इससे लंबी ट्रेनों की वजह से छोटे प्लेटफार्मों पर यात्रियों को चढ़ने-उतरने में आने वाले दिक्कत का भी समाधान हो जाएगा और किसी भी ट्रेन को किसी भी रूट पर चलाया जा सकेगा।

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रेलमंत्री पीयूष गोयल ने संवाददाताओं को इस महत्वपूर्ण निर्णय की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि हमने सभी ट्रेनों को 22 कोच का करने का निर्णय लिया है। यह अधिकतम संख्या है। कुछ ट्रेनों में इससे कम कोच भी हो सकते हैं।

गौरतलब है कि अभी आम तौर पर यात्री ट्रेनों में अधिकतम 24 कोच लगाए जाते हैं। मांग बढ़ने पर अपवादस्वरूप कुछ लोकप्रिय ट्रेनों में इनकी संख्या 26 भी कर दी जाती है। इससे ज्यादा कोच संरक्षा के लिहाज से उचित नहीं माने जाते। ज्यादातर कम लोकप्रिय ट्रेनों में 22, 18, 16 अथवा कभी-कभी 12 कोच ही लगते हैं।

कोच की अधिकतम संख्या में कमी किए जाने का लाभ लोकप्रिय ट्रेनों की संख्या में बढ़ोतरी के रूप में मिलेगा, क्योंकि उतनी ही बोगियों से ज्यादा लोकप्रिय ट्रेने चलाई जा सकती हैं। अभी कोच उत्पादन क्षमता सीमित होने से मनचाही संख्या में नई ट्रेने चलाना संभव नहीं हो पाता। रेलवे की तीनों कोच फैक्टि्रयां-कपूरथला, चेन्नई व बरेली मिलकर सालाना लगभग चार हजार कोच का ही निर्माण कर पाती हैं। ऐसे में आगामी सालों में जब डेडीकेटेड फ्रेट कारीडोर चालू होने से मौजूदा ट्रैक मालगाडि़यों से मुक्त हो जाएंगे तब यह तरकीब नई यात्री ट्रेने चलाने में मददगार साबित होगी। फिलहाल रेलवे अधिकारियों ने ऐसी 300 प्रकार की ट्रेनों और रूटों की पहचान की है जिन पर 22 कोच की ट्रेने चलाने का प्रस्ताव है।

रेलमंत्री ने रेलवे की मौजूदा सिग्नल प्रणाली को बदलने की जरूरत भी बताई। उन्होंने कहा, 'हम अभी भी साठ-सत्तर वर्ष पुरानी मैन्युअल सिग्नल प्रणाली से काम चला रहे हैं। अब इसे पूरी तरह बदलने और विश्व की अत्याधुनिक सिगनल प्रणाली स्थापित करने का वक्त आ गया है। इसे 2022 तक लागू करने का प्रस्ताव है। इसका खाका तैयार हो रहा है। शीघ्र ही इस बाबत विस्तृत जानकारी दी जाएगी।'

गोयल ने इससे ज्यादा जानकारी नहीं दी। लेकिन रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने बताया कि नई सिगनल प्रणाली 'आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस' पर आधारित होगी। इस पर 60 हजार रुपये के खर्च का अनुमान है। पहले वर्ष इस पर 20 हजार करोड़ रुपये की राशि खर्च की जाएगी।

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