अक्षरधाम मंदिर पर आतंकी हमले के लिए पैसा जुटाने वाले को किया गिरफ्तार
गुजरात के अक्षरधाम मंदिर में वर्ष 2002 में हुए आतंकी हमले के लिए पैसा जुटाने वाले को सोमवार को गिरफ्तार कर लिया गया।
अहमदाबाद, जागरण संवाददाता/प्रेट्र। गुजरात के अक्षरधाम मंदिर में वर्ष 2002 में हुए आतंकी हमले के लिए पैसा जुटाने वाले को सोमवार को गिरफ्तार कर लिया गया। गिरफ्तारी के कुछ ही देर पहले वह यहां विमान से उतरा था। हमले के बाद से ही वह फरार चल रहा था।
करीब 16 साल बाद पुलिस को यह सफलता मिली। एक वर्ष पहले इसी मामले में अब्दुल राशिद को भी अहमदाबाद एयरपोर्ट से गिरफ्तार किया गया था।सहायक पुलिस आयुक्त बी गोहिल ने बताया, पुलिस को सूचना मिली थी कि सोमवार को मोहम्मद फारूक शेख (47) सऊदी अरब के रियाद से अहमदाबाद अपने संबंधी से मिलने आने वाला है। इसके आधार पर क्राइम ब्रांच की टीम अहमदाबाद हवाई अड्डे पर तैनात थी और विमान से उतरने के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया।
वह जुहापुरा में रहता था और हमले के तत्काल बाद रियाद भाग गया था।गोहिल के अनुसार, फारूक 1994 से रियाद में रह रहा था। 2002 के गोधरा दंगे के बाद उसने अल्पसंख्यक समुदाय के मारे गए लोगों का बदला लेने के लिए पाकिस्तानी आतंकी संगठन जैश ए मोहम्मद और लश्कर ए तैयबा के सहयोग से धन जुटाया था। उसने जुटाए गए धन को अक्षरधाम मंदिर पर हमले के लिए अहमदाबाद भेजा, जिससे हथियार खरीदे गए थे।
मारे गए थे 35 लोग, 81 हुए थे घायल
अक्षरधाम मंदिर में 24 सितंबर 2002 को सैनिकों के वेश में घुसे लश्कर ए तैयबा के आतंकियों के हमले में 35 लोग मारे गए थे। इनमें तीन कमांडो और एक पुलिसकर्मी शामिल थे। हमले में 81 निर्दोष श्रद्धालु घायल हो गए थे। एनएसजी कमांडो ने रातभर चली मुठभेड़ में लश्कर के दो आतंकियों मुर्तजा हाफिज यासीन व अशरफ अली मोहम्मद को मार गिराया था।
हमले में शामिल थे 34 आतंकी
अक्षरधाम हमले में 34 लोगों की संलिप्तता सामने आई थी। इस मामले में 1 जुलाई 2006 को पोटा अदालत ने हमले के मास्टरमाइंड जम्मू-कश्मीर निवासी चांद खान, आदम सुलेमान अजमेरी और अब्दुल कयूम को हमले के लिए दोषी ठहराते हुए मौत की सजा सुनाई थी। सलीम मोहम्मद अनीफ शेख को उम्रकैद व दो आतंकियों मुफ्ती अब्दुल मियां यासीन मियां कादरी तथा अल्ताफ हुसैन असगर हुसैन मलिक को क्रमश: दस और पांच साल के कारावास की सजा सुनाई गई थी। मई 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने ट्रायल कोर्ट से मौत की सजा पाए तीन समेत सभी छह सजायाफ्ता कैदियों को साक्ष्य के अभाव में छोड़ दिया था।