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अखिलेश-माया ने छिपाया कि बैलट से चुनाव में उनके प्रत्याशी भी कमजोर रहे

अखिलेश यादव ने पूरे आंकड़े सामने रखे और न ही मायावती ने इसलिए लोगों को ऐसा लगा कि ईवीएम से हुए चुनावों से भाजपा तो फायदे में रही, लेकिन उन्हें घाटा हुआ।

By Manish NegiEdited By: Published: Wed, 06 Dec 2017 07:37 PM (IST)Updated: Wed, 06 Dec 2017 07:50 PM (IST)
अखिलेश-माया ने छिपाया कि बैलट से चुनाव में उनके प्रत्याशी भी कमजोर रहे
अखिलेश-माया ने छिपाया कि बैलट से चुनाव में उनके प्रत्याशी भी कमजोर रहे

नई दिल्ली, जेएनएन। उत्तर प्रदेश में निकाय चुनावों के तुरंत बाद सपा नेता अखिलेश यादव और बसपा सुप्रीमो मायावती ने यह आरोप जोर-शोर से उछाला कि जहां इलेक्ट्रानिक वोटिंग मशीन यानी ईवीएम से चुनाव हुए वहां तो भाजपा प्रत्याशी खूब जीते, लेकिन, जहां बैलट पेपर से चुनाव हुए वहां उनके उम्मीदवारों की हालत पतली रही।

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यह आरोप लगाते हुए ये दोनों नेता इस बात को छिपा गए कि जहां बैलट पेपर से चुनाव हुए वहां उनके उम्मीदवारों की भी हालत पतली रही और जहां ईवीएम से वोट पड़े वहां बैलट पेपर के मुकाबले उनके उम्मीदवारों की जीत का प्रतिशत अपेक्षाकृत अधिक रहा। चूंकि न अखिलेश यादव ने पूरे आंकड़े सामने रखे और न ही मायावती ने इसलिए लोगों को ऐसा लगा कि ईवीएम से हुए चुनावों से भाजपा तो फायदे में रही, लेकिन उन्हें घाटा हुआ।

उत्तर प्रदेश चुनाव आयोग के आंकड़े (टेबल देखें) यह स्पष्ट करते हैं कि अगर बैलट से हुए चुनाव में भाजपा प्रत्याशी घाटे में रहे तो यही स्थिति सपा, भाजपा और कांग्रेस के प्रत्याशियों की भी रही। बाद में कांग्रेस के नेताओं ने यह कहना शुरु कर दिया कि भाजपा की जीत में ईवीएम का हाथ रहा।

ज्ञात हो कि तीन चरणों वाले उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव में नगर निगम के महापौर और निगम पार्षद के वोट तो ईवीएम के जरिये पड़े थे, लेकिन नगर पालिका और नगर पंचायत के वोट बैलट पेपर के जरिये। नगर पालिका और नगर पंचायत के अध्यक्षों के साथ-साथ सदस्यों का भी चुनाव बैलट पेपर से ही हुआ था।

चुनाव नतीजे आने के बाद अखिलेश यादव ने ट्वीट किया था कि भाजपा के ईवीएम से जीते प्रत्याशियों का प्रतिशत 46 रहा और बैलट पेपर से जीते प्रत्याशियों का प्रतिशत 15 रहा। उन्होंने सपा के ईवीएम और बैलट से जीते प्रत्याशियों का कोई विवरण नहीं दिया। अधूरी तस्वीर बयान करने वाले अखिलेश के इस ट्वीट को अब तक 25 हजार लोग लाइक कर चुके हैं।

अखिलेश सरीखा ट्वीट कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने भी किया था।

इन दोनों ट्वीट में इसका जिक्र किया ही नहीं गया कि बैलट पेपर से हुए चुनावों में भाजपा की तरह उनके प्रत्याशी भी ईवीएम के मुकाबले कमजोर प्रदर्शन कर सके। विशेषज्ञों के अनुसार यह कोई नई-अनोखी बात नहीं कि निकाय चुनावों में भाजपा शहरी इलाकों यानी निगम चुनावों में पहले भी बेहतर प्रदर्शन करती रही है। और अगर निकाय चुनाव के पूरे आंकड़े सामने रखे जाएं तो यह साफ दिखेगा कि भाजपा की तरह से सपा, बसपा और कांग्रेस भी ईवीएम से हुए चुनाव में फायदे में रहीं और बैलट से हुए चुनाव में घाटे में।

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