जो किया मुलायम ने, दोहरा रहे अखिलेश
मुलायम ने सत्ता हासिल करने के लिए लगातार अपने आकाओं को झटका दिया है। वह लोहिया, चरण सिंह, वीपी और चंद्रशेखर को झटका दे चुकेे हैं।
लखनऊ (राज्य ब्यूरो)। सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के बारे में यह कहावत है कि सियासत में उनसे अधिक कोई रिश्तों का निर्वाह नहीं कर सकता, लेकिन, विरोधी यह कहने से भी नहीं चूकते कि मुलायम ने सत्ता हासिल करने के लिए लगातार अपने आकाओं को झटका दिया है। सपा प्रमुख अपने राजनीतिक जीवन में सबसे बडे संकट से गुजर रहें है, जब खुद उनके पुत्र अखिलेश यादव ने ही बगावती रुख अख्तियार किया है। यहां यह भी कहा जा रहा है कि मुलायम ने जो किया वह सूद समेत वापस मिल रहा है।
बोफोर्स कांड के बाद जब 1989 में वीपी सिंह की अगुआई में देश और उत्तर प्रदेश में गैर कांग्रेसी सरकार बनी, तब वीपी सिंह चौधरी अजित सिंह को मुख्यमंत्री बनाना चाहते थे लेकिन मुलायम ने ऐसा चरखा दांव चला कि वीपी सिंह भी उनके हिमायती हो गए। मुलायम को उप्र की सत्ता मिली पर वीपी सिंह की सत्ता डगमगाने के बाद मुलायम ने जनता दल छोड़कर चंद्रशेखर से मजबूत संबंध बनाए लेकिन कुछ महीनों तक ही उन्हें निभा सके।
उन्होंने चंद्रशेखर की समाजवादी जनता पार्टी से अलग होकर समाजवादी पार्टी बना ली। मुलायम की राजनीति में यह कोई नई बात नहीं थी। वह शुरुआती दौर में भी लोहिया को छोड़कर चौधरी चरण सिंह के साथ हुए थे। चंद्रशेखर से अलग होने के बाद बहुजन समाज पार्टी के गठबंधन से ही मुलायम ने 1993 में दोबारा सत्ता हासिल की लेकिन जून 1995 तक यह रिश्ता भी चल नहीं पाया। जिस बसपा के बूते मुलायम ने सत्ता हासिल की, उसी बसपा की प्रमुख नेता मायावती के साथ गेस्ट हाऊस कांड आज भी लोग नहीं भूले हैं।
डॉ. लोहिया के अनुयायी होने के बावजूद मुलायम सिंह यादव ने समाजवाद के नाम पर जिस तरह परिवार को आगे किया, वही परिवार अब उनके लिए मुसीबत का सबब बन गया है। मुलायम के कुनबे में खांचों में बंटे भाई-बंधु अखिलेश के कंधे पर बंदूक रखकर मुलायम पर निशाना साध रहे हैं। कभी लड़खड़ाते हुए मुलायम को एक आज्ञाकारी आदर्श पुत्र की तरह संभालने वाले अखिलेश अब आक्रामक हो गये हैं। नेताजी के फैसलों के खिलाफ वह एक्शन ले रहे हैं और अपनों को लामबंद कर रहे हैं। जाहिर है, वक्त अपने को दोहरा रहा है और कहने वाले यही कह रहे हैं, जैसी करनी-वैसी भरनी।
मुलायम सिंह यादव : जीवन वृत्त
जन्म : 22 नवंबर, 1939
जन्म स्थान : सैफई, इटावा
राजनीतिक करियर : 1967 में पहली बार विधायक। तीन बार उप्र के मुख्यमंत्री। 1996 में केन्द्र में रक्षा मंत्री। समाजवादी पार्टी के संस्थापक। संप्रति आजमगढ़ से सांसद। सात बार विधायक और छह बार सांसद बने।
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