मायावती ने मुलायम परिवार पर बोला हमला
बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को संकल्प महारैली में समाजवादी सरकार पर जमकर हमला बोला। उत्तर प्रदेश को 'क्राइम प्रदेश' व अखिलेश यादव को 'घोषणा मुख्यमंत्री' बताया। लोकसभा चुनाव समय से पूर्व होने की संभावना जताते हुए उन्होंने बताया कि बुधवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में संप्रग सरकार के समर्थन पर फैसला होगा। एफडीआइ मुद्दे पर बसपा का रुख नरम दिखा।
लखनऊ [जागरण ब्यूरो]। बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार को संकल्प महारैली में समाजवादी सरकार पर जमकर हमला बोला। उत्तर प्रदेश को 'क्राइम प्रदेश' व अखिलेश यादव को 'घोषणा मुख्यमंत्री' बताया। लोकसभा चुनाव समय से पूर्व होने की संभावना जताते हुए उन्होंने बताया कि बुधवार को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में संप्रग सरकार के समर्थन पर फैसला होगा। एफडीआइ मुद्दे पर बसपा का रुख नरम दिखा।
सपा सरकार के छह माह पूरे होने के बाद रमाबाई मैदान में 'संकल्प रैली' को संबोधित करते हुए मायावती पूरे तेवर दिखी। उनका गुस्सा कांशीराम की पुण्यतिथि (नौ अक्टूबर) पर होने वाले अवकाश को रद करने, रैली में आने वाले लोगों को परेशान करने, हेलीकाप्टर उतरने की इजाजत न देने और बसपा सरकार के फैसलों को पलटने को लेकर था। उन्होंने आरोप लगाया कि सपा सरकार दुर्भावना की शिकार है। वक्त आने पर करारा जवाब दिया जाएगा।
कांशीराम व अन्य दलित महापुरुषों का अपमान करने और अपनी मूर्ति को तोड़े जाने के मुद्दे पर उन्होंने सपा के साथ कांग्रेस और भाजपा को भी आड़े हाथों लिया। नौ अक्टूबर को प्रत्येक वर्ष मनाने का आह्वान करते हुए कहा दलित विरोधी नीतियों वाले दलों की सच्चाई सबको बताएं। पूर्व मुख्यमंत्री ने अपने शासनकाल व सपा सरकार के छह माह के कार्यकाल का अंतर भी समझाया। कहा कि उत्तर प्रदेश क्राइम प्रदेश बन गया है। पिछले छह महीने में डेढ़ दर्जन साप्रदायिक दंगे व तनाव की घटनाएं हो चुकी हैं। बसपा शासन में जेल में बंद माफिया व गुंडों को आजाद कर दिया, जो अब सरकार चला रहे हैं। काग्रेस शासित हरियाणा में महिलाओं व दलितों पर अत्याचार बढ़ने का हवाला देते हए उन्होंने कहा कि हरियाणा महिला उत्पीड़न प्रदेश बन गया है। मुख्यमंत्री अखिलेश को घोषणाओं के मामले में अपने पिता से आगे बताते हुए कहा कि इन घोषणाओं का कोई आधार नहीं है।
गाय-भैंस चरा रहे होते मुलायम
अपने सवा घंटे के संबोधन में मायावती की भाषा काफी तीखी रही। डॉ.अंबेडकर की दो दर्जन से अधिक मूर्तियां तोड़े जाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने कहा बाबा साहब द्वारा बनाए संविधान से ही मुलायम सिंह व उनके परिवार को आरक्षण का लाभ मिल रहा है वरना मुलायम और उनके परिजन किसी सामंतवादी के खेत में गाय-भैंस चराते नजर आते।
उन्होंने दलितों के साथ पिछड़े वर्ग व अगड़ी जातियों के गरीबों की खुलकर पैरोकारी की। सपा सरकार पर दलित व पिछड़े [गैर यादव] समाज के अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रताडि़त करने का आरोप भी लगाया।
परिवार से कोई चुनाव नहीं लड़ेगा
मायावती ने परिवारवाद की राजनीति पर जमकर प्रहार किया। अपने संकल्प को दोहराते हुए उन्होंने कहा कि उनके परिवार का कोई भी सदस्य अथवा रिश्तेदार चुनाव नहीं लड़ेगा। हां, पार्टी को मजबूत बनाने का काम कर सकता है। उन्होंने कहा कि विशेष परिस्थितियों को छोड़ बसपा में परिवारवाद को कोई महत्व नहीं दिया जाएगा।
नारा सर्वसमाज का ताकत दलितों ने दिखाई
[अवनीश त्यागी]। सत्ता से बेदखल होने के बावजूद बहुजन समाज पार्टी ने अपनी ताकत का अहसास कराया। खचाखच भरे रमाबाई अंबेडकर मैदान में नारे सर्वसमाज के जरूर लगे परंतु असल भीड़ दलित समाज से जुटी। यूपी के अलावा मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, बिहार, राजस्थान, उत्तराखंड और गुजरात जैसे राज्यों से बसपा समर्थक रैली में भाग लेने को पहुंचे। उड़ीसा से आए 44 वर्षीय सुरेश राव का कहना था कि मायावती कमजोर वर्ग के लोगों की उम्मीद बनी है। उड़ीसा में भले ही बसपा का वजूद कागजों पर हो परंतु उनके समर्थकों की संख्या बढ़ रही है।
भीड़ देख बसपाइयों का भरोसा बढ़ा कि अगले लोकसभा चुनाव में यूपी की सियासी तस्वीर बदलेगी परंतु तब तक मुकाबला सपा बनाम बसपा बनाए रखना जरूरी है। सो समाजवादी पार्टी के खिलाफ जंग का एलान कर बसपा सुप्रीमो मायावती ने सियासी आरोपों की मर्यादाएं भी लांघी। सपा समर्थक अधिकारियों को धमकाया और बसपा की सरकार आने पर जांच की धमकी देकर डराया भी। प्रदेश सरकार की अपेक्षा केंद्र के प्रति रवैया नरम रहा। महंगाई, भ्रष्टाचार व ईधन गैस के सिलेंडर कम करने जैसे मुद्दों पर मनमोहन सरकार की आलोचना की परंतु अंदाज सुझाव देने जैसा रहा। मसलन अर्थव्यवस्था की दशा सुधारने को गरीबों पर बोझा डालने के बजाए पूंजीपतियों पर टैक्स बढ़ाने की पैरोकारी की।
मायावती ने विलासिता की वस्तुओं का मूल्य बढ़ाने पर जोर देते हुए संकेत दिया कि बसपा अभी केंद्र से सीधा मोर्चा लेने के मूड में नहीं है। इसीलिए विदेशी पूंजी निवेश [एफडीआइ] के मुद्दे पर मायावती का रुख काफी नरम दिखा। बसपा प्रमुख का कहना था एफडीआइ के नुकसान देखकर कड़ा फैसला लिया जाएगा।
रैली स्थल पर गूंजी शंख ध्वनि
संकल्प रैली में सर्वसमाज का रंग भरने को रमाबाई मैदान में मायावती के आने पहले ब्राह्माण समाज की ओर से केसरिया गमछा धारी टोली नजर आई। माइक से पंडितों ने मंत्रों का वाचन कर माहौल बनाने की कोशिश की और शंख भी बजा, परंतु मंच से नसीमुद्दीन सिद्दीकी ने ब्राह्माण समाज के समर्थन में नारे लगाए तो भीड़ से जवाब कमजोर आया। एक पूर्व विधायक का कहना था कि बसपा का दलित ब्राह्माण व अतिपिछड़ा वर्ग गठजोड़ तो ठीक है परंतु पदोन्नति में आरक्षण के मसले पर अगड़ों की राय जुदा है।
अगड़ों के इस दर्द को ध्यान में रखते हुए बसपा ने उच्च वर्ग के गरीबों को आरक्षण की खुली पैरोकारी की। पिछड़ों को जोड़ने के लिए बसपा ने अतिपिछड़ा कार्ड के अलावा सपा के यादववाद व परिवारवाद को हवा देनी शुरू की है।
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