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आईएसी ने वाईपी सिंह के आरोपों को बताया गलत

आईपीएस अधिकारी की नौकरी छोड़ वकालत कर रहे वाई पी सिंह ने गुरुवार को पवार परिवार का एक भूखंड घोटाला उजागर करते हुए बताया कि सिंचाई परियोजना के लिए अधीगृहीत एक बड़ा भूखंड अजीत पवार ने अपनी चचेरी बहन व शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले की कंपनी को कौड़ियों के मोल दे दिया। बाद में इस भूखंड की कीमत 10,000 करोड़ रुपए आंकी गई।

By Edited By: Published: Thu, 18 Oct 2012 04:29 PM (IST)Updated: Fri, 19 Oct 2012 10:52 AM (IST)
आईएसी ने वाईपी सिंह के आरोपों को बताया गलत

मुंबई [जासं]। आईपीएस अधिकारी की नौकरी छोड़ वकालत कर रहे वाई पी सिंह ने गुरुवार को पवार परिवार का एक भूखंड घोटाला उजागर करते हुए बताया कि सिंचाई परियोजना के लिए अधीगृहीत एक बड़ा भूखंड अजीत पवार ने अपनी चचेरी बहन व शरद पवार की पुत्री सुप्रिया सुले की कंपनी को कौड़ियों के मोल दे दिया। बाद में इस भूखंड की कीमत 10,000 करोड़ रुपए आंकी गई। हालांकि, शरद पवार ने इन सभी आरोपों से इंकार किया है। वाई पी सिंह का यह भी कहना है कि अरविंद केजरीवाल को शरद पवार के भूखंड घोटाले कके बारे में पता था। हालांकि, आईएसी ने पूर्व आईएएस की तरफ से लगाए गए इस आरोप को बेबुनियाद बताया है।

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वाई पी सिंह ने गुरुवार को एक संवाददाता सम्मेलन बुलाकर पवार परिवार के भूखंड घोटाले से संबंधित कई सनसनीखेज खुलासे किए । उन्होंने कहा कि सन् 2002 में महाराष्ट्र के तत्कालीन सिंचाई मंत्री अजीत पवार ने सिंचाई परियोजना के लिए अधीगृहीत की गई कृष्णा घाटी विकास निगम की 348 एकड़ जमीन सिर्फ 23000 रुपये मासिक किराए पर एक निजी कंपनी सिटी लेक कार्पोरेशन [लवासा कार्पोरेशन का पूर्व नाम] को 30 साल की लीज पर दे दी। इस कंपनी में अजीत पवार की चचेरी बहन एवं केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार की सांसद पुत्री सुप्रिया सुले एवं उनके पति सदानंद सुले की 20.81 प्रतिशत भागीदारी थी। सुप्रिया के अलावा इस कंपनी में पवार परिवार के ही करीबी अनिरुद्ध देशपांडे व उनकी पत्नी तथा कुछ और लोगों की हिस्सेदारी थी। सिंह के अनुसार सुप्रिया एवं उनके पति ने 2006 में उक्त कंपनी से अपनी भागीदारी वापस ले ली । इसके बाद सन् 2008 में एक्सिस बैंक द्वारा किए गए एक आकलन में उक्त 348 एकड़ जमीन की कीमत 10,000 करोड़ आंकी गई।

गौरतलब है कि सुप्रिया सुले की कंपनी को दी गई उक्त जमीन की लीज अवधि 30 से ज्यादा करने का प्रावधान भी किया गया है। सिंह ने संभावना जताई कि इस दर से देखा जाए तो सुप्रिया सुले के इस कंपनी से अपनी हिस्सेदारी बेचते समय उन्हें अपनी अंशधारिता के एवज में कई सौ करोड़ रुपए मिले होगें। इसके बावजूद सन् 2009 में लोकसभा चुनाव लड़ते समय सुप्रिया सुले ने शपथपत्र देकर अपनी कुल संपत्ति 15 करोड़ रुपये ही बताई है। सिंह ने इस मामले का खुलासा करने से पहले सर्वोच्च न्यायालय के उस निर्णय के बारे में भी बताया, जिसमें कहा गया है कि सार्वजनिक हित के लिए अधिगृहीत की गई जमीन उपयोग न होने की स्थिति में पूर्व मालिकों को लौटाई नहीं जा सकती । यदि ऐसी जमीन का उपयोग न हो सके तो उसकी सार्वजनिक नीलामी की जानी चाहिए।

सिंह ने सीधे शरद पवार को इस मामले में घसीटते हुए कहा कि शरद पवार ने केंद्रीय कृषि मंत्री रहते हुए लवासा के एकांत नामक अतिथि गृह में तत्कालीन मुख्यमंत्री व अजीत पवार के साथ बैठक कर लवासा को ग्लोबल व फ्लोटिंग एफएसआई सहित कई प्रकार की छूटें दिलवाईं। सिंह ने कहा कि उक्त भूखंड सिटी लेक कार्पोरेशन को कौड़ियों के मोल देने का विरोध राजस्व विभाग के तत्कालीन प्रधान सचिव रमेश कुमार ने किया था। लेकिन तब के राजस्वमंत्री नारायण राणे ने उनकी आपत्तियों को नजरंदाज करते हुए अजीत पवार का ही साथ दिया ।

केजरीवाल को पता था सबकुछ

वाई पी सिंह का कहना है कि आईएसी नेता अरविंद केजरीवाल को शरद पवार के इस भूखंड घोटाले की जानकारी थी । इसलिए उम्मीद की जा रही थी वह रॉबर्ट वाड्रा एवं सलमान खुर्शीद के बाद शरद पवार का ही नाम लेंगे। लेकिन उन्होंने पवार का घोटाला उजागर करने के बजाय कल नितिन गडकरी पर किसानों की जमीन हड़पने का आरोप लगा दिया।

सिंह के अनुसार केजरीवाल द्वारा कल गडकरी पर लगाया गया किसानों की जमीन हड़पने का आरोप तकनीकी रूप से सही साबित नहीं होता । क्योंकि सुप्रीम कोर्ट के एक निर्णय के अनुसार अधीगृहीत जमीन दुबारा किसानों को लौटाई नहीं जा सकती थी। वाई.पी.सिंह के अनुसार 20 अप्रैल, 2009 को लवासा प्रकरण की जांच के लिए मेधा पाटकर द्वारा बनाई गई समिति में वह और अरविंद केजरीवाल साथ थे। इसलिए पवार परिवार द्वारा भूखंड हड़पने के मामले की 80 प्रतिशत जानकारी केजरीवाल को भी है। इसके बावजूद उन्होंने पवार का घोटाला उजागर करने के बजाय गडकरी का नाम लिया।

सिंह ने आशंका जताई कि केजरीवाल कांग्रेस के साथ-साथ भारतीय जनता पार्टी को भी बदनाम करके दिल्ली विधानसभा चुनाव में स्वयं साफ-सुथरी पार्टी के रूप में उभरना चाहते हैं। सिंह ने कहा कि वह केजरीवाल की तरह आरोप लगाकर चुप बैठनेवालों में से नहीं हैं। बल्कि वह लवासा का मामला पूरे तथ्यों के साथ भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को सौंपकर उससे प्राथमिकी दर्ज करने की मांग करेंगे। गौरतलब है कि आज वाई पी सिंह ने अपनी पत्नी आभा सिंह का परिचय अपनी वकील के रूप में करवाया।

आभा सिंह अब तक डाक विभाग में महाराष्ट्र एवं गोवा की निदेशक के रूप में कार्यरत रही हैं। अब उन्होंने भी वाई.पी.सिंह के नक्शेकदम पर अपनी नौकरी छोड़कर वकालत करने का फैसला किया है।

हमने नहीं हड़पी कोई जमीन: पवार

नई दिल्ली। कृषि मंत्री शरद पवार ने वाईपी सिंह के इस आरोप का खंडन किया है कि उन्होंने और उनके परिवार ने सियासी रसूख का फायदा उठाकर लवासा में किसानों से अधिगृहीत बेशकीमती जमीन कौड़ियों के मोल हासिल की।

पवार ने दावा किया कि उनके गृह जनपद में करीब तीन सौ एकड़ जमीन महाराष्ट्र की पर्वतीय शहर नीति के तहत एक प्रोजेक्ट के लिए दी गई थी। पवार ने बताया कि जमीन का 80 फीसद हिस्सा डूबक्षेत्र है और उसमें कोई निर्माण नहीं किया जा सकता। राकांपा प्रमुख ने माना कि उनकी बेटी सुप्रिया और दामाद सदानंद सुले का लवासा कॉरपोरेशन में हिस्सा था, लेकिन 2005-06 में उन्होंने अपनी हिस्सेदारी बेच दी थी। लवासा प्रोजेक्ट की तारीफ करते हुए पवार ने कहा कि स्वतंत्र भारत का यह पहला नियोजित हिल स्टेशन है। इससे पहले भारत में बसाए गए पर्वतीय शहर ब्रिटिश काल के हैं।

सिंचाई घोटाले को लेकर विपक्षी दलों के निशाने पर आई पवार की पार्टी ने शिवसेना-भाजपा सरकार के दौरान अस्तित्व में आए महाराष्ट्र के सभी सिंचाई निगमों पर श्वेत पत्र लाने की मांग की है। सिंचाई घोटाले की वजह से ही पवार के भतीजे को उप मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा।

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