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लक्ष्य और शौक का सटीक संतुलन हैं सिविल सेवा परीक्षा में 93वीं रैंक हासिल करने वाली ऐश्वर्या श्योरण

ब्यूटी विद ब्रेन का सटीक उदाहरण हैं सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया 93वां स्थान हासिल करने वाली 2016 में मिस इंडिया फाइनलिस्ट ऐश्वर्या श्योराण।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sat, 15 Aug 2020 02:21 PM (IST)Updated: Sat, 15 Aug 2020 02:22 PM (IST)
लक्ष्य और शौक का सटीक संतुलन हैं सिविल सेवा परीक्षा में 93वीं रैंक हासिल करने वाली ऐश्वर्या श्योरण
लक्ष्य और शौक का सटीक संतुलन हैं सिविल सेवा परीक्षा में 93वीं रैंक हासिल करने वाली ऐश्वर्या श्योरण

यशा माथुर। सिविल सेवा परीक्षा में ऑल इंडिया 93वां स्थान हासिल किया है ऐश्वर्या श्योराण ने। शुरू से उनका लक्ष्य आईएएस बनना था, लेकिन कॉलेज के दौरान जब मॉडलिंग का मौका मिला तो उन्होंने इस पल को भी अपना शत प्रतिशत दिया और 2016 में मिस इंडिया फाइनलिस्ट के तौर पर टॉप 21 में सेलेक्ट हुईं। कॉलेज खत्म होने पर सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी में जुट गईं और सही नीति बनाकर मंजिल हासिल की। ऐश्वर्या शौक और लक्ष्य का सही संतुलन बनानेवाली  शिक्षा को बदलाव की शुरुआत मानती हैं। 

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संतुलन से मिली सफलता

यूपीएससी में सफलता आसान नहीं है। ऐसे में ऐश्वर्या ने 10+8+6 का फॉर्मूला बनाया। वह कहती हैं, ‘यह फॉर्मूला दिखता जटिल है, लेकिन बहुत ही आसान है। मैंने अपनी तैयारी शुरू करने से पहले ही जान लिया था कि मैं दस घंटे से ज्यादा नहीं पढ़ सकती। फिजिकल और मेंटल हेल्थ के लिए हमें आठ घंटे तो सोना ही चाहिए। बचे छह घंटे में गाने सुनना, वॉक पर जाना आदि अपने शौक के लिए टाइम निकालती थी। यही संतुलित रूटीन रखकर मैंने तैयारी की, क्योंकि इस परीक्षा को पार करने के लिए आपको लंबी रेस का घोड़ा बनना पड़ता है। मैंने अपने इसी फॉर्मूले के साथ एक साल जमकर तैयारी की और मुझे 93वां स्थान मिला।’

मॉडलिंग ने बढ़ाया आत्मविश्वास

ऐश्वर्या ने शुरू से ही यूपीएससी की परीक्षा को उद्देश्य बनाया हुआ था। अपने लक्ष्य और मॉडलिंग के मौके के बारे में वह कहती हैं, ‘सिविल सेवा में जाना ही मेरा लक्ष्य था, बाकी जो मैंने किया वह आत्मविश्वास बढ़ाने के लिए किया। कॉलेज के दौरान कई गतिविधियों में भाग लेती थी। इनमें मॉडलिंग के अलावा डांस, सोशल सर्विस जैसे काम भी किए। वहीं मॉडलिंग के ऑफर मिले और मैं मिस इंडिया फाइनलिस्ट भी बनी।’

नहीं बनी तकनीक की गुलाम

ऐश्वर्या कहतीं हैं कि सोशल मीडिया का सही प्रयोग किया जाए तो उसका फायदा है, लेकिन तकनीक का गुलाम बनना नुकसान पहुंचाता है। वह कहती हैं, ‘बहुत सोच-समझकर मैंने सोशल मीडिया से हटने का फैसला किया, क्योंकि मुझे अपना समय सही जगह पर प्रयोग करना था। यह ऐसी परीक्षा है जिसमें अपना फोकस रखना होता है। मैंने इंटरनेट का उतना ही प्रयोग किया जितना पढ़ाई के लिए जरूरी था।’

समझें अपने साइबर अधिकार

सोशल मीडिया पर ऐश्वर्या के कई फेक एकाउंट्स हैं और उन्होंने इनके खिलाफ एफआईआर भी दर्ज करवाई है। वह मानती हैं कि हमें अपने साइबर अधिकारों का प्रयोग करना चाहिए। वह कहती हैं, ‘मेरे केस में फेक एकाउंट्स मेरा प्राइवेसी इश्यू था। मुझे लगा कि जब इसके लिए एक विभाग बना है तो समय रहते शिकायत कर दें ताकि कोई आपकी प्रतिष्ठा खराब न कर सके। यह अधिकार देश के हर नागरिक के पास है, लेकिन कई लोग इसके प्रति जागरूक नहीं हैं।’

शिक्षा से हो सही शुरुआत

आईएएस सर्विस मिलने पर उनका मुख्य फोकस किस तरफ होगा? के जवाब में ऐश्वर्या कहती हैं, ‘मैं सबसे ज्यादा महिलाओं के अधिकारों और शिक्षा की तरफ ध्यान दूंगी। मेरा मानना है कि अगर आपको देश बदलना है तो कक्षाओं से इसकी शुरुआत करनी होगी। हाल ही में आई नई शिक्षा नीति को उचित ढंग से लागू करने में पूरा योगदान दूंगी। इसके अलावा मुझे लगता है कि महिलाओं को वित्तीय रूप से आत्मनिर्भर होना चाहिए। जरूरी नहीं कि हर महिलाघर के बाहर जाकर काम करे। उन्हें होममेकर बनना है या कामकाजी, यह उनकी अपनी मर्जी हो और दोनों में ही बराबर का सम्मान मिले।’


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