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जानिए हवाई जहाज में एयरलाइंस कंपनी का खाना क्यों लगता है बेस्वाद

हवाई यात्रा के दौरान आमतौर पर यात्री बेकार खाने की शिकायत करते हैं। इसके लिए एयरलाइंस कंपनियों को जिम्मेदार बताया जाता है लेकिन इसके लिए आद्रता (Humidity) जिम्मेदार है।

By TaniskEdited By: Published: Wed, 17 Apr 2019 05:20 PM (IST)Updated: Wed, 17 Apr 2019 05:20 PM (IST)
जानिए हवाई जहाज में एयरलाइंस कंपनी का खाना क्यों लगता है बेस्वाद
जानिए हवाई जहाज में एयरलाइंस कंपनी का खाना क्यों लगता है बेस्वाद

नई दिल्ली, जेएनएन। हवाई यात्रा के दौरान आमतौर पर यात्री बेकार खाने की शिकायत करते हैं। इसके लिए हम एयरलाइंस को कोसते हैं। कहा जाता है कि एयरलाइंस कंपनी कॉस्ट कटिंग की नीति अपनाती हैं इस वजह से फ्लाइट में खाना अच्छा नहीं मिलता। लेकिन इसमें एयरलाइंस या उसके स्टाफ की कोई गलती नहीं होती। दरअसल, हवाई जहाज में भोजन का स्वाद इसलिए अच्छा नहीं लगता, क्योंकि आसमान में स्वाद में 20 से 50 फीसद की कमी आ जाती है। इसके लिए आद्रता (Humidity) जिम्मेदार है। इसका खुलासा एक अमेरिकी न्यूज नेटवर्क चेदर ने किया है।

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आद्रता में कमी का असर खाने पर 
चेडर के पैट्रिक जोन्स के अनुसार, हवाई जहाज में सूखापन ज्यादा होता है। हवाई जहाज के भीतर की हवा में केवल 20% आर्द्रता होती है। आद्रता में कमी का असर खाने पर पड़ता है। इससे खाने में सूखापन आ जाता है, जिससे खाने का स्वाद हमें नहीं मिल पाता। 

सूंघने की क्षमता इस तरह से काम करती है
पैट्रिक ने बताया कि हमारी सूंघने की क्षमता (sense of smell) हवा में नमी के हिसाब से काम करती है। अगर हवा में नमी नहीं है, तो आप किसी भी चीज का स्वाद उस तरह से नहीं ले पाएंगे जैसा आप जमीन पर लेते हैं। यानी एयरलाइंस कंपनी की वजह से हमें खराब खाना नहीं मिलता है। 

जमीन जैसा स्वाद नहीं मिल पाएगा
इसके अलावा एक अध्ययन में पाया गया कि हवाई जहाज में सूंघने की क्षमता ठीक उसी तरह की हो जाती है जैसे सर्दी जुकाम के दौरान रहती है। ऐसे में आप कुछ भी कर लीजिए। खाने को लजीज बनाने के लिए कितनी भी महंगी सामग्री इस्तेमाल क्यों न किया जाए, लेकिन जमीन जैसा स्वाद नहीं मिल पाएगा।

तेज शोर का असर
इसके अलावा, ऑक्सफोर्ड के एक मनोवैज्ञानिक द्वारा 2014 में किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि एक हवाई जहाज के अंदर लगातार तेज शोर का भी हमारे स्वाद पर असर पड़ता है। जमीन जैसा स्वाद लेने के लिए यहां के मुकाबले एयरलाइंस को लगभग 30% अधिक चीनी और नमक का इस्तेमाल करना होगा, लेकिन इसका असर हमारे स्वास्थ्य पर पड़ेगा।  


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