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एयरलाइन्स पर नहीं पड़ा कोई फर्क , त्यौहारों में काटी मनमाने किरायों की चांदी

त्यौहारों के मौसम में जब लोग हर हाल मेें अपने परिजनों के बीच खुशी के पल बिताना चाहते थे, तब एयरलाइनें उनकी जेब काटने में जुटी थीं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 04 Nov 2016 07:39 AM (IST)Updated: Fri, 04 Nov 2016 07:51 AM (IST)
एयरलाइन्स पर नहीं पड़ा कोई फर्क , त्यौहारों में काटी मनमाने किरायों की चांदी

संजय सिंह, नई दिल्ली।एयरलाइने यात्रियों की मजबूरी का फायदा फायदा उठाने से बाज नहीं आ रहीं हैं। त्यौहारों के मौसम में जब लोग हर हाल मेें अपने परिजनों के बीच खुशी के पल बिताना चाहते थे, तब एयरलाइनें उनकी जेब काटने में जुटी थीं। उन्होंने प्रमुख शहरों की उड़ानों के लिए सामान्य से दस-पंद्रह गुना तक किराये वसूले हैं।

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ट्रैवल साइट मेकमाईट्रिप डॉट कॉम के आंकड़ों के अनुसार त्यौहारों से पहले दिल्ली-मुंबई सेक्टर का न्यूनतम किराया 1,828 रुपये था। लेकिन त्यौहारों के दौरान एयरलाइनों ने इस सेक्टर की उड़ानों के लिए अधिकतम 16,562 रुपये तक का किराया वसूला। कुछ ऐसा ही हाल दिल्ली-बंगलूर सेक्टर का रहा जिसके लिए यात्रियों को 16,149 रुपये तक देने पड़े। त्यौहारों से पहले इस सेक्टर के टिकट 2,399 रुपये तक में उपलब्ध थे। सबसे ज्यादा मनमानी बंगलूर-हैदराबाद सेक्टर में हुई जिसका न्यूनतम किराया पहले 821 रुपये था। लेकिन त्यौहारों के दौरान यात्रियों को 15,452 रुपये तक देने पड़े।

बंगलूर-कोलकाता का किराया भी 19,729 रुपये तक ऊपर गया। जबकि पहले इसके टिकट 2029 रुपये तक में मिल रहे थे। मंुबई-चेन्नई सेक्टर की 1764 रुपये में होने वाली बुकिंग के लिए दीवाली पर 21,221 रुपये तक झटके गए। तकरीबन सभी एयरलाइने इस लूट में शामिल थीं।

त्यौहारों में दिल्ली-बंगलूर सेक्टर की मांग में सबसे ज्यादा 69 फीसद इजाफा हुआ। जबकि मुंबई-दिल्ली सेक्टर की मांग 62 फीसद बढ़ गई। दुर्गापूजा के दौरान कोलकाता जाने वाली उड़ानों में सामान्य से दूनी मांग रही। जबकि डांडिया व गरबा के लिए अहमदाबाद की बुकिंग डेढ़ गुना बढ़ गई। राजस्थान के जैसलमेर, बीकानेर, जोधपुर जैसे शहरों की बुकिंग में भी क्रमश: सात, छह और चार गुना का इजाफा देखा गया। गोवा की मांग 45 फीसद ज्यादा रही।

ट्रेनों में आरक्षण की समस्या व डायनामिक फेयर के कारण अब लोग वाराणसी, हरिद्वार (देहरादून) तथा तिरुपति शिरडी (औरंगाबाद) जैसे धार्मिक स्थलों के अलावा रांची, रायपुर जैसे आम शहरों के लिए भी उड़ानों का विकल्प आजमाने लगे हैं। फलस्वरूप एयरलाइनों का लोभ भी बढ़ गया है। तभी तो बृहस्पतिवार (3 नवंबर) को दिल्ली से तिरुपति की सबसे सस्ती फ्लाइट भी 13,313 रुपये (एलायंस एयर) में मिल रही थी। इसी तरह दिल्ली-देहरादून की बुकिंग 14,632 रुपये में और दिल्ली-वाराणसी की 17,092 रुपये (एयर इंडिया) में हो पा रही थी।

यह हाल तब है जब डीजीसीए हवाई किरायों की निगरानी कर रहा है। हर महीने एयरलाइने उसे विभिन्न सेक्टरों पर न्यूनतम और अधिकतम किरायों की सूची सौंपती हैं। संसद में भी कई मर्तबा सवाल उठाए जा चुके हैं। लेकिन एयरलाइनों पर कोई असर नहीं पड़ता। दरअसल, मनमाने किरायों के सवाल को सरकार हर बार प्रतिस्पद्र्धा और बाजार का वास्ता देकर टाल देती है। सांसदों के दबाव में सरकार ने 2014 में डीजीसीए से किरायों की पड़ताल करवाई थी। लेकिन रिपोर्ट में एयरलाइनों का क्लीन चिट दे दी गई। किरायों पर सीमाबंदी लागू करने के सवाल पर विमानन मंत्री अशोक पी गजपति राजू साफ कह चुके हैं कि, 'यदि न्यूनतम और अधिकतम की पाबंदी आयद की गई तो इससे किरायों के और बढ़ने का खतरा है।' इस मसले पर विमानन सचिव राजीव नयन चौबे तथा डीजीसीए भुल्लर से बात करने की भरसक कोशिश की गई, लेकिन दोनो लाइन पर नहीं आए।

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