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यूपीए सरकार का रूट आवंटन घोटाला: एयर इंडिया ने किया था विदेशी विमानों को लाभ पहुंचाने का विरोध

एयर इंडिया तथा भारत की निजी विमान कंपनियों की हालत फिलहाल अच्छी नहीं है और वे अब भी अपने बेड़ों के आधुनिकीकरण एवं विस्तार का प्रयास कर रही हैं।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Wed, 05 Jun 2019 11:22 PM (IST)Updated: Wed, 05 Jun 2019 11:22 PM (IST)
यूपीए सरकार का रूट आवंटन घोटाला: एयर इंडिया ने किया था विदेशी विमानों को लाभ पहुंचाने का विरोध
यूपीए सरकार का रूट आवंटन घोटाला: एयर इंडिया ने किया था विदेशी विमानों को लाभ पहुंचाने का विरोध

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। विदेशी विमान कंपनियों को द्विपक्षीय समझौतों के तहत लाभकारी रूट आबंटित करने के खिलाफ एयर इंडिया के एक वरिष्ठ अधिकारी ने 2010 में तत्कालीन यूपीए सरकार को पत्र लिखकर विरोध जताया था और इससे एयर इंडिया को संभावित नुकसान के बारे में आगाह किया था।

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इस संबंध में एयर इंडिया के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक (योजना एवं अंतरराष्ट्रीय संबंध) टीके पलित का उस समय विमानन मंत्रालय को लिखा गया पत्र सामने आया है। पत्र में पलित ने लिखा है, 'यदि द्विपक्षीय समझौतों के तहत दक्षिण पूर्व एशियाई देशों तथा खाड़ी देशों की विमान कंपनियों को अपनी क्षमता बढ़ाने का और अधिकार दिया जाता है तो इससे भारतीय विमान कंपनियों को और नुकसान होगा।'

उस समय एयर इंडिया का कहना था कि भारत को तथा भारत से उड़ाने भरने वाली विदेशी विमान कंपनियां एयर इंडिया तथा अन्य भारतीय विमान कंपनियों के मुकाबले काफी सशक्त हैं। उनके पास विशाल बेड़े के अलावा अपेक्षाकृत बड़ा नेटवर्क और अपने खुद के देशों में सुविकसित हवाई अड्डे हैं। इसके अलावा विदेशी विमान कंपनियों के पास नकदी की कोई कमी नहीं है और वे सीट फैक्टर में गिरावट को लंबे समय तक बर्दाश्त कर सकती हैं। उन्हें अपनी सरकारों से वित्तीय एवं अन्य मदद मिलती है।

एयर इंडिया तथा भारत की निजी विमान कंपनियों की हालत फिलहाल अच्छी नहीं है और वे अब भी अपने बेड़ों के आधुनिकीकरण एवं विस्तार का प्रयास कर रही हैं।

एयर इंडिया का कहना था कि जनवरी, 2004 से अप्रैल, 2010 के छह वर्षो की लंबी अवधि के दौरान द्विपक्षीय समझौतों के तहत विदेशी विमान कंपनियों की क्षमता 2.28 करोड़ से बढ़कर 8.35 करोड़ वन वे सीट हो गई। यह 266.5 फीसद औसत वार्षिक वृद्धि को दर्शाता है। हालांकि वास्तविक वृद्धि इससे भी कहीं ज्यादा रही है। ऐसा इसलिए संभव हुआ क्योंकि कुछ समझौतों के तहत विदेशी विमान कंपनियों को भारत में तथा भारत से होने वाली उड़ानों में असीमित सीटें बढ़ाने के साथ भारत के महत्वपूर्ण शहरों तक पहंुच बनाने का मौका दिया गया।

विदेशी विमान कंपनियों ने 6ठे फ्रीडम राइट्स का भी इस्तेमाल किया जिसके तहत उन्हें किसी दूसरे देश से किसी अन्य देश के बीच अपने देश से होकर उड़ाने भरने का मौका मिलता है। इसका फायदा उठाते हुए खाड़ी देशों की एमीरेट्स और कतर एयरवेज जैसी कंपनियों ने भारत से यूरोप और अमेरिका के लिए लंबी दूरी की यात्रा शुरू कर दी।

ईडी के सामने आज पेश होंगे प्रफुल्ल पटेल

गौरतलब है कि यूपीए सरकार पर अपने फैसले से विदेशी विमान कंपनियों को फायदा पहुंचाने और एयर इंडिया को घाटे में लाने के आरोप लगते रहे हैं। इस संबंध में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने तत्कालीन विमानन मंत्री प्रफुल्ल पटेल को गुरुवार को पूछताछ के लिए बुलाया है। जहां उनसे एविएशन लॉबिस्ट दीपक तलवार के साथ हुए मेल व फोन पर संवाद को लेकर सवाल पूछे जाने की संभावना है। तलवार पर विदेशी विमान कंपनियों को द्विपक्षीय समझौतों के जरिये लाभ पहुंचाने में बिचौलिये की भूमिका निभाने का शक है। गुरुवार को पटेल प्रेस कांफ्रेंस भी कर सकते हैं।

पटेल समर्थक विमानन विशेषज्ञों का कहना है कि किसी भी सरकार की प्राथमिकता हवाई सेवाओं के विस्तार के साथ हवाई किराया में कमी लाने और यात्रियों को ज्यादा विकल्प देने की होती है। सरकार किसी एक विमान कंपनी के फायदे को ध्यान में रखकर फैसला नहीं लेती। भारत में हवाई किराए में कमी यूं ही नहीं आई है। 

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