पराली से अब नहीं फैलेगा वायु प्रदूषण, जानिए, विशेषज्ञों ने दिए ये सुझाव
पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने की बजाय सरकार को पंजाब और हरियाणा के किसानों के बीच जागरुकता फैलाने की जरूरत है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने से बढ़े वायु प्रदूषण की वजह से समूचा उत्तर भारत हलकान है। इस गंभीर चुनौती से निपटने के लिए पूना की फसल पोषण कीट प्रबंधन की विशेषज्ञ कंपनी कैन बायोसिस आगे आई है। उसका दावा है माइक्रोब्स फार्मूलेशन वाली से तैयार स्पीड कंपोस्ट पराली की समस्या का माकूल समाधान करने में सक्षम है। इससे पंजाब व हरियाणा की लगभग कार्बन रहित हो चुकी मिट्टी की जैव उर्वरता बढ़ जाएगी।
'स्पीड कंपोस्ट' है समस्या का समाधान
माइक्रो बॉयलॉजी की वैज्ञानिक और कंपनी की प्रबंध निदेशक डॉक्टर संदीपा कानितकर को पूरा यकीन है कि उनके इस उत्पाद से समस्या का पूरा समाधान हो जाएगा। चार किलो स्पीड पोस्ट जैविक माइक्रोब्स और 50 किलो यूरिया एक एकड़ की पराली को सड़ाने के लिए पर्याप्त है।
पराली 15 दिन में जैविक खाद में तब्दील हो जाएगी
खेत को रोटावेटर से जोतकर पानी भर दें तो पराली जैविक खाद में तब्दील हो जाएगी। इसमें कुल 15 दिन का समय लगेगा। उन्होंने एक सवाल के जवाब में बताया कि स्पीड कंपोस्ट में सेल्युलोज डिग्रेडिंग, स्टार्च डिग्रेडिंग, प्रोटीन डिग्रेडिंग बैक्टीरिया और फंगी का खास मिश्रण होता है। ये माइक्रोब्स जब पराली के हीप में पहुंचते हैं तो इससे कोशिकाएं अंकुरित होती है, जिसमें पराली में सड़न पैदा हो जाती है।
पराली से कंपोस्ट बनाकर मिट्टी से कार्बन कमी की समस्या खत्म हो जाएगी
उन्होंने बताया कि पंजाब और हरियाणा की मिट्टी से कार्बन खत्म हो गया है, जिसे बढ़ाने के लिए कुछ नहीं किया जा रहा है। पराली से कंपोस्ट बनाकर इस कमी को पूरा किया जा सकता है, लेकिन मामले उल्टा हो रहा है। इससे बचा खुचा कार्बन भी खत्म हो रहा है, जिससे मिट्टी के बंजर होने का खतरा है।
फर्टिलाइजर का लाभ फसलों को नहीं मिल रहा
कार्बन की कमी से खेतों में डाली जा फर्टिलाइजर का लाभ फसलों को नहीं मिल पा रहा है। मिट्टी में नमी नहीं रुक पा रही है। फर्टिलाइजर का बड़ा हिस्सा भूजल के साथ नदियों व जलाशयों के पानी को दूषित कर रहा है। कानितकर का कहना है कि पराली जलाने पर प्रतिबंध लगाने की बजाय सरकार को किसानों के बीच जागरुकता फैलाने की जरूरत है।