शादीशुदा जिंदगी पर असर डाल रहा पोल्यूशन, एक्सपर्ट्स ने किया दावा जानिए- इसके लक्षण
Delhi Air pollution उत्तर भारत के राज्यों यूपी-बिहार राजस्थान और हरियाणा के 30 करोड़ से अधिक लोगों पर वायु प्रदूषण इन दिनों अपना बेहद बुरा प्रभाव डाल रहा है।
नई दिल्ली [जागरण स्पेशल]। Delhi Air pollution: दिल्ली-एनसीआर ही नहीं, बल्कि उत्तर भारत के राज्यों यूपी-बिहार, राजस्थान और हरियाणा के 30 करोड़ से अधिक लोगों पर वायु प्रदूषण इन दिनों अपना बेहद बुरा प्रभाव डाल रहा है। इससे न केवल लोगों की जान तक जा रही है, बल्कि बच्चे-बुजुर्ग भी इसकी जद में आ रहे हैं। इतना ही नहीं, इससे शादीशुदा जिंदगी तक प्रभावित हो रही है। फर्टिलिटी एक्सपर्ट की मानें तो दिल्ली-यूपी, बिहार, राजस्थान और हरियाणा की हवा में प्रदूषण की मात्रा इस कदर खतरनाक स्तर पर पहुंच चुकी है कि इससे पति-पत्नी के शारीरिक संबंध बनाने की क्षमता प्रभावित हो रही है।
शरीर में हार्मोंस को प्रभावित कर रहा प्रदूषण
फर्टिलिटी एक्सपर्ट का कहना है कि हवा में घुले प्रदूषित तत्व जब भारी मात्रा में सांसों के जरिये घुल जाते हैं तो वे सीधे लोगों के हार्मोंस को प्रभावित करते हैं, चाहे वह पुरुष हो या महिला। हां यह भी गौर करने वाली बात है कि पुरुष के हार्मोंस प्रदूषण से ज्यादा प्रभावित होते हैं।
कुछ एक्सपर्स का माना है कि प्रदूषण शादीशुदा जीवन पर सर्वाधिक असर डालता है। जिससे शादीशुदा जीवन तक प्रभावित हो सकता है। बढ़ते प्रदूषण के दौरान शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा प्रभावित होती है। वायु प्रदूषण के दौरान शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा 30 फीसद तक कम हो जाती है। इसमें सबसे खतरनाक बात यह है कि यह आकड़ा 30 फीसद से आगे जा चुका है।
दरअसल, हवा में घुले हाइड्रोकाबर्न्स, लैड कैडमियम, मरकरी हार्मोंस का संतुलन बिगाड़ देते हैं और स्पर्म को भी प्रभावित करते हैं और फिर अचानक शारीरिक संबंध बनाने की इच्छा में कमी आ जाती है।
गर्भवती महिलाओं के लिए खतरनाक है प्रदूषण
डॉक्टर मीनू अग्रवाल (स्त्री रोग विशेषज्ञ, आइवरी अस्पताल, ग्रेटर नोएडा) का मानना है कि प्रदूषण न केवल शारीरिक रूप से बल्कि मानसिक रूप से भी लोगों को प्रभावित करता है। गर्भवती महिला के पेट में पल रहा जीव भी इससे अछूता नहीं है। स्थिति यह है कि कई बार पेट में पल रहा भ्रूण भी प्रदूषण का कहर नहीं झेल पाता और महिला की में ही दम तोड़ देता है। यही वजह है कि महिलाओं में खासकर उत्तर भारत में गर्भपात जैसी समस्याएं तेजी से बढ़ी हैं। वायु में बढ़ते प्रदूषण की वजह से महिलाओं में गर्भपात की समस्याओं के साथ जो बच्चे जन्म लेते हैं उनके कम वजन के लिए प्रदूषण एक बड़ा जिम्मेदार कारक है।
28 लाख महिलाओं को शामिल किया गया अध्ययन में
स्टेट ऑफ ग्लोबल ईयर 2029 के अध्ययन में सामने आया है कि भारत में प्रत्येक वर्ष 12.4 लाख लोग प्रदूषण की चपेट में आ रहे हैं। वहीं, इस अध्ययन में 28 लाख महिलाओं को शामिल किया गया, जो किसी भी तरह का नशा नहीं करती थीं, खासकर सिगरेट-शराब का सेवन। इस शोध में पता चला कि प्रदूषण (ब्लैक कार्बन) मां की सांसों के जरिये पेट में पल रहे बच्चे तक पहुंच जाते हैं। यह अध्ययन बेल्जियम में हुआ। इसमें हाइ रिजोल्यूशन इमेजिंग तकनीक का इस्तेमाल हुआ था, जिसमें इस तकनीक की मदद से गर्भपात (प्लेसेंटा) के नमनों का स्कैन किया जाता है। इस अध्ययन में सामने आया कि कार्बन के कण चमकदार सफेद रोशन में बदल और जिसे मापा भी गया। इसमें यह खुलासा हुआ कि यह काल कार्बन के कण वायु प्रदूषण की ओर इशारा कर रहे थे।
ब्लैक कार्बन बना खतरा
वहीं, डॉ. नरेंद्र सैनी (पूर्व महासचिव, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन) की मानें तो गर्भवती महिलाओं की सांसों और रक्त नलिकाओं के जरिये अजन्मे बच्चे प्रभावित होते हैं। नरेंद्र सिंह का यह भी मानना है कि इसमें कोई दो राय नहीं कि ब्लैक कार्बन के महिलाओं में गर्भवात की बड़ी वजह हैं।
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