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एयर इंडिया में कर्मचारियों को पांच वर्षों तक 'लीव विदाउट पे' पर भेजने को मंजूरी, ऐसे होगा चयन

एयर इंडिया में दो वर्षों तक एलडब्ल्यूपी की योजना अवधि पांच वर्षों तक बढ़ाई जा सकती है। कार्यकुशलता उम्र उपयोगिता और अन्य मानकों पर होगा कर्मचारियों का चयन।

By Tilak RajEdited By: Published: Thu, 16 Jul 2020 12:22 AM (IST)Updated: Thu, 16 Jul 2020 12:22 AM (IST)
एयर इंडिया में कर्मचारियों को पांच वर्षों तक 'लीव विदाउट पे' पर भेजने को मंजूरी, ऐसे होगा चयन
एयर इंडिया में कर्मचारियों को पांच वर्षों तक 'लीव विदाउट पे' पर भेजने को मंजूरी, ऐसे होगा चयन

नई दिल्ली, प्रेट्र। सरकारी विमानन कंपनी एयर इंडिया ने अपने कुछ कर्मचारियों को छह महीनों से लेकर पांच वर्षों तक के लिए अवैतनिक अवकाश (लीव विदाउट पे या एलडब्ल्यूपी) पर भेजने की एक योजना को मंजूरी दे दी है। इसके तहत अवकाश पर भेजे जाने वाले कर्मचारियों का चयन उनकी कार्य कुशलता, उम्र और उपयोगिता के हिसाब से किया जाएगा।

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कंपनी ने कहा है कि उसके निदेशक बोर्ड ने कर्मचारियों को छह महीनों से लेकर दो वर्षों तक बिना वेतन के छुट्टी पर भेजने के लिए चेयरमैन व एमडी राजीव बंसल को अधिकृत कर दिया है। इस अवधि को पांच वर्षों तक के लिए बढ़ाया जा सकता है। इसके लिए कर्मचारियों की चयन प्रक्रिया में कार्य के दौरान प्रदर्शन की गुणवत्ता, अतीत में कार्य के दौरान अनुपलब्धता, खराब स्वास्थ्य और इस तरह के अन्य कारकों को भी ध्यान में रखा जाएगा।

कंपनी ने 14 जुलाई को जारी अपने आदेश में कहा कि एयर इंडिया के मुख्यालय स्थित विभागों के प्रमुख तथा क्षेत्रीय निदेशकों से कहा गया है कि वे चुनिंदा मानकों पर कर्मचारियों की पहचान करें और उन्हें एलडब्ल्यूपी के लिए कार्मिक विभाग के महाप्रबंधक के पास भेज दें। उसके बाद चेयरमैन व एमडी राजीव बंसल इस पर अंतिम फैसला लेंगे। हालांकि, कंपनी के प्रवक्ता ने इस मामले पर प्रतिक्रिया देने से इन्कार कर दिया है।

गौरतलब है कि विमानन सेक्टर कोरोना संकट से सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्रों में शामिल है। देश की सभी विमानन कंपनियां इस वक्त खर्च घटाने के विभिन्न उपायों पर काम कर रही हैं। गोएयर ने अपने ज्यादातर कर्मचारियों को इस वर्ष अप्रैल से ही एलडब्ल्यूपी पर भेज रखा है।

मुश्किल में भारतीय विमानन उद्योग

भारतीय विमानन उद्योग का परिदृश्य चुनौतीपूर्ण है। क्रिसिल रिसर्च की एक रिपोर्ट में ऐसी आशंका जताई गई है कि चालू वित्त वर्ष के अलावा अगले दो वित्त वर्षों को मिलाकर विमानन कंपनियों की आय में 1.3 लाख करोड़ रुपये तक की गिरावट आ सकती है। रिपोर्ट के मुताबिक, कोरोना महामारी की वजह से वीजा और यात्राओं पर लगाई गई पाबंदियों का दुनियाभर के विमानन उद्योग पर गहरा असर हो रहा है। दिक्कत यह है कि हालात सामान्य होने की स्थिति में भी कम से कम मध्यम अवधि में इस नुकसान की भरपाई होने की उम्मीद नहीं है।


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