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एयर इंडिया ने रचा इतिहास, उत्‍तरी ध्रुव से उड़ान भरने वाली पहली भारतीय एयरलाइन बनी

Air India created history एयर इंडिया के बोईंग-777 एयरक्राफ्ट ने कल यानी 15 अगस्‍त को उत्‍तरी ध्रुव के ऊपर से उड़ान भरी और इतिहास रच दिया।

By Krishna Bihari SinghEdited By: Published: Fri, 16 Aug 2019 10:01 AM (IST)Updated: Fri, 16 Aug 2019 01:27 PM (IST)
एयर इंडिया ने रचा इतिहास, उत्‍तरी ध्रुव से उड़ान भरने वाली पहली भारतीय एयरलाइन बनी
एयर इंडिया ने रचा इतिहास, उत्‍तरी ध्रुव से उड़ान भरने वाली पहली भारतीय एयरलाइन बनी

नई दिल्‍ली, एजेंसी। एयर इंडिया ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एक नया कीर्तिमान स्‍थापित किया है। एयर इंडिया के बोईंग-777 एयरक्राफ्ट ने कल यानी 15 अगस्‍त को उत्‍तरी ध्रुव के ऊपर से उड़ान भरी और इतिहास रच दिया। इस उपलब्धि के साथ ही एयर इंडिया ध्रुवीय क्षेत्र से कमर्शल फ्लाइट उड़ाने वाली पहली भारतीय एयरलाइन बन गई है। एयर इंडिया के लिए यहउपलब्धि एक बड़ा मील का पत्थर मानी जा रही है। बताया जाता है कि यह रास्ता सैन फ्रांसिस्को जाने वाले सामान्य रास्ते के मुकाबले छोटा किंतु बेहद चुनौतीपूर्ण है। भारतीय विमानन क्षेत्र के लिए भी उपलब्धि ऐतिहासिक है।  

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प्राप्‍त जानकारी के मुताबिक, दिल्ली से सैन फ्रैंसिस्को की फ्लाइट AI-173 सुबह चार बजे 243 यात्रियों के साथ पाकिस्तान, अफगानिस्तान, कजाकिस्तान, रूस के ऊपर से उड़कर 12.27 बजे नॉर्थ पोल से गुजरी। इस कीर्तिमान के साथ एयर इंडिया अमेरिका के लिए तीनो रूटों का इस्तेमाल करने वाली विश्व की पहली एयरलाइन बन गई। अभी मध्य पूर्व में केवल एतिहाद एयरलाइन ही अमेरिका जाने के लिए उत्तरी ध्रुव के रास्ते का इस्तेमाल करती है।  

सनद रहे कि अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण होने की वजह से दिशा की सही जानकारी देने वाले चुंबकीय कंपास भी उत्‍तरी ध्रुव के ऊपर काम करना बंद कर देते हैं। ऐसे में विमान में लगे अत्याधुनिक उपकरण और जीपीएस से उपलब्‍ध डेटा ही पायलट को उपलब्ध होता है। इसी की मदद से पायलट सही रास्‍ते पर उड़ान भरते रहने का फैसला करते हैं। यही नहीं उत्‍तरी ध्रुव पर तापमान हमेशा माइन दहाई अंकों में होता है। इससे विमान के ईंधन के जमने का खतरा भी होता है। 

इन सबके अलावा सौर विकिरण का भी बड़ा खतरा बना रहता है। विशेषज्ञों की मानें तो उत्तरी ध्रुव के छोटे रास्ते से सैन फ्रांसिस्को की उड़ान में दूरी और समय की बचत के साथ ईधन की बचत भी होगी। इसके अलावा कार्बन उत्सर्जन में भी कमी आएगी। एयर इंडिया के सूत्रों ने बताया कि उत्तरी ध्रुव के रास्ते उड़ान भरने पर कार्बन उत्सर्जन में 6000-21000 किलोग्राम तक की कमी आने की संभावना है। 

एयर इंडिया के विमान ने दिल्ली से किर्गिस्तान, कजाखिस्तान, रूस होकर अटलांटिक महासागर को पार करके कनाडा होते हुए अमेरिका में प्रवेश किया। जबकि सामान्य रास्ता दिल्ली से बांग्लादेश, म्यांमार, चीन और जापान होकर जाता है और विमान को प्रशांत महासागर पार करने के बाद अमेरिका में प्रवेश मिलता है। उत्तरी ध्रुव के ऊपर से उड़ान भरने की चुनौती उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने देश की सभी एयरलाइनों के समक्ष रखी थी। इस बारे में छह अगस्त को उसकी ओर से सर्कुलर भी जारी किया गया था, लेकिन एयर इंडिया के अलावा किसी निजी एयरलाइन ने इसके लिए हिम्मत नहीं दिखाई।


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