पाकिस्तान और चीन पर रहेगी पैनी नजर, ये खास 'विंगमैन' करेगा वायुसेना फाइटरों की मदद
वायुसेना के लड़ाकू विमान पाकिस्तानी और चीनी सीमा क्षेत्र के नजदीक तैनात किए जा सकेंगे। IAF के फाइटर प्लेन के साथ ही मानव रहित विंगमैन भी रहेगा, जोकि सशस्त्र गुप्त ड्रोन है।
नई दिल्ली, जेएनएन। अब से एक दशक बाद भारतीय वायुसेना (IAF) के लड़ाकू विमान पाकिस्तान और चीन की काफी नजदीक से निगरानी कर सकेंगे। कहा जा रहा है कि वायुसेना के लड़ाकू विमान पाकिस्तानी और चीनी सीमा क्षेत्र के नजदीक तैनात किए जा सकेंगे। IAF के फाइटर प्लेन के साथ ही मानव रहित 'विंगमैन' भी रहेगा, जोकि सशस्त्र गुप्त ड्रोन है। ये ड्रोन वायुसेना के फाइटर प्लेन के साथ मिलकर दुश्मनों के लक्ष्य पर पैनी नजर रखेंगे। फाइटर प्लेन के साथ करीब तीन या उससे अधिक ड्रोन मौजूद रहेंगे।
हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स की अगुवाई में बनाई जा रही परियोजना में शामिल प्रमुख डिजाइनरों में से एक का कहना है, 'ये प्लेटफॉर्म भारी रक्षा,एकीकृत वायु रक्षा नेटवर्क के खिलाफ उठाया गया पहला कदम होगा।' एक भारतीय रक्षा स्टार्टअप भी इस मिशन टीम का हिस्सा है। शुरुआत में प्रत्येक ड्रोन सटीक-निर्देशित हथियार से लैस होगा, जैसे कि हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइल या लेजर-गाइडेड बम। प्लेटफॉर्म के भविष्य के संस्करण दुश्मन के लड़ाकू विमानों को निशाना बनाने के लिए हवा से हवा में मिसाइल दागने में भी सक्षम होंगे।
आसान शब्दों में कहें तो, मानवरहित विंगमैन एक भारी-उन्नत IAF जगुआर फाइटर बॉम्बर (जगुआर मैक्स कहा जाता है) से जुड़ा होगा। विमान उड़ा रहे पायलट प्रत्येक मानव रहित ड्रोन को खास निर्देश देंगे, जोकि फाइटर प्लेन के साथ उड़ान भरेंगे। डिजाइन टीम के प्रमुख डिजाइनर का कहना है, 'मानव रहित विंगमैन दुश्मन के हवाई क्षेत्र, रडार साइटों और दुश्मन की सतह से हवा में मार करने वाले मिसाइल लॉन्चर को निशाना बना सकता है।'
ड्रोन की खासियत बताते हुए डिजाइन टीम के सदस्य ने कहा, 'न केवल वे (ड्रोन) प्रत्येक मिशन में आक्रामक गोलाबारी का प्रसार बढ़ाते हैं,बल्कि वे संभावित दुर्घटना को भी कम करते हैं, क्योंकि वे मानव रहित विमान हैं।' उन्होंने बताया, 'प्रत्येक ड्रोन अपने स्वयं के रेडार और सेंसर से भी सुसज्जित है। इसकी मदद से डाटा-लिंक के माध्यम से जगुआर फाइटर तक सीमा क्षेत्रों की सूचना मिलेगी और यह क्षेत्र में सभी लक्ष्यों और खतरों की सिजुएशनल फोटो पायलट तक पहुंचेगी।
'मानव रहित विंगमैन'' ड्रोन की अवधारणा एक ऐसे समय में सामने आई है जब भारतीय वायु सेना अपने भीतर की कमी से (लड़ाकू स्क्वाड्रन) जूझ रही है। कुछ रिपोर्टों में कहा गया है कि भारतीय वायुसेना को कम से कम 200 और अधिक लड़ाकू जेटों की आवश्यकता है ताकि चीन के खतरे का मुकाबला किया जा सके। एचएएल द्वारा डिजाइन प्रत्येक मानव रहित विंगमैन को 5 मिलियन डॉलर की लागत से तैयार होने का अनुमान लगाया जा रहा है। यह राफेल जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों की लागत का एक अंश है।