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राहुल के भी चाणक्य होंगे अहमद पटेल

अहमदाबाद [राजकिशोर]। सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के बारे में कहा जाता है कि वह जो करना चाहते हैं, वह न कभी कहते हैं और न करते दिखते हैं। कांग्रेस के दिग्गज मानते हैं कि सियासत की शतरंज पर एपी या अहमद भाई ऐसी बिसात बिछाते हैं कि सारे मोहरे उनके इशारों पर चलने को मजबूर होते हैं। अब जबकि कांग्रेस अध्यक्ष के चाणक्य कहे जाने वाले पटेल गुजरात में जब दम लगा रहे हैं तो माना जा रहा है कि इसका असर दिल्ली में दिखाई पड़ेगा।

By Edited By: Published: Fri, 14 Dec 2012 07:56 PM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2012 08:00 PM (IST)
राहुल के भी चाणक्य होंगे अहमद पटेल

अहमदाबाद [राजकिशोर]। सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल के बारे में कहा जाता है कि वह जो करना चाहते हैं, वह न कभी कहते हैं और न करते दिखते हैं। कांग्रेस के दिग्गज मानते हैं कि सियासत की शतरंज पर एपी या अहमद भाई ऐसी बिसात बिछाते हैं कि सारे मोहरे उनके इशारों पर चलने को मजबूर होते हैं। अब जबकि कांग्रेस अध्यक्ष के चाणक्य कहे जाने वाले पटेल गुजरात में जब दम लगा रहे हैं तो माना जा रहा है कि इसका असर दिल्ली में दिखाई पड़ेगा।

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कुशल रणनीतिकार से खुली जीप में घूमकर भीड़ जुटाने वाले जननेता के अवतार में खुद को पेश कर मानो उन्होंने पूरी कांग्रेस को संदेश दिया है कि उनकी मौजूदा भूमिका सोनिया की मर्जी और जरूरत के अनुरूप थी। साथ ही सोनिया और राहुल गांधी में कोई फर्क न बताकर उन्होंने यह भी संदेश दिया है कि कांग्रेस नेतृत्व में बदलाव के बाद भी उनकी चाणक्य की भूमिका नहीं बदलने वाली। सोनिया के बाद राहुल की बढ़ती भूमिका के बीच कांग्रेस में नए चाणक्य की चर्चाओं को अहमद ने इस तरह विराम देने की कोशिश की है।

गुजरात में नरेंद्र मोदी के आगे किसी का जादू नहीं चलता। सोनिया या राहुल की बड़ी सभाओं में भी वैसी प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिलती जैसा कि मोदी का जादू सबके सिर चढ़कर बोलता है। गुजरात में मोदी युग शुरू होने के बाद यह पहली बार था कि कांग्रेस का कोई नेता इतनी भीड़ खींच रहा था और उससे सीधे संवाद स्थापित कर रहा था। मोदी के अलावा अहमद ही जाहिर तौर पर ऐसे नेता रहे कि जिन्होंने नेशनल मीडिया को भी अपनी तरफ खींचा। अपने जन्मस्थान वाले इलाके भरूच में पहले उन्होंने सड़कों पर शक्ति प्रदर्शन दिखाया। साथ ही नरेंद्र मोदी पर शायराना अंदाज में हमले किए। गुजरात के मुख्यमंत्री को खुद पर हमले के लिए मजबूर किया। मोदी ने भी उन्हें बेशक चुनौती दी, लेकिन यह भी कह दिया कि वह कांग्रेस के गुजरात के सबसे बड़े नेता हैं। अहमद पटेल की वक्तृत्व कला का प्रदर्शन भी पहली बार हुआ। जब पूछा गया कि पहले तो ऐसे उनको कभी नहीं देखा गया तो उन्होंने तुरंत याद दिलाया कि वह तीन बार विधायक चुने गए और वह जनता के बीच की राजनीति करते रहे।

पिछले 10 वर्षो से अपनी रणनीतिकार की भूमिका तक सीमित रहने पर उन्होंने इशारों में कह दिया कि यह कांग्रेस अध्यक्ष की मर्जी के अनुरूप था। खुद को पार्टी की जरूरत के मुताबिक काम करने वाला सिपाही करार देते हुए उन्होंने यह भी जताया कि राहुल गांधी के साथ भी उनकी भूमिका में फर्क नहीं पड़ने वाला। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि मैंने राजीव गांधी के साथ काम किया, फिर सोनिया गांधी के साथ काम रहा हूं। मेरे लिए सोनिया और राहुल में कोई फर्क नहीं है। अहमद यह यूं ही नहीं कह रहे, उत्तर प्रदेश चुनाव के समय राहुल गांधी का कार्यालय बिल्कुल कांग्रेस संगठन के समानांतर काम करता था। उसका कार्यक्रम बस पार्टी को बताया जाता था। अब हालात अलहदा हैं। राहुल का कार्यक्रम तय करने से लेकर अगली रणनीति तक में अहमद पूरी तरह मसरूफ रहते हैं।

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