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सुरक्षा परिषद में आतंकवाद के खात्मे पर जोर देगा भारत, ब्रिटेन के साथ मिलकर बनाई रणनीति

संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद(UNSC) के अस्थायी सदस्य के रूप में पदभार ग्रहण करने से पहले भारत ने ब्रिटेन के साथ मिलकर अपनी रणनीति बनाई है। भारत ने अपनी प्राथमिकताएं बताई है। इस पर दोनों देशों के बीच चर्चा हुई।

By Shashank PandeyEdited By: Published: Sun, 20 Dec 2020 09:22 AM (IST)Updated: Sun, 20 Dec 2020 09:22 AM (IST)
सुरक्षा परिषद में आतंकवाद के खात्मे पर जोर देगा भारत, ब्रिटेन के साथ मिलकर बनाई रणनीति
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का अस्थायी सदस्य भारत। (फोटो: दैनिक जागरण)

नई दिल्ली, प्रेट्र। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद(UNSC) के अस्थायी सदस्य के रूप में पदभार ग्रहण करने से पहले भारत ने प्राथमिकताओं पर ब्रिटेन से चर्चा की है। दोनों देशों ने विश्व की इस सबसे शक्तिशाली इकाई की कार्यसूची पर विचारों का आदान-प्रदान किया। भारत सुरक्षा परिषद में भी आतंकवाद के खिलाफ अपना अभियान जारी रखेगा। ब्रिटेन समेत पांच देश सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य हैं। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई इस वार्ता में आतंकवाद पर मुख्य रूप से चर्चा हुई।

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दोनों देशों ने आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव और उसके रोकथाम के उपायों पर चर्चा की। भारतीय अधिकारियों ने अपने ब्रिटिश समकक्षों को अपनी कार्यसूची के बारे में बताया। बताया कि भारत का जोर आतंकवाद के खात्मे के प्रयासों पर रहेगा। जबकि ब्रिटेन ने बताया कि कुछ समय बाद वह सुरक्षा परिषद के अध्यक्ष के रूप में पर्यावरण, सुरक्षा, महिला सशक्तीकरण और गरीब देशों में छिड़े संघर्ष पर ध्यान केंद्रित करेगा।

दोनों देशों ने अगले दो साल साथ मिलकर कार्य करने का फैसला किया। अस्थायी सदस्य के रूप में भारत का कार्यकाल दो साल का होगा। सुरक्षा परिषद कूटनीतिक प्रयास से विवादों को सुलझाने का कार्य करता है और फैसले लेता है। वार्ता में ब्रिटिश प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में डायरेक्टर जेम्स कारियूकी और भारतीय दल का नेतृत्व विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव प्रकाश गुप्ता कर रहे थे। वार्ता की शुरुआत में ब्रिटिश दल के प्रमुख ने सुरक्षा परिषद में भारत के चुनाव पर बधाई दी।

ब्रिटेन के साथ 2 साल से पहले मुक्त व्यापार समझौता संभव नहीं

वाणिज्य व उद्योग मंत्री पीयूष गोयल का मानना है कि ब्रिटेन के साथ मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) होने में कम से कम दो साल का समय लग सकता है। इसकी वजह है कि किसी भी एफटीए को करने में कई दृष्टिकोण पर विचार करना होता है।ब्रेक्जिट के बाद भारत और ब्रिटेन के कारोबारी रिश्तों पर औद्योगिक संगठन सीआइआइ द्वारा आयोजित सत्र में दोनों देशों के बीच एफटीए की समय सीमा के बारे में गोयल ने कहा कि यह उनके लिए खुशी की बात होगी, अगर यह एफटीए अगले साल तक हो जाता है।


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