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VIDEO: AgVa ने दिया वेंटिलेटर का डेमो, लगाए गए आरोपों को बताया विदेशी साजिश

भारतीय कंपनी AgVa के वेंटिलेटर में तकनीकी खराबी समेत कई आरोप लगाए गए थे जिसके बाद कंपनी के कोफाउंडर ने डेमो देकर कहा कि आरोपों के पीछे है विदेशी साजिश।

By Monika MinalEdited By: Published: Tue, 07 Jul 2020 03:53 PM (IST)Updated: Tue, 07 Jul 2020 03:53 PM (IST)
VIDEO: AgVa ने दिया वेंटिलेटर का डेमो, लगाए गए आरोपों को बताया विदेशी साजिश
VIDEO: AgVa ने दिया वेंटिलेटर का डेमो, लगाए गए आरोपों को बताया विदेशी साजिश

नई दिल्ली, एएनआइ। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने कुछ दिनों पहले आरोप लगाया था कि केंद्र प्राइवेट कंपनी से घटिया वेंटिलेटर खरीद रहा है। जिसके बाद AgVa हेल्थकेयर के कोफाउंडर प्रोफेसर दिवाकर वैश ने अपनी कंपनी के वेंटिलेटर का मंगलवार को डेमो दिया। प्रोफेसर वैश ने वेंटिलेटर पर लगाए गए आरोपों के मद्देनजर कहा था कि यह इंटरनेशनल वेंडरों की साजिश है क्योंकि वो नहीं चाहते हैं कि भारत में वेंटिलेटर का निर्माण हो और इसलिए वे स्वदेशी प्रयासों को खत्म करने में जुटे हैं। उन्होंने कहा, 'हमने रातभर में वेंटिलेटर का निर्माण नहीं किया है। हम तीन साल से मार्केट में हैं। चरणबद्ध तरीके से हमने इसे विकसित किया है। नॉर्मल वेंटिलेटर की तरह ही इसमें सभी पैरामीटर हैं। सामान्य वेंटिलेटर की तुलना में हमारे वेंटिलेटर की कीमत पांच से दस गुना कम है। सामान्य वेंटिलेटर की कीमत 10 से 20 लाख रुपये है। हमारे वेंटिलेटर की कीमत मात्र 1.5 लाख रुपये रखी गई है।' 

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5 जुलाई को कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने एक ट्वीट में नरेंद्र मोदी सरकार पर देश की जनता की जिंदगी खतरे में डालने का आरोप लगाया। साथ ही कहा कि जनता के पैसे का इस्तेमाल मोदी सरकार घटिया प्रोडक्ट खरीदने के लिए कर रही है।  उन्होंने अपने इस ट्वीट में एक विदेशी न्यूजवेबसाइट की लिंक को भी पोस्ट किया जिसके आर्टिकल में AgVa वेंटिलेटरों पर घटिया सॉफ्टवेयर के इस्तेमाल के आरोप थे। प्रोफेसर वैश ने कहा, 'राहुल गांधी डॉक्टर नहीं हैं। वे इंटेलिजेंट शख्स हैं। ऐसे आरोप लगाने से पहले उन्हें थोड़ा अध्ययन कर लेना चाहिए। मैं अस्पताल में किसी भी मरीज के इलाज में इस वेंटिलेटर का इस्तेमाल कर के दिखा सकता हूं। ' 

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि बगैर AgVa को लूप में रखे थर्ड पार्टी के इंस्टॉलेशन के कारण वेंटिलेटर में  गड़बड़ी हो सकती है। उन्होंने कुछ अस्पतालों को लेकर इस तरह का संदेह प्रकट किया। उन्होंने आगे बताया, 'दिल्ली में लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल ने हमारे वेंटिलेटर को खारिज नहीं किया। उन्होंने कहा था कि हमारे वेंटेलिटर में BIPAP और CPAP नहीं है लकिन बाद में उन्होंने इमेल कर इस बात की पुष्टि की कि हमारे वेंटिलेटरों में ये दोनों ही चीजें हैं। मुंबई के जेजे हॉस्पीटल और संत जॉर्ज हास्पीटल में थर्ड पार्टी के जरिए इंस्टॉलेशन कराया गया जो उचित तरीके से नहीं हुआ। इसलिए वहां के डॉक्टर इसका इस्तेमाल नहीं कर सके। डॉक्टर वैश ने आगे बताया, 'यदि आप पेट्रोल की जगह डीजल डालेंगे तो क्या होगा?'  वैश ने बताया कि जून में हमारे इंजीनियर्स ने जाकर वहां इंस्टॉल किए गए वेंटिलेटर में खराबी को ढूंढा और ठीक कर दिया। केंद्र सरकार की ओर से फर्म को 10 हजार मॉडलों का ऑर्डर दिया गया है। उन्होंने बताया कि हर माह हम 50-100 वेंटिलेटरों का निर्माण करते थे लेकिन महामारी के बाद से 5,000-10,000 वेंटिलेटर का निर्माण करने लगे। उन्होंने बताया 'हमें मेक इन इंडिया और इंवेस्ट इंडिया से सपोर्ट मिला। हम इस बात से सहमत हैं कि हमारी कंपनी छोटी है। हमें मारुति, इंवेस्ट इंडिया, भेल व बेल की ओर से समर्थन मिला।'  


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