Madhya Pradesh : प्राकृतिक उपायों से अमरूद और बेर की उम्र बढ़ाने पर शोध कर रहे कृषि विज्ञानी
शोध में जुटे उद्यानिकी विभाग के प्रमुख राजेश लेखी बताते हैं कि शोध के प्रारंभिक परिणाम काफी उत्साहजनक रहे हैं। 14 दिनों तक अमरूद का बाहरी हिस्सा डाली से टूटने के बाद शुरआती स्थिति जैसा ही रहा। स्वाद में भी कोई अंतर नहीं आया है।
अजय उपाध्याय, ग्वालियर। राजमाता कृषि विश्वविद्यालय के विज्ञानी प्राकृतिक उपाय (थैरेपी) से अमरूद और बेर जैसे फलों की उम्र बढ़ाने पर शोध कर रहे हैं यानी उन्हें अधिक समय तक ताजा रखा जा सकेगा। एलोवेरा, जैतून-तिल का तेल और तुलसी अर्क का लेप लगाकर इन फलों को सामान्य तापमान पर 14 दिन तक सुरक्षित रखे जाने में शुरआती सफलता मिली है। आमतौर पर इन फलों की उम्र तीन-चार दिन ही होती है, इसके बाद ये खराब हो जाते हैं। शीघ्र खराब होने से इन फलों के उत्पादक किसान और विक्रय करने वाले व्यापारियों को काफी नुकसान उठाना पड़ता है।
शोध में जुटे उद्यानिकी विभाग के प्रमुख राजेश लेखी बताते हैं कि शोध के प्रारंभिक परिणाम काफी उत्साहजनक रहे हैं। 14 दिनों तक अमरूद का बाहरी हिस्सा डाली से टूटने के बाद शुरआती स्थिति जैसा ही रहा। स्वाद में भी कोई अंतर नहीं आया है। इनका पोषक तत्वों पर क्या असर पड़ा, अब इस संबंध में शोध जारी है। दरअसल, नकदी फसल में शुमार अमरूद और बेर को न तो कोल्ड स्टोरेज में रखा जाता है और न ही इन्हें खरीदने के बाद फ्रीज में। ऐसे में अगर उत्पादन बंपर होता है तो अमरूद और बेर के खराब होने का जोखिम ज्यादा रहता है। किसानों और व्यापारियों को इसी से बचाने के लिए कृषि विज्ञानियों ने यह शोध शुरू किया गया है। लेप लगाकर रखने का प्रयोग पांच दिन तक किया गया था, जो सफल रहा।
इस तरह किया गया शोध
इसमें शामिल पीजी छात्र अमित शर्मा ने बताया कि इस मौसम में सर्वाधिक पैदा होने वाले अमरूद- 27 प्रजाति पर शोध किया गया। अमरूद पर तिल, एलोवेरा, जैतून व तुलसी के अर्क के साथ कीटोसान, सोडियम एल्जीनेट व कैल्शियम ग्लूकोनेट का लेप लगाया गया। शोध के लिए अलग-अलग तरह के लेप लगाए गए। 14 दिन बाद जैतून व कीटोसान का लेप लगाए गए अमरूद की स्थिति वही थी जो पहले दिन थी। तिल और कीटोसान, तिल और सोडियम एल्जीनेट व जैतून और तिल का तेल का लेप लगे अमरूद 80 प्रतिशत तक ताजा दिखे। दरअसल, इस लेप से फलों में पानी और गैस निकलने की प्रक्रिया (पकना) थम जाता है इसलिए ये अपेक्षाकृत अधिक दिन तक तोड़ने के बाद की स्थिति में बने रहते हैं।
पोषक तत्वों की स्थिति का पता लगाने माइनस 18 डिग्री पर रखे सैंपल
ग्वालियर के राजमाता विजयाराजे कृषि विश्वविद्यालय के डॉ. एसके राव ने बताया कि कुलपति फलों को प्राकृतिक थैरेपी देकर उन्हें 14 दिन तक सुरक्षित रखने में तो विज्ञानी सफल रहे हैं। इन फलों के स्वाद में भी कोई खास अंतर नहीं आया। पर उनमें पाए जाने वाले विटामिन-सी, शुगर कंटेंट और अम्लीयता की जांच करने के लिए इन्हें माइनस 18 डिग्री सेल्सियस पर संरक्षित रखकर देखा गया। अब दोनों विधियों से रखे गए अमरूद में पोषक तत्वों की जांच प्रयोगशाला में की जाएगी। सामान्य तापमान पर ही फलों की आयु बने के लिए उन पर खाने योग्य पदार्थो का लेप कर संरक्षित रखने पर शोध चल रहा है। प्रारंभिक परिणाम सकारात्मक रहे हैं।