किसानों की मेहनत को कृषि मंत्री ने किया सलाम, आयातक से निर्यातक बना देश
कुशल वैज्ञानिकों के अनुसंधान और किसानों की कड़ी मेहनत से खेती नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगी।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। कुशल वैज्ञानिकों के अनुसंधान और किसानों की कड़ी मेहनत से खेती नई ऊंचाइयों पर पहुंचेगी। उनकी कोशिशों से देश में अनाज के भंडार भरे पड़े हैं। किसानों की आमदनी को दोगुना करने की दिशा में कृषि वैज्ञानिकों की भूमिका अहम है। उनकी इन उपलब्धियों के लिए कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) की सराहना की।
सिंह सोमवार को यहां आईसीएआर के 90वें स्थापना दिवस पर आयोजित समारोह में हिस्सा किसानों और वैज्ञानिकों की मुक्त कंठ से प्रशंसा की। कृषि मंत्री सिंह ने कहा कि आईसीएआर के वैज्ञानिकों की कोशिशों से खाद्यान्न के मामले में देश न सिर्फ आत्मनिर्भर हुआ है, बल्कि खाद्यान्न के आयातक देश से निर्यातक बन चुका है। उन्होंने बताया कि किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए गठित कृषि विशेषज्ञों की समितियों ने अपनी रिपोर्ट पेश कर दी है। रिपोर्ट संबंधित सभी राज्यों को भेज दी गई हैं। इसे राज्यों के साथ मिलकर संयुक्त रूप से लागू किया जाएगा।
कृषि उत्पादन बढ़ाने में आईसीएआर की विकसित तकनीकों और किसानों की कड़ी मेहनत ने अपना योगदान दिया है। पिछले चार साल में कृषि क्षेत्र में रिकार्डतोड़ वृद्धि हुई है। बागवानी उत्पादों की पैदावार में देश दुनिया का पहला देश बन चुका है। दलहन की आयात निर्भरता घट गई है। इससे लगभग 10 हजार करोड़ रुपये की विदेशी मुद्दा की बचत हुई है।
कृषि मंत्री ने कहा कि आईसीएआर में विकसित बासमती चावल की पूसा बासमती 1121 किस्म से सालाना 18 हजार करोड़ से भी अधिक की विदेशी मुद्रा मिल रही है। जलवायु परिवर्तन से जुड़ी समस्याओं के समाधान के लिए देश के सभी 15 कृषि जलवायु क्षेत्रों को शामिल करते हुए कुल 45 इंटीग्रेटेड फार्मिग सिस्टम मॉडल तैयार किये गये हैं।
उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियां गंभीर हो रही हैं। इससे प्राकृतिक संसाधनों पर दबाव बढ़ रहा है। ग्रीन हाऊस उर्त्सजन में कृषि की बड़ी भागीदारी है। पराली जलाने के कारण पर्यावरण प्रदूषण की समस्या से निपटने की तैयारी की गई है।