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जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से कृषि उत्पादन गिरा, इसके दुष्‍परिणाम को कम करना होगा nainital news

जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से कृषि क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। बेमौसम वर्षा बढ़ता तापमान से कृषि उत्पादन गिर रहा है।

By Edited By: Published: Mon, 02 Dec 2019 06:30 AM (IST)Updated: Mon, 02 Dec 2019 09:11 AM (IST)
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से कृषि उत्पादन गिरा, इसके दुष्‍परिणाम को कम करना होगा nainital news
जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से कृषि उत्पादन गिरा, इसके दुष्‍परिणाम को कम करना होगा nainital news

नैनीताल, जेएनएन : जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से कृषि क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। बेमौसम वर्षा, बढ़ता तापमान से कृषि उत्पादन गिर रहा है। जलवायु से समन्वय स्थापित करके और कृषि पर इसके पड़ने वाले दुष्परिणामों को कम कर उत्पादन बढ़ाना होगा। कृषि के तौर तरीकों के साथ ही उपज की किस्मों में बदलाव लाना होगा, तभी किसान अधिक लाभ कमा सकेंगे। यह बातें डीएसबी में शुरू हुए सेमिनार में विषय विशेषज्ञों ने कहीं।

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सेमिनार में पहुंचे 10 देशों के विशेषज्ञ

रविवार को कुमाऊं विवि भौतिकी विभाग की ओर से डीएसबी परिसर के ऑडिटोरियम में उद्घाटन सत्र हुआ। उसके बाद हरमिटेज भवन में सेमिनार का आयोजन किया गया। इस दौरान विशेषज्ञों ने कृषि क्षेत्र में जलवायु परिवर्तन के प्रभावों पर व्यापक मंथन किया। कुमाऊं विवि, कृषि तकनीकी विवि नेपाल और कृषि वानिकी विकास संस्थान ऊधमसिंह नगर के संयुक्त तत्वावधान आयोजित सेमिनार के उद्घाटन सत्र का मुख्य अतिथि रानी लक्ष्मीबाई केंद्रीय कृषि विवि झांसी के कुलपति अरविंद कुमार, विशिष्ट अतिथि शोभित डीम्ड विवि के कुलपति प्रो. एपी गर्ग ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। ग्लोबल प्रॉस्पेक्टिव एग्रीकल्चर एंड अप्लाईड साइंस फॉर फूड एंड इन्वायरमेंटर सिक्योरिटी विषय पर आयोजित सेमिनार में 10 देशों के विशेषज्ञों के साथ ही देशभर के करीब 1200 वैज्ञानिक, शोधार्थी और छात्र छात्राएं शामिल हैं।

रोकना होगा कीटनाशकों का प्रयोग

दूसरे सत्र में वैज्ञानिकों द्वारा जलवायु परिवर्तन और उससे कृषि पर पड़ रहे प्रभावों पर व्याख्यान दिया गया। इंसेट गिर रही है खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता सेमिनार में वैज्ञानिकों ने जलवायु परिवर्तन को मानव जाति अस्तित्व पर बड़ा संकट बताते हुए कहा कि जलवायु के साथ व्यक्ति को अनुकूलता स्थापित करनी होगी। विशिष्ट अतिथि प्रो. एपी गर्ग ने कहा कि उत्पादन लागत को कम और उत्पादकता में बढ़ोत्तरी कर कृषकों की आय में वृद्धि की जा सकती है। कहा कि अधिक लाभ कमाने की लालसा में किसानों ने अंधाधुंध कीटनाशक व रसायनों का प्रयोग कर खेतों को बंजर कर दिया है। मिट्टी के आवश्यक उर्वरक खत्म होने के कारण खाद्य पदार्थो की गुणवत्ता भी गिर गई है। जिससे बचने के लिए कृषकों को जैविक खेती अपनाने की आवश्यकता है। मिश्र से पहुंचे प्रो. अली का कहना था कि पानी की कमी के कारण उनके देश में कृषि उत्पादकता कम है, इस परियोजना के माध्यम से उत्पादकता में बढ़ोत्तरी के प्रयास किए जा रहे हैं। इस अवसर पर प्रो संजय पंत, प्रो संतोष कुमार, आयोजक प्रो प्रकाश चंद्र चन्याल, प्रो. जीएल साह, डॉ. महेंद्र राणा, विधान चौधरी, प्रो. बीएल साह आदि मौजूद थे।

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