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अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में किया गया संशोधन, संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों को शामिल होने की मिलेगी अनुमति

भारतीय विदेश मंत्रालय के अनुसार आइएसए का उद्देश्य सौर ऊर्जा की बड़ी पैमाने पर तैनात मुख्य आम बाधाओं के लिए सामूहिक प्रतिक्रिया वाले देशों को एक साथ लाना है।

By Dhyanendra SinghEdited By: Published: Fri, 31 Jul 2020 07:30 PM (IST)Updated: Fri, 31 Jul 2020 07:30 PM (IST)
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में किया गया संशोधन, संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों को शामिल होने की मिलेगी अनुमति
अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन में किया गया संशोधन, संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों को शामिल होने की मिलेगी अनुमति

नई दिल्ली, एएनआइ। भारतीय विदेश मंत्रालय ने बताया कि अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन (ISA) फ्रेमवर्क समझौते में संशोधन किया गया है। अब इसके तहत संयुक्त राष्ट्र के सभी सदस्यों को ISA में शामिल होने का अनुमति देगा। विदेश मंत्रालय के अनुसार आइएसए का उद्देश्य सौर ऊर्जा की बड़ी पैमाने पर तैनात मुख्य आम बाधाओं के लिए सामूहिक प्रतिक्रिया वाले देशों को एक साथ लाना है।

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बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और फ्रांस के तत्कालीन राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलांद ने संयुक्त रूप से पेरिस में 2015 में आइएसए की स्थापना की थी। यह पहला समझौता आधारित अंतरराष्ट्रीय अंतरसरकारी संगठन है। इसका मुख्यालय भारत में गुरुग्राम में है।

यह ऐसे 121 देशों का गठबंधन है जो पूरी तरह से या आंशिक रूप से कर्क और मकर उष्णकटिबंधों के बीच स्थित हैं। अब तक 74 देशों ने इसके समझौते पर हस्ताक्षर कर दिए हैं और इनमें 52 ने औपचारिक रूप से संगठन में शामिल होने के लिए उसका अनुमोदन कर दिया है।

पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करता सौर ऊर्जा

गौरतलब है कि भौगोलिक स्थिति के हिसाब से भारत एक ऐसा देश है, जहां साल भर में करीब 300 दिन जमीन पर धूप रहती है। यही कारण है कि सौर ऊर्जा के मामले में भारत का भविष्य स्वर्णिम है। पारंपरिक संसाधनों से बिजली पैदा करना दिनों-दिन महंगा होता जा रहा है। सौर ऊर्जा इसका एक ठोस विकल्प है। प्रधानमंत्री मोदी के शब्दों में कहें, तो सौर ऊर्जा श्योर, प्योर और सिक्योर है। श्योर इसलिए क्योंकि सूर्य हमेशा चमकता रहेगा, प्योर इसलिए क्योंकि यह पर्यावरण को प्रदूषित नहीं करता और सिक्योर इसलिए क्योंकि ये हमारी ऊर्जा जरूरतों को सुरक्षित करता है।


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