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कोरोना जांच किट की तकनीक के लिए टाटा संस और आइजीआइबी में करार

इस माह के अंत तक सामने आ जाएगी किफायती जांच किट। विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन एक प्रमुख संगठन है।

By Nitin AroraEdited By: Published: Wed, 06 May 2020 07:57 AM (IST)Updated: Wed, 06 May 2020 07:57 AM (IST)
कोरोना जांच किट की तकनीक के लिए टाटा संस और आइजीआइबी में करार
कोरोना जांच किट की तकनीक के लिए टाटा संस और आइजीआइबी में करार

नई दिल्ली, प्रेट्र। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआइआर) के इंस्टीट्यूट ऑफ जीनोमिक्स एंड इंटीग्रेटिव बायोलॉजी (आईजीआईबी) और टाटा संस ने कोरोना की जांच किट की तकनीक के लाइसेंस के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं। इस जांच किट का प्रयोग इसी महीने के अंत तक शुरू होने की उम्मीद है। यह जानकारी मंगलवार को एक बयान में दी गई।

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उधर दूसरी तरफ सीएसआइआर के सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी (सीसीएमबी), हैदराबाद ने बेंगलुरु स्थित कंपनी, आईस्टेम रिसर्च प्राइवेट लिमिटेड के साथ मानव कोशिकाओं में कोरोनावायरस विकसित करने का करार किया है। इन मानव कोशिकाओं पर संभावित दवाओं और वैक्सीन का परीक्षण किया जाएगा।

विज्ञान एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद, विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के अधीन एक प्रमुख संगठन है। इससे 38 संस्थान और प्रयोगशालाएं संबद्ध हैं। फिलहाल इनमें से अधिकांश संस्थान कोरोना की काट तलाश करने में जुटे हैं।

आइजीआइबी ने कम लागत में तेजी से कोरोना की जांच के लिए एफएनसीएएस9 एडिटर लिंक्ड यूनिफॉर्म डिटेक्शन परख (फेलूदा) विकसित की है। बयान में कहा गया है कि जमीनी स्तर पर जांच अभियान को गति देने के लिए मई के अंत तक किट विकसित करने के लिए जानकारी का हस्तांतरण किया जाएगा। फेलूदा पूरी तरह से स्वदेशी आविष्कार है। कोरोना की सस्ती और बड़े पैमाने पर जांच के लिए इसे तैयार किया गया है। इस किफायती जांच को उपयोग में लाना बहुत आसान है। इसके लिए महंगी आरटी-पीसीआर मशीनों पर निर्भर रहने की जरूरत नहीं है।

टाटा संस के इंफ्रास्ट्रक्चर एंड डिफेंस एंड एयरोस्पेस के अध्यक्ष, बनमाली अग्रवाल ने समझौते पर टिप्पणी करते हुए कहा कि फेलूदा परीक्षण कोरोना वायरस के जीनोमिक अनुक्रम का पता लगाने के लिए अत्याधुनिक सीआरआइएसपीआर (क्लस्टर्ड रेगुलरली इंटरस्पेस्ड शार्ट पैलिनड्रोमिक रिपीट्स) तकनीक पर आधारित है।

उन्होंने बताया कि यह एक ऐसे परीक्षण प्रोटोकॉल पर आधारित है जिसे करना आसान और अन्य परीक्षण प्रोटोकॉल की तुलना में कम समय में नतीजे देने वाला है। हम मानते हैं कि यह भविष्यवादी की तकनीक है। आने वाले समय में इससे कई अन्य रोगजनकों का पता लगाना आसान होगा।


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