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ताज के साथ और बहुत कुछ दिया है आगरा ने

इस बारे में कोई संदेह नहीं है कि ताजमहल के बिना आगरा के बारे किसी तरह की कोई कल्पना भी नहीं की जा सकती है। लेकिन इस मुगल कालीन धरोहर के अलावा भी आगरा ने हमे बहुत कुछ दिया है। उद्यम के क्षेत्र में आगरा का महत्वपूर्ण योगदान है। यह विचार यहां के स्थानीय कलाकारों, व्यापारियों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं ने व्यक्त किए। ब्रज

By Edited By: Published: Sun, 02 Dec 2012 04:04 PM (IST)Updated: Sun, 02 Dec 2012 04:34 PM (IST)
ताज के साथ और बहुत कुछ दिया है आगरा ने

आगरा। इस बारे में कोई संदेह नहीं है कि ताजमहल के बिना आगरा के बारे किसी तरह की कोई कल्पना भी नहीं की जा सकती है। लेकिन इस मुगल कालीन धरोहर के अलावा भी आगरा ने हमे बहुत कुछ दिया है। उद्यम के क्षेत्र में आगरा का महत्वपूर्ण योगदान है। यह विचार यहां के स्थानीय कलाकारों, व्यापारियों और सांस्कृतिक कार्यकर्ताओं ने व्यक्त किए।

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राजीव तिवारी ने कहा की हर आगरावासी को आगरा में पैदा होने का गौरव महसूस करना चाहिए। केसी जैन ने कहा की कुछ खास तरह के कार्यक्रमों के द्वारा आगरा की संस्कृति और हुनर को पर्यटकों तक पहुंचाया जाना चाहिए। जैसे दिल्ली हाट का आयोजन होता है वैसे ही आगरा में व्यवस्था होनी चाहिए की लोग इन कलाओं और उद्योगों को देख सकें।

रिटायर्ड बैंकर पीएन अग्रवाल ने कहा कि बहुत कम लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि 1640 में इस्ट इंडिया कंपनी को सूरत में फैक्ट्री की स्थापना करने के लिए सबसे पहले यहां के व्यापारियों ने ही कर्ज दिया था। सोसाइटी के सचिव ब्रज खंडेलवाल ने एक प्रस्ताव के द्वारा राज्य और केंद्र सरकारों से माग की कि आगरा की पारंपरिक कलाएं और उद्योगों के प्रोत्साहन के लिए ठोस योजनाएं बनाई जाएं तथा विश्वविद्यालय में फाउंड्री, पेठा, जूता, हैंडिक्राफ्ट्स अदि के क्षेत्रों में शोध के द्वार खोले जाएं।

ब्रज मंडल हेरिटेज कंजर्वेशन सोसाइटी द्वारा आयोजित विचार गोष्ठी में कहा गया कि ताजमहल ही नहीं आगरा की जीवंत संस्कृति, गायन, नृत्य, कला, उद्योग एवं उद्यमिता को भी विरासत के रूप में संरक्षण और संवर्धन की जरूरत है।

पत्थरों की इमारतों की सुरक्षा तो होनी ही चाहिए लेकिन आगरा क्षेत्र की विशिष्ट कलाओं व उद्योगों का भी सम्मान किया जाना चाहिए। वे हुनरमंद लोग जिन्होंने जरदोजी, नक्काशी, कालीन, जूते, संगमरमर, पेठा, फाउंड्री उद्योग, काच व हेंडिक्राफ्ट्स को विश्व में शिखर पर पहुंचाया, उनका सार्वजानिक अभिनंदन व सम्मान किया जाना चाहिए। आगरा की पहचान आज जूतों, मार्बल, पेठा, फाउंड्री, काच, कालीन आदि से पूरे विश्व में है।

विरासत सम्मलेन में चंद्रकांत त्रिपाठी, आनंद राइ, नरेश परस, देवाशीष भटाचार्य, सुरेंद्र शर्मा, श्रवण कुमार सिंह, नरेंद्र वरुण, नाजनीन, सौरभ,पूनम, राजीव, अनिल कुमार, प्रशात, वेक उप संस्था के अध्यक्ष शिशिर भगत ने शिरकत की। मधुकर चतुर्वेदी ने ध्रपद गाकर ब्रज मंडल की संगीत परंपरा को पुनर्जीवित करने की बात की।

आगरा घराना, हवेली संगीत, कत्थक, भगत गायन शैली, लोक गीत, नृत्य एंड रास लीला अदि के संवर्धन के लिए रोजाना प्रस्तुतिया देने के लिए सूर सदन उपलब्ध कराया जाए और एक ओपन एयर थिएटर शहर के मध्य में विकसित किया जाए।

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