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दोफाड़ होने की राह पर आंदोलनकारी किसान संगठन, पीएम मोदी को लिखे पत्र पर 11 वाम संगठनों ने खड़े किए सवाल

सूत्रों के अनुसार वाट्सएप पर पंजाबी में बहस छिड़ गई है और उन नेताओं की मंशा पर सवाल खड़े किए गए हैं जिन्होंने चिट्ठी लिखी है। आपसी चर्चा में कहा गया है कि इन नौ नेताओं को किसने चिट्ठी लिखने का अधिकार दिया।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Sun, 23 May 2021 07:13 PM (IST)Updated: Mon, 24 May 2021 07:01 AM (IST)
दोफाड़ होने की राह पर आंदोलनकारी किसान संगठन, पीएम मोदी को लिखे पत्र पर 11 वाम संगठनों ने खड़े किए सवाल
कई कारणों से किसान संयुक्त मोर्चे के नेता आंदोलन से पहले ही दूरी बनाने लगे

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। आंदोलनकारी किसान संगठनों ने कोरोना की दुहाई देते हुए फिर से वार्ता शुरू करने के लिए प्रधानमंत्री को पत्र लिख तो दिया है, लेकिन उनके अंदर ही घमासान शुरू हो गया है और आने वाले दिनों में इसके और गहराने की संभावना है। किसान संगठनों के अंदर शामिल 11 वाम संगठनों ने अंदरूनी बहस में सीधे-सीधे उन नौ नेताओं पर अंगुली उठाई है जिन्होंने वार्ता के लिए चिट्ठी लिखी है और पंजाब के 32 संगठनों की बैठक बुलाने का आह्वान किया है। वाट्सएप पर चल रही चर्चा में उन्होंने दर्शनपाल और योगेंद्र यादव को नेता मानने से भी मना करने का संकेत दिया है।

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यूं तो कई कारणों से किसान संयुक्त मोर्चे के नेता आंदोलन से पहले ही दूरी बनाने लगे थे, अब आपसी खींचतान भारी पड़ने वाली है। दरअसल, शुरुआत से ही एक खेमा अपना प्रभाव जमाने की कोशिश करता रहा है। इसमें मुख्यत: वाम संगठन ही थे। इनकी जिद के कारण ही कई बार वार्ता सफल होते-होते असफल होती रही है।

दो दिन पहले संयुक्त मोर्चे की ओर से नौ नेताओं ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर वार्ता शुरू करने का आग्रह किया था। सरकार की ओर से कोई पहल होती इससे पहले ही दूसरा खेमा सक्रिय हो गया है।

नेताओं की मंशा पर खड़े किए गए सवाल

सूत्रों के अनुसार, वाट्सएप पर पंजाबी में बहस छिड़ गई है और उन नेताओं की मंशा पर सवाल खड़े किए गए हैं जिन्होंने चिट्ठी लिखी है। आपसी चर्चा में कहा गया है कि इन नौ नेताओं को किसने चिट्ठी लिखने का अधिकार दिया। पहले तो यह तय हुआ था कि 21 मई को आपस में बैठकर 26 मई के प्रदर्शन के तरीके पर विचार होगा, तब इन्होंने व्यस्तता की बात कहकर बैठक टाल दी और अब बिना सहमति चिट्ठी लिख दी। चिट्ठी के लहजे से इसका भी संकेत मिलता है कि गठित कोर कमेटी ही अब सवालों में घिरने वाली है। पत्र में इसके साफ संकेत हैं।


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