लोकायुक्त नियुक्ति: राज्यपाल व मोदी सरकार में फिर ठनेगी!
अहमदाबाद। गुजरात की राज्यपाल डॉ कमला ने पूर्व न्यायाधीश आरए मेहता को लोकायुक्त नियुक्त कर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की मुश्किलें भले बढ़ा दी हो, लेकिन अब सरकार राज्यपाल के पर कतरने के मूड में है। चालू बजट सत्र में मोदी सरकार लोकायुक्त विधेयक लाने की तैयारी में है जिसके बाद कोई भी राज्यपाल सरकार की मंजूरी के बिना किसी लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कर पाएगा। राज्यपाल ने अगस्त 2011 में सरकार से परामर्श किए बिना लोकायुक्त की नियुक्ति कर दी थी।
अहमदाबाद। गुजरात की राज्यपाल डॉ कमला ने पूर्व न्यायाधीश आरए मेहता को लोकायुक्त नियुक्त कर मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार की मुश्किलें भले बढ़ा दी हो, लेकिन अब सरकार राज्यपाल के पर कतरने के मूड में है। चालू बजट सत्र में मोदी सरकार लोकायुक्त विधेयक लाने की तैयारी में है जिसके बाद कोई भी राज्यपाल सरकार की मंजूरी के बिना किसी लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं कर पाएगा। राज्यपाल ने अगस्त 2011 में सरकार से परामर्श किए बिना लोकायुक्त की नियुक्ति कर दी थी।
गुजरात में एक बार फिर सरकार व राजभवन के रिश्ते ठीक नजर नहीं आ रहे हैं, मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी व राज्यपाल डॉ कमला बेनीवाल के बीच लोकायुक्त नियुक्ति का मामला नाक का सवाल बनता जा रहा है। हालांकि राज्यपाल के फैसले को हाईकोर्ट व सुप्रीम कोर्ट ने भी संवैधानिक बताते हुए मोदी सरकार को झटका दिया है लेकिन सरकार अभी भी लोकायुक्त की नियुक्ति को संवैधानिक मानने को तैयार नहीं है। राज्य के कानून मंत्री भूपेंद्र सिंह चूड़ास्मा ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कहा है कि अदालत के फैसले की समीक्षा के बाद कानून व संविधानविदों की राय ली जाएगी उसके बाद सरकार उचित कार्यवाही करेगी। प्रदेश में फिलहाल लोकायुक्त आरए मेहता के काम संभालने की स्थिति नजर नहीं आ रही है लेकिन सरकार राज्यपाल व लोकायुक्त के पर कतरने की फिराक में है।
गुजरात सरकार लोकायुक्त संशोधन विधेयक में राज्यपाल के विशेषाधिकार को सीमित करने के साथ राज्य मंत्रिमंडल की सम्मति को अनिवार्य बनाना चाहती है जो अभी महज औपचारिक प्रावधान है। गुजरात विधानसभा का बजट सत्र 2 अप्रेल तक चलने वाला है जिसे दो दिन बढ़ाए जाने की संभावना है। अंतिम दिनों में लोकायुक्त संशोधन विधेयक के साथ करीब दस विधेयक पेश किए जाने हैं।
साबरमती से 55 कैदी भागने की फिराक में थे :
साबरमती जेल में 213 फीट लंबी सुरंग खोदे जाने के मामले में गुजरात पुलिस के एक आईपीएस समेत कई और अधिकारी नप सकते हैं। अहमदाबाद में बम धमाके करने वाले इंडियन मुजाहिदीन से जुड़े आतंकियों समेत जेल में बंद 55 कैदी इस सुरंग से निकल भागने की साजिश में शामिल थे जो देश के कई शहरों में बम धमाके करने के इरादे रखते थे।
अहमदाबाद अपराध शाखा साबरमती जेल में सुरंग खोदने वाले सभी 14 आरोपियों को रिमांड पर लेकर पूछताछ कर चुकी है, उसका मानना है कि इस मामले में जेल प्रशासन ने घोर लापरवाही बरती है। जेल में 213 फीट लंबी सुरंग खोदे जाने का खुलासा होने के बाद जेल प्रशासन से जुड़े एक आईपीएस अधिकारी ने करीब 24 घंटे तक आला अधिकारियों को न केवल अंधेरे में रखा बल्कि इस समूचे मामले को दबाने का भी प्रयास किया।
क्राइम ब्रांच को पूछताछ में यह भी पता चला है कि सुरंग खोदने में शामिल इंडियन मुजाहिदीन के 14 कैदियों के अलावा 41 और कैदी जेल से भागने की फिराक में थे। यह सभी कैदी देश के कई शहरों में बम धमाकों को अंजाम देने के मंसूबे रखते थे, सुरंग कांड में लिप्त आईएम के 14 कैदियों ने ही जुलाई 2008 में अहमदाबाद में सीरियल बम धमाकों को अंजाम दिया था। इस समूचे प्रकरण में अपराध शाखा ने जेल प्रशासन से जुड़े एक आईपीएस अधिकारी की घोर लापरवाही पकड़ी है जिससे आगामी दिनों में पूछताछ की जाएगी।
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