अटॉर्नी जनरल ने नहीं दी जगन के खिलाफ अवमानना मामले पर सहमति, बोले- मुख्य न्यायाधीश के समक्ष विचाराधीन है मामला
आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी के न्यायपालिका के खिलाफ आचरण को अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने पहली नजर में अवज्ञाकारी माना लेकिन उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने पर सहमति देने से इन्कार कर दिया।
नई दिल्ली, पीटीआइ। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी और उनके प्रमुख सलाहकार अजय कल्लम के न्यायपालिका के खिलाफ आचरण को अटॉर्नी जनरल (एजी) केके वेणुगोपाल ने सोमवार को पहली नजर में अवज्ञाकारी माना, लेकिन उनके खिलाफ अवमानना की कार्यवाही शुरू करने पर सहमति देने से इन्कार कर दिया। उन्होंने कहा कि मामला प्रधान न्यायाधीश (सीजेआइ) एसए बोबडे के समक्ष विचाराधीन है।
एक अभूतपूर्व कदम उठाते हुए छह अक्टूबर को जगन मोहन ने सीजेआइ को पत्र लिखकर आरोप लगाया था कि आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट का इस्तेमाल लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई उनकी सरकार को अस्थिर करने और गिराने के लिए किया जा रहा है। भाजपा नेता और अधिवक्ता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दाखिल अवमानना याचिका के जवाब में एजी ने सोमवार को जगन मोहन के पत्र का जिक्र करते हुए कहा कि मुख्यमंत्री के प्रमुख सलाहकार कल्लम द्वारा बाद में (10 अक्टूबर को) संवाददाता सम्मेलन आयोजित करके पत्र की सामग्री सार्वजनिक करना संदेह पैदा करता है।
चूंकि मामला सीजेआइ के समक्ष विचाराधीन है इस कारण वह सुप्रीम कोर्ट की आपराधिक अवमानना के लिए कार्यवाही शुरू करने पर सहमति देने से इन्कार करते हैं। किसी व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक अवमानना की कार्यवाही शुरू करने के लिए एजी की सहमति लेना पूर्व शर्त है। उपाध्याय ने अपनी याचिका में कहा था कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री का पत्र सुप्रीम कोर्ट व हाई कोर्ट दोनों के अधिकारों को कलंकित और न्यायिक कार्यवाही व न्याय प्रशासन में हस्तक्षेप करता है।
जवाब में एजी ने उपरोक्त बातों के साथ ही जस्टिस एनवी रमना के 16 सितंबर, 2020 के उस आदेश का जिक्र किया जिसमें निर्वाचित प्रतिनिधियों के खिलाफ लंबित मुकदमों की त्वरित सुनवाई और निपटारे का निर्देश दिया गया था। इसके अलावा उन्होंने कहा कि आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री के खिलाफ 31 आपराधिक मामले लंबित हैं। बता दें कि सीजेआइ को लिखे पत्र में मुख्यमंत्री ने यह आरोप भी लगाया था कि शीर्ष अदालत के एक वरिष्ठ न्यायाधीश की तेलुगु देसम पार्टी के प्रमुख चंद्रबाबू नायडू से नजदीकी थी और सुप्रीम कोर्ट के एक पूर्व न्यायाधीश ने यह तथ्य रिकॉर्ड पर भी रखा था।