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अफजल की फांसी कानून के मुताबिक: शिंदे

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। तिहाड़ जेल के भीतर अफजल गुरु की कब्र तक उसके परिजनों को फातिहा पढ़ने की इजाजत मिल सकती है। केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि गुरु के परिजनों की इस मांग पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने साफ कर दिया कि अफजल की फांसी कानून के मुताबिक हुई है और यह मामला पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे व पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे से अलग है। ये दोनों मामले फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन हैं, जबकि अफजल के मामले में ऐसा नहीं है।

By Edited By: Published: Mon, 11 Feb 2013 04:36 PM (IST)Updated: Mon, 11 Feb 2013 08:22 PM (IST)
अफजल की फांसी कानून के मुताबिक: शिंदे

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। तिहाड़ जेल के भीतर अफजल गुरु की कब्र तक उसके परिजनों को फातिहा पढ़ने की इजाजत मिल सकती है। केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने कहा कि गुरु के परिजनों की इस मांग पर विचार किया जा सकता है। उन्होंने साफ कर दिया कि अफजल की फांसी कानून के मुताबिक हुई है और यह मामला पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के हत्यारे व पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के हत्यारे से अलग है। ये दोनों मामले फिलहाल सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन हैं, जबकि अफजल के मामले में ऐसा नहीं है।

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अफजल गुरु की फांसी के बाद पहली प्रेस कांफ्रेंस में शिंदे ने डाक विभाग की रसीद दिखाते हुए कहा कि 7 फरवरी को उसके परिजनों को स्पीडपोस्ट से सूचित कर दिया गया था। गुरु के परिवार को दूसरे माध्यम से सूचना देने के सवाल को शिंदे टाल गए। शिंदे ने अफजल की फांसी में भेदभाव करने के जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के आरोपों को खारिज कर दिया। उमर ने राजीव गांधी व बेअंत सिंह की हत्या के दोषियों को फांसी न देकर अफजल गुरु को फांसी देने के केंद्र के फैसले पर सवाल उठाया था। शिंदे ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के विचाराधीन होने के कारण दोनों मामलों में फांसी की सजा को क्रियान्वित नहीं किया जा सका है।

अफजल की फांसी में गोपनीयता का समर्थन करते हुए शिंदे ने कहा कि सरकार के सभी फैसलों को सार्वजनिक नहीं किया जा सकता है। जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता यासीन मलिक के लश्कर-ए-तैयबा प्रमुख हाफिज सईद के साथ मंच साझा करने और अफजल की फांसी के विरोध में एक दिन का सांकेतिक उपवास रखने पर शिंदे ने कहा कि इसकी जांच कराई जा रही है।

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