Indian Railways: कैग के बाद लोकलेखा समिति की जांच की आंच से रेलवे के हाथपांव फूले
कैग के बाद लोकलेखा समिति के बुलावे से घबराए रेल मंत्रालय ने सभी जोनों व उत्पादन इकाइयों से श्रम कानूनों का पालन सुनिश्चित करने तथा ठेका श्रमिकों को दुर्दशा से उबारने को कहा है।
संजय सिंह, नई दिल्ली। रेलवे के विभिन्न विभागों में अनुबंधित कर्मचारियों के शोषण तथा श्रम कानूनों के उल्लंघन पर कैग की फटकार के बाद संसद की लोकलेखा समिति के बुलावे से घबराए रेल मंत्रालय ने अपने सभी जोनों तथा उत्पादन इकाइयों से श्रम कानूनों का कड़ाई से पालन सुनिश्चित करने तथा ठेका श्रमिकों को दुर्दशा से उबारने को कहा है। लगभग 13 लाख स्थायी कर्मचारियों के वेतन बिल से परेशान भारतीय रेलवे में इस समय लगभग 95 हजार कर्मचारी अनुबंध या ठेके पर कार्यरत हैं।
सभी जोनों से अनुबंध कर्मियों को पीएफ, ईएसआइ लाभ सुनिश्चित करने को कहा
रेलवे बोर्ड ने कैग की 2018 की रिपोर्ट (संख्या 19) के साथ लोकलेखा समिति की ओर से इस मसले को जांच के लिए चुने जाने का हवाला देते हुए जोनों से तैयारियों के साथ पूरी तरह चाकचौबंद रहने को कहा है। बोर्ड ने कहा है कि सभी जोनों तथा उत्पादन इकाइयों से अपने यहां मौजूद अनुबंधित कर्मचारियों के साथ उनकी आपूर्ति करने वाले ठेकेदारों के सारे रिकार्ड तत्काल चेक कर अपडेट करें और सुनिश्चित करें कि उनके विभिन्न विभागों, इकाइयों में ठेका कर्मचारियों को कानून सम्मत लाभ प्राप्त हो रहें हैं तथा उनके सारे रिकॉर्ड मेंटेन किए जा रहे हैं।
ठेकेदारों को न्यूनतम मजदूरी के लिए बाध्य किया जाए
विभागों से ये पक्का करने को भी कहा गया है कि सभी ठेकेदारों ने अनुबंध कर्मचारियों के पीएफ और ईएसआई के खाते खुलवा लिए हैं तथा इन खातों में कर्मचारियों के साथ अपना खुद का नियमित योगदान कर रहे हैं। ये भी सुनिश्चित होना चाहिए कि ठेकेदारों द्वारा अनुबंध श्रमिकों को केंद्र व राज्य सरकारों द्वारा निर्धारित न्यूनतम वेतन दिया जा रहा है। जो ठेकेदार कानूनी प्रावधानों को ठेंगा दिखा रहे हैं, उन्हें अनुपालन के लिए बाध्य किया जाए। न मानने पर पेनाल्टी लगाई जाए अथवा भुगतान रोक दिया जाए या ब्लैकलिस्ट कर दिया जाए। इसी के साथ रेलवे बोर्ड ने जोनल अधिकारियों से भविष्य में ठेका कर्मियों की आपूर्ति के लिए सूचीबद्ध तथा चयनित की जाने फर्मो के लिए जारी किए जाने टेंडर डाक्यूमेंट में भी संशोधन करने तथा उनमें श्रम कानूनों के अनुपालन की सामान्य व विशिष्ट दशाओं का स्पष्ट उल्लेख करने को भी कहा है।
रेलवे में ठेका कर्मियों की बदहाली पर कैग पहले ही जता चुका है ऐतराज
गौरतलब है कि नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक ने 2018 की अपनी रिपोर्ट में रेलवे के नौ जोनों में अनुबंध कर्मियों के शोषण व अन्याय के अनेक मामले पकड़े थे। कैग ने पाया था कि 323 विभागों ने श्रम विभाग में अपना पंजीकरण नहीं कराया है। जिन विभागों ने कराया है उनमें से 380 विभागों ने रिटर्न नहीं दाखिल किया है। रेलवे कैग को 285 ठेकेदारों के रिटर्न के रिकार्ड भी उपलब्ध नहीं करा पाया।
72 कांट्रैक्टर को बिना लाइसेंस के काम करते पाया
और तो और ऑडिट में रेलवे के 100 विभाग ठेका कर्मियों के लिए पीने के पानी, शौचालय आदि की बुनियादी सुविधाओं का ब्यौरा तक नहीं उपलब्ध करा सके थे। कैग ने 172 कांट्रैक्टर को बिना लाइसेंस के काम करते पाया था। रेलवे ने जिन 207 कांट्रैक्टर के पास लाइसेंस होने का दावा किया था उनका रिकार्ड भी उपलब्ध नहीं करा पाया था। नियमानुसार कांट्रैक्टर द्वारा कर्मचारियों को वेतन भुगतान के वक्त रेलवे का एक प्रतिनिधि रहना जरूरी है। लेकिन 111 कांट्रैक्टर के मामले में रेलवे इसका कोई रिकार्ड पेश नहीं किया जा सका। वेतन भुगतान के बाद कांट्रैक्टर के लिए रेलवे को इसकी सूचना देना जरूरी है। परंतु 463 मामलों में इसका भी कोई रिकार्ड कैग को नहीं मिल सका। तमाम मामलों में कांट्रैक्टर मस्टर रोल या अटेंडेंस शीट भी मेंटेन नहीं कर रहे हैं। ऐसे 112 मामले कैग ने पकड़े थे।
ईएसआइ का योगदान लेने और जमा करने में गड़बड़ी
इसी तरह 103 अनुबंधों में कर्मचारियों की पीएफ कटौती नहीं की गई थी। ईएसआइ का योगदान लेने और जमा करने में गड़बड़ी मिली। बारह अनुबंधों में कर्मचारियों से ईएसआइ में अधूरा तथा 80 अनुबंधों में कोई भी योगदान नहीं लिया गया। जबकि 10 अनुबंधों में योगदान अधूरा और 88 में बिलकुल जमा नहीं कराया गया। इसके अलावा 335 अनुबंधों में कैग को जमा कराए गए योगदान लेने, जमा कराने का कोई ब्यौरा ही नहीं मिला। किस अनुबंध के तहत कितने कर्मचारी काम पर लगाए जाने हैं या लगाए गए इसका सही ब्यौरा भी जोन नहीं दिखा पाए। 140 अनुबंधों में जरूरी कर्मचारियों का कोई आकलन नहीं किया गया, जबकि 133 अनुबंधों में कर्मचारियों का कोई रिकार्ड नहीं मिला।