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दो भाइयों की हत्या के केस में SC ने शहाबुद्दीन की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा

सीवान के बहुचर्चित तेजाब कांड में सीवान के डॉन कहे जाने वाले पूर्व राजद सांसद मोहम्मद शहाबुद्दीन की आजीवन कारावास की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा है।

By Kajal KumariEdited By: Published: Tue, 30 Oct 2018 11:15 AM (IST)Updated: Tue, 30 Oct 2018 11:35 AM (IST)
दो भाइयों की हत्या के केस में SC ने शहाबुद्दीन की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा
दो भाइयों की हत्या के केस में SC ने शहाबुद्दीन की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा

पटना [जेएनएन]। सीवान के बहुचर्चित तेजाब कांड में पटना हाईकोर्ट के बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने भी तिहाड़ जेल में बंद घटना के मुख्य आरोपी मोहम्मद शहाबुद्दीन की सजा को बरकरार रखा है। सुप्रीम कोर्ट ने शहाबुद्दीन और उसके तीन सहयोगियों को हाई कोर्ट से मिली उम्र कैद की सजा को बरकरार रखा है।

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सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में चीफ जस्टिस रंजग गोगोई के साथ जस्टिस एसके कौल और केएम जोसेफ की पीठ ने महज कुछ ही मिनटों में इस मामले पर शहाबुद्दीन द्वारा दायर की गई याचिका खारिज कर दी। जैसे ही शहाबुद्दीन के वकील ने कुछ कहना चाहा पीठ ने पूछा- शहाबुद्दीन के खिलाफ गवाही देने जा रहे राजीव रौशन को क्यों मार दिया? उसके मर्डर के पीछे कौन था?

चंदा बाबू ने कहा-भगवान के घर देर है अंधेर नहीं

कोर्ट के इस फैसले के बाद अपने बेटों को खो चुके पीड़ित पिता चंदा बाबू का फिर से न्यायालय पर भरोसा बढ़ गया है। अपने बेटे को गंवाने वाले चंदा बाबू केस की शुरूआत से ही न्यायालय के फैसले पर विश्वास जताते आ रहे हैं। उन्होंने इससे पहले पिछले साल अगस्त में हाईकोर्ट के फैसले को भी न्याय की जीत बताया था।

सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही चंदा बाबू ने कहा था कि सूबे में सरकार बदली है तो हमें राहत की उम्मीद है। इस केस में न्यायपालिका जिस तरह से फैसला सुना रही है और सबों को सहयोग मिल रहा है उससे मेरा भरोसा बढ़ रहा है।

अपने दो बेटों को एक साथ गंवाने वाले चंदा बाबू ने कहा कि हमारे दोनों बच्चे सीवान की आजादी के लिये शहीद हुए थे और अब ऐसा लग रहा है कि मेरा सीवान सच में आजाद हो गया है। चंदा बाबू ने कहा कि भगवान के घर देर है,अंधेर नहीं।

आपको बता दें कि अगस्त 2004 में शहाबुद्दीन और उसके साथियों ने सीवान के प्रतापपुर गांव में चंदा बाबू के दो बेटों सतीश और गिरीश रौशन को जिंदा तेजाब से नहलाकर मार दिया था। इन दोनों का कसूर इतना था कि इन्होंने शहाबुद्दीन के गुंडों को रंगदारी देने से मना कर दिया था।

तेजाब कांड की वारदात से दहल गया था पूरा बिहार 

साल 2004 में हुई हत्या की दोहरी वारदात ने पूरे बिहार को झकझोड़ कर रख दिया था। यही वो साल था जब सीवान में साहेब यानि डॉन शहाबुद्दीन की कोठी पर हैवानियत का नंगा नाच हुआ था।16 अगस्त 2004 को सीवान के ही व्यवसायी चंदा बाबू के दो बेटों गिरीश कुमार और सतीश कुमार का अपहरण कर तेजाब से नहलाकर उनकी हत्या कर दी गई थी।

चंदा बाबू के दो बेटों को तेजाब से नहलाकर की गई थी हत्या

चंदा बाबू के दोनों बेटों को शहाबुद्दीन के गांव प्रतापपुर ले जाकर उन्हें शहाबुद्दीन की ही कोठी में तेजाब से नहलाया गया था, जिससे उनकी तड़प-तड़प कर मौत हो गई थी। मामले में नया मोड़ तब आया जब इसी कांड के चश्मदीद गवाह राजीव रौशन की भी 16 जून 14 को सीवान के डीएवी मोड़ पर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी।

चंदा बाबू ने दर्ज कराया था केस, आखिरकार मिला न्याय

अपने तीनों बेटे की मां और व्यवसायी चन्दकेश्वर प्रसाद उर्फ चंदा बाबू की पत्नी कलावती देवी ने इस मामले में मुफस्सिल थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी। इस घटना के पांच साल बाद 2009 में सीवान के तत्कालीन एसपी अमित कुमार जैन के निर्देश पर केस के आइओ ने शहाबुद्दीन, असलम, आरिफ व राज कुमार साह को अप्राथमिकी अभियुक्त बनाया था। केस की सुनवाई आगे हुई और इस मामले में पहले लोकल कोर्ट, फिर हाईकोर्ट और उसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले सुनाए। 


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