जानिए क्या हैं प्रवासी मजदूरों के लिए रेल किराये पर Confusion और क्यों हो रही है राजनीति
केंद्र सरकार ने मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाने की इजाजत दी उसके लिए लिया जाने वाला किराया राजनीति का विषय बन गया।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार का मजदूरों को उनके घरों तक पहुंचाने के लिए चलाई गई श्रमिक ट्रेनों के किराये पर राजनीति शुरु हो गई हैं। विपक्ष किसी भी तरह से इस मामले में केंद्र सरकार को बख्शने को तैयार नहीं है। पहले ये कहा गया कि इन मजदूरों को उनके गृह जनपद तक पहुंचाने के लिए ट्रेन कोई किराया नहीं लेगा, इनका किराया प्रदेश सरकार को भुगतना होगा इसके लिए रेलवे की ओर से एक लेटर भी जारी किया गया था।
विपक्ष ने इसी बात को पकड़ लिया, अब इस पर राजनीति शुरू हो गई। बात उठने पर रेलवे ने इसके लिए बाकायदा एक पत्र जारी किया, उसके बाद भी कंफ्यूजन बना हुआ है और राजनीति गर्माई हुई है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी सवाल उठा रहे हैं और बीजेपी नेता संबित पात्रा जवाब दे रहे हैं। अब तो प्रदेश सरकार के नेताओं की ओर से भी इसमें अपनी-अपनी सफाई दी जा रही है और वो किराये का खुद भुगतान करने की बात कह रहे हैं।
दरअसल सबसे बड़ा कंफ्यूजन इस बात को लेकर पैदा हुआ है कि जब इन मजदूरों के लिए स्पेशल ट्रेनें चलाई जाएंगी तो इनसे पैसे क्यों लिए गए। अब सभी प्रदेश सरकारें इन मजदूरों का किराया वहन करने के लिए तैयार हो गई हैं। इससे पहले इन मजदूरों को टिकट देकर उनसे पैसे लिए, इसी बात को लेकर विवाद पैदा हुआ। फिर सफाई देने का सिलसिला शुरू हुआ। जिसे रेलवे ने लेटर जारी कर साफ किया कि वो सिर्फ 85 फीसद किराया ले रहे हैं बाकी 15 फीसद ही किराया लिया जा रहा है। ये 15 फीसद भी प्रदेश सरकारें लेकर उसे रेलवे को देंगी।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने तो केंद्र सरकार से कहा है कि प्रवासी मजदूरों के पास वैसे ही पिछले काफी दिन से कमाई का कोई स्त्रोत नहीं है लिहाजा वो जब अपने घरों को वापस जा रहे हैं तो उनसे किराया न लिया जाए। गौरतलब है कि महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा प्रवासी मजदूर हैं जिनमें से ज्यादातर यूपी और बिहार-झारखंड से हैं। इनकी संख्या 5 लाख से अधिक बताई जा रही है।
दरअसल रेलवे ने गाइडलाइन्स जारी करते हुए साफ कर दिया था कि श्रमिकों को ट्रेन से भेजे जाने के दौरान किसकी क्या जिम्मेदारी होगी। रेलवे ने उन गाइडलाइन्स में साफ कहा कि रेल किराए का बोझ राज्य वहन करेंगे और वह ये किराया यात्रियों से वसूल कर के रेलवे को सौंपेंगे। यहां से ही शुरू हुआ केंद्र सरकार की आलोचनाओं का दौर, अब इस पूरे मामले में केंद्र सरकार को खुद ही सामने आकर बोलना पड़ा।
इस मामले में केंद्र सरकार आधिकारिक रूप से कुछ कहने से बच रही है। उसके सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकारों ने रेलवे को ऐसे लोगों की सूची दी थी जो फंसे हुए हैं और जिन्हें अपने राज्यों के लिए सफर करना था। राज्य सरकारों की इस लिस्ट के आधार पर स्पेशल ट्रेन की व्यवस्था की गई।
रेलवे इस पूरी यात्रा का 85 फीसदी खर्च उठा रहा है। राज्य सरकारों को इस यात्रा खर्च का बचा हुआ 15 फीसदी भुगतान करना है। बीजेपी भी केंद्र और राज्य सरकार की भागीदारी का जिक्र कर ही कांग्रेस पर पलटवार कर रही है। बीजेपी प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्वीट कर कांग्रेस नेता राहुल गांधी को जवाब देते हुये किसी भी स्टेशन पर टिकट न बेचे जाने की गृह मंत्रालय की गाइडलाइन का हवाला दिया है।
हालांकि, आरोप-प्रत्यारोप के बीच भी अब तक ये साफ नहीं है कि जिन 15 फीसदी किराये की बात हो रही है वो सामान्य किराये की तुलना में कितना कम है क्योंकि रेलवे ने जो खर्च जोड़ा है उसमें ट्रेन के खर्च से लेकर सोशल डिस्टेंसिंग, खाने-पीने और स्क्रीनिंग की व्यवस्था और ट्रेन के खाली लौटने से होने वाला खर्च भी शामिल होने की बात भी कही जा रही है।
न तो रेलवे ना ही केंद्र सरकार के किसी मंत्री ने ये सोचा कि जो मजदूर पहले से ही सरकारी सहायता के तहत खाना खा रहे हैं, वह किराए के पैसे कहां से लाएंगे। वैसे भी श्रमिक ट्रेन कमाई करने के लिए नहीं, बल्कि बचाव और राहत कार्य के लिए चलाई जा रही हैं।
कांग्रेस ने केंद्र को तुरंत घेरा
केंद्र सरकार ने कांग्रेस को रेल किराए पर राजनीति करने का मौका दे दिया, इस पर सोनिया गांधी ने तुरंत आलोचना करनी शुरू कर दी। उन्होंने कहा कि जो मजदूर देश की रीढ़ हैं, इस मुश्किल घड़ी में उन्हें हर मदद दी जानी चाहिए, इसलिए कांग्रेस ने फैसला किया है कि मजदूरों का रेल किराया कांग्रेस वहन करेगी। इससे पहले राहुल गांधी ने केंद्र सरकार पर सवाल भी उठाया कि जब गुजरात में एक कार्यक्रम के लिए सरकार 100 करोड़ रुपये ट्रांसपोर्ट और खाने के नाम पर खर्च कर सकती है, रेलवे 151 करोड़ रुपए पीएम कोरोना फंड में दे सकती है तो मजदूरों के मुफ्त रेलयात्रा क्यों नहीं करा सकती?
बीजेपी नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने की आलोचना
सोनिया गांधी के विरोध के बाद भाजपा नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने भी मोदी सरकार की आलोचना की। उन्होंने कहा कि यह सरकार की कैसी संवेदनहीनता है कि भूखे-प्यासे प्रवासी मजदूरों से रेल किराया वसूल रही है। जो भारतीय विदेशों में फंसे थे उन्हें फ्लाइट से मुफ्त में वापस लाया गया। अगर रेलवे अपने फैसले से नहीं हटती है तो पीएम केयर्स के पैसे का इस्तेमाल क्यों नहीं किया जा रहा है?
बीजेपी ने दी सफाई
रेल किराए को लेकर मोदी सरकार की खूब आलोचना हुई। इस वजह से बीजेपी को खुद मैदान में कूदना पड़ा। इस बात को साफ किया गया कि रेलवे ने प्रवासी मजदूरों के लिए चलाई जा रही स्पेशल ट्रेन के किराए का 85 फीसदी देने का फैसला किया है और 15 फीसदी राज्यों से वसूला जाएगा, जो मानक किराया होगा।
बीजेपी के आईटी सेल हेड अमित मालवीय ने ट्वीट कर कहा कि गृह मंत्रालय की गाइडलाइन में स्पष्ट है कि स्टेशनों पर कोई टिकट नहीं बिकेगा। रेलवे 85 प्रतिशत सब्सिडी दे रही है तो 15 प्रतिशत खर्च राज्य सरकार वहन करेगी। प्रवासी मजदूरों को कोई पैसा नहीं देना है। सोनिया गांधी क्यों नहीं कांग्रेस शासित प्रदेशों को खर्च उठाने के लिए कहतीं।
बिहार-एमपी भी किराया देने के मामले में कूदे
रेल किराए पर हो रही राजनीति के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान भी इसमें कूद गए। उन्होंने कहा है कि किसी भी मजदूर को रेल किराया देने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा कि मैं बिहार के लोगों को वापस भेजने के सुझाव पर विचार करने के लिए केंद्र को धन्यवाद देना चाहता हूं। अन्य राज्यों में फंसे बिहार के लोगों को वापस बिहार भेजने के लिए केंद्र को शुक्रिया।
किसी को भी टिकट के लिए भुगतान नहीं करना पड़ेगा। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान ने भी ट्वीट कर के कहा है कि किसी भी मजदूर से ट्रेन में किराया नहीं लिया जाएगा। मजदूरों का लाना का किराया खुद मध्य प्रदेश सरकार वहन करेगी।
पूर्व सीएम अखिलेश भी बोले
यूपी के पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने भी केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा ट्रेन से वापस घर ले जाए जा रहे गरीब, बेबस मजदूरों से बीजेपी सरकार द्वारा पैसा लिया जाना बेहद शर्मनाक है। साथ ही ये तंज भी कसा कि पूंजीपतियों का अरबों माफ करने वाली बीजेपी सरकार अमीरों के साथ है और गरीबों के खिलाफ।
लेफ्ट नेता सीताराम येचुरी ने भी मोदी सरकार को घेरा है। उन्होंने कहा है कि जो मजदूर पिछले दो महीनों से कुछ कमाई नहीं कर पा रहे हैं उन्हें ट्रेन टिकट का खर्च उठाने को कहा जा रहा है। जब केंद्र की ओर से कोई मदद ही नहीं मिल रही है तो राज्य सरकारें भी इस खर्च को कैसे उठाएंगी।