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Kargil Vijay Diwas 2020: कारगिल युद्ध के बाद दुश्मनों से निपटने की तैयारी पक्की

Kargil Vijay Diwas 2020 सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर देवेंद्र कुमार ने बताया कि अब बालाकोट के बाद यह तय हो गया कि दुश्मन को उसके घर में घुसकर मारा जा सकता है। सेना को अब खुली छूट है।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Published: Fri, 24 Jul 2020 12:24 PM (IST)Updated: Fri, 24 Jul 2020 12:24 PM (IST)
Kargil Vijay Diwas 2020: कारगिल युद्ध के बाद दुश्मनों से निपटने की तैयारी पक्की
Kargil Vijay Diwas 2020: कारगिल युद्ध के बाद दुश्मनों से निपटने की तैयारी पक्की

नई दिल्ली, जेएनएन। कारगिल युद्ध के बाद भारत ने अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत किया है। कारगिल युद्ध में पाकिस्तानी सेना के घुसपैठिए छुपते-छिपाते ऊंची चोटियों पर काबिज हो गए थे, हालांकि अब ऐसी किसी भी स्थिति का बनना ही लगभग असंभव है। दूसरी ओर, यदि किसी तरह ऐसी स्थिति बन भी जाती है तो भारतीय सेना के लिए इससे निपटना बड़ी चुनौती नहीं होगी। दो दशकों में भारत ने सीमा पर सेना की तैनाती को बढ़ाया है।

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भारतीय सेना इस दुर्गम पहाड़ी इलाके में दुश्मन पर नजर रखने के लिए उन्नत उपकरणों से लैस है। साथ ही कम समय में भारी सैन्य साजो सामान सीमा पर पहुंचाया जा सकता है। इसके साथ ही अत्याधुनिक हथियारों को किसी भी अप्रिय स्थिति से निपटने के लिए तैनात किया गया है। आइए जानते हैं कि कारगिल युद्ध के बाद भारत की रक्षा तैयारियों में क्या परिवर्तन आया और कैसे वह दुश्मन को मुंहतोड़ जवाब देने में सक्षम है।

ये है आज की तस्वीर: 1999 में कारगिल युद्ध के वक्त लद्दाख में जोजीला से लेह तक 300 किलोमीटर नियंत्रण रेखा की सुरक्षा के लिए महज एक ब्रिगेड थी। अब लद्दाख में सेना की चौदह कोर की तीन डिवीजन तैनात हैं। सेना ने अपने बेड़े में कई आधुनिक हथियार शामिल करने के साथ वायुसेना ने भी लद्दाख में पांव पक्के कर लिए हैं। वायुसेना अब चंद मिनटों में पूरा युद्धक साजो-सामान लद्दाख पहुंचाने में सक्षम है। अब दुश्मन की हर हरकत पर नजर रखने के लिए बेहतर राडार, यूएवी (मानव रहित विमान) और आधुनिक निगरानी यंत्र हैं।

अत्याधुनिक हथियारों की तैनाती: कारगिल विजय दिवस के आसपास वायुसेना को छह राफेल मिल जाएंगे जो चीन और पाकिस्तान को उनकी हद में समेट देंगे। लद्दाख में भारतीय सेना ने आधुनिक एम777 होवित्जर तोपों को तैनात किया है। यह तोपें एक मिनट में पांच गोले दाग सकती है। सेना के बेड़े में बोफोर्स तोप के नाम से मशहूर 155 एमएम की एफएच-77 होवित्जर तोपों की जगह ले रही 155 एमएम की आधुनिक एम777 होवित्जर तोपें, पुरानी तोपों से 41 फीसद हल्की हैं। इन्हें दुर्गम क्षेत्रों में एक स्थान से दूसरे स्थान आसानी से ले जाया जा सकता है।

त्वरित संयुक्त प्रहार संभव: कारगिल युद्ध में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की जरूरत महसूस हुई थी। युद्ध के बाद कारगिल रिव्यू कमेटी ने सशस्त्र सेनाओं में बेहतर समन्वय के लिए चीफ आफ डिफेंस स्टाफ के गठन का सुझाव दिया था। इसके साथ दुश्मन की बेहतर निगरानी, आधुनिक हथियारों, जवानों की तैनाती बढ़ाने के साथ सड़कों, पुल बनाकर सेना के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने के सुझाव दिए गए थे। कारगिल के 21 साल बाद इन सुझावों पर अमल करने से सेना रणनीतिक रूप से मजबूत हुई।

सेवानिवृत्त ब्रिगेडियर देवेंद्र कुमार ने बताया कि अब हालात बदल चुके हैं। सेना हर तरह से दुश्मन को मात देने में सक्षम है। पाकिस्तान अब कारगिल जैसी गुस्ताखी करने में सक्षम नहीं है। विपरीत हालात में भी चोटियों पर भारतीय सैनिक जोश के साथ मोर्चा संभाले हैं। इसके साथ अब कारगिल में घुसपैठ के रास्तों पर भी सेना का कड़ा बंदोबस्त है। सबसे अधिक महत्वपूर्ण सेना और वायुसेना का बुलंद हौसला है। जब हमने युद्ध लड़ा था तो सेना, वायुसेना को सख्त हिदायत दी कि किसी भी हाल में नियंत्रण रेखा को पार नहीं करना है। अब बालाकोट के बाद यह तय हो गया कि दुश्मन को उसके घर में घुसकर मारा जा सकता है। सेना को अब खुली छूट है।


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