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जून के बाद भारत में बन सकती हैं अमेरिका व यूरोप की वैक्सीन, डब्ल्यूटीओ की बैठक में लगेगी अंतिम मुहर

इस फैसले के बाद फाइजर माडर्ना जैसी कई वैक्सीन भारत में काफी कम कीमत पर उपलब्ध हो सकती हैं क्योंकि भारत में वैक्सीन उत्पादन की क्षमता पहले से स्थापित है और कोरोना वैक्सीन के अलावा अन्य प्रकार की 60 फीसद वैक्सीन भारत में ही बनती हैं।

By Dhyanendra Singh ChauhanEdited By: Published: Thu, 06 May 2021 07:57 PM (IST)Updated: Thu, 06 May 2021 08:12 PM (IST)
जून के बाद भारत में बन सकती हैं अमेरिका व यूरोप की वैक्सीन, डब्ल्यूटीओ की बैठक में लगेगी अंतिम मुहर
भारत में काफी सस्ते दामों पर उपलब्ध हो सकती हैं ये वैक्सीन

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। अगले कुछ महीनों में विश्वस्तर की कई कोरोना वैक्सीन भारत में काफी सस्ते दामों पर उपलब्ध हो सकती हैं। इससे भारत में कम समय में टीकाकरण अभियान पूरा करने के साथ ही देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) को बचाने में मदद मिलेगी। वैक्सीन उत्पादन के लिए बौद्धिक संपदा अधिकार में छूट देने को लेकर भारत का प्रयास रंग लाता दिख रहा है। हालांकि यह सब जून के बाद ही संभव हो सकता है।

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जानकारों के मुताबिक, वैश्विक जीडीपी और विश्व व्यापार को बचाने के लिए सस्ते दामों पर वैक्सीन की उपलब्धता की जरूरत है और यह तभी संभव है जब किसी भी देश को वैक्सीन बनाने की छूट हो। विदेशी अखबारों के मुताबिक, यूरोपीय यूनियन (ईयू) और रूस भी वैक्सीन उत्पादन से जुड़े बौद्धिक संपदा अधिकार को खत्म करने के मसले पर बातचीत के लिए राजी हो गए हैं। मई मध्य में विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) की एक अनौपचारिक बैठक में इस मुद्दे पर सहमति बन सकती है और जून में होने वाली डब्लूटीओ की अगली बैठक में वैक्सीन उत्पादन से जुड़े बौद्धिक संपदा अधिकार में छूट पर मुहर लग सकती है।

भारत में काफी कम कीमत पर उपलब्ध हो सकती हैं ये वैक्सीन

इस फैसले के बाद फाइजर, माडर्ना जैसी कई वैक्सीन भारत में काफी कम कीमत पर उपलब्ध हो सकती हैं क्योंकि भारत में वैक्सीन उत्पादन की क्षमता पहले से स्थापित है और कोरोना वैक्सीन के अलावा अन्य प्रकार की 60 फीसद वैक्सीन भारत में ही बनती हैं। जानकारों का कहना है कि डब्ल्यूटीओ की तरफ से बौद्धिक संपदा अधिकार में छूट मिल भी जाती है तो भारत में उन वैक्सीन का उत्पादन शुरू होने में दो महीने लग जाएंगे।

पेटेंट कानून के विशेषज्ञ और अधिवक्ता अंश सिंह लूथरा कहते हैं, 'भारत के समर्थन में अमेरिका और यूरोप इसलिए भी आ रहे हैं क्योंकि उन्हें अपने देश के नागरिकों की जान बचाने के लिए भारत को बचाना होगा।' उन्होंने बताया कि अभी इस मामले में कई स्तर की बातचीत होगी, इसलिए भारत को जून के बाद ही कोई लाभ मिल सकता है।


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