एफसीआरए के बाद अब फेमा उल्लंघन के आरोप में फंसा ग्रीन पीस इंडिया
डीडीआइआइपीएल भारत में कोई कारोबार नहीं कर रही है। सिर्फ विदेश से पैसे मंगाकर ग्रीन पीस इंडिया को दिया गया।
नीलू रंजन, नई दिल्ली। गृहमंत्रालय के शिकंजे के बाद भी एनजीओ अपनी हरकतों से बाज नहीं आ रहे हैं। गृहमंत्रालय की ओर से एफसीआरए मान्यता रद्द किये जाने और विदेशी चंदा लेने पर रोक लगाए जाने के बाद ग्रीन पीस इंडिया ने बिचौलिया कंपनी खड़ी कर एफडीआइ के मार्फत विदेशी धन मंगाना शुरू कर दिया। अब ग्रीन पीस इंडिया और उसके लिए एफडीआइ मंगाने वाले डायरेक्ट डायलॉग इनिशिएटिव इंडिया (डीडीआइआइपीएल) के खिलाफ फेमा का शिकंजा कस गया है। ईडी के अनुसार ग्रीन पीस इंडिया के खिलाफ फेमा उल्लंघन के पुख्ता सबूत हैं।
ईडी का दावा एनजीओ के खिलाफ फेमा उल्लंघन के हैं पुख्ता सबूत
दरअसल विदेशी चंदे के दुरुपयोग के आरोप में गृहमंत्रालय ने दो सितंबर 2015 को ग्रीन पीस इंडिया का एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिया था। इसके बाद ग्रीन पीस इंडिया पर विदेशी चंदा लेने पर रोक लग गई थी।
एफसीआरए लाइसेंस रद्द होने के बाद एफडीआइ के मार्फत विदेश धन लाने का आरोप
ईडी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि इसके बाद विदेशी धन लाने के लिए ग्रीन पीस इंडिया ने 19 सितंबर 2016 को डीडीआइआइपीएल नाम की एक कामर्शियल कंपनी पंजीकृत कराई और उसमें एफडीआइ के मार्फत विदेशी धन लाया गया। इस कंपनी में पिछले दो सालों में 29 करोड़ रुपये की एफडीआइ आ चुकी है। जिनमें लगभग आठ करोड़ रुपये की एफडी के अलावा अधिकांश पैसे का उपयोग ग्रीन पीस इंडिया के लिए किया गया है।
फेमा के तहत कार्रवाई करते हुए ईडी ने ग्रीन पीस इंडिया और डीडीआइआइपीएल के दफ्तरों पर छापा मारकर अहम दस्तावेज बरामद कर लिया है।
ईडी के वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार डीडीआइआइपीएल के ग्रीन पीस इंडिया की मुखौटा कंपनी होने के पुख्ता सबूत हैं। दोनों का दफ्तर बेंगलुरू में एक ही जगह है और यहां तक कि रिसेप्शन भी एक ही है। उन्होंने कहा कि ग्रीन पीस इंडिया का एफसीआरए लाइसेंस रद्द होने के बाद उसके कर्मचारियों को धीरे-धीरे डीडीआइआइपीएल में शिफ्ट कर दिया गया। यानी कर्मचारी भले ही डीडीआइआइपीएल के दिखाए गए हों, लेकिन असली काम वे ग्रीन पीस इंडिया के लिए ही कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि इसका सबसे बड़ा सबूत है कि डीडीआइआइपीएल भारत में कोई कारोबार नहीं कर रही है। सिर्फ विदेश से पैसे मंगाकर ग्रीन पीस इंडिया को दिया गया।
एफसीआरए से जुड़े गृहमंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि पिछले चार सालों के दौरान विदेशी चंदे के दुरूपयोग को लेकर हजारों एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस रद्द किये गए हैं। उनके अनुसार एफसीआरए के तहत विदेशी चंदे के उपयोग का स्पष्ट दिशानिर्देश है। इसके तहत जिस उद्देश्य के तहत विदेश चंदा लिया जाता है, उसका उपयोग उसी में किया जाना चाहिए, लेकिन ये एनजीओ विदेशी चंदे का तय उद्देश्य के अलावा दूसरी जगहों पर भी करने के दोषी पाए गए थे।