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एनकाउंटर में मारे जाने के बाद मध्य प्रदेश की सियासत में जिंदा विकास दुबे, उपचुनाव तक रहेगा बरकरार

भाजपा सरकार ने उज्जैन से उसकी गिरफ्तारी का श्रेय लेने की कोशिश क्या की कांग्रेस को इसमें अपनी राजनीति का विकास दिखने लगा। फिर तो शुरू हुई जुबानी जंग रुकने का नाम ही नहीं ले रही।

By Vinay TiwariEdited By: Published: Sun, 12 Jul 2020 01:04 PM (IST)Updated: Sun, 12 Jul 2020 01:04 PM (IST)
एनकाउंटर में मारे जाने के बाद मध्य प्रदेश की सियासत में जिंदा विकास दुबे, उपचुनाव तक रहेगा बरकरार
एनकाउंटर में मारे जाने के बाद मध्य प्रदेश की सियासत में जिंदा विकास दुबे, उपचुनाव तक रहेगा बरकरार

भोपाल [संजय मिश्र]। उत्तर प्रदेश के कुख्यात बदमाश विकास दुबे को कानपुर पुलिस ने एनकाउंटर में शुक्रवार को मार गिराया, लेकिन मध्य प्रदेश की सियासत में वह अब भी जिंदा है। भाजपा सरकार ने उज्जैन से उसकी गिरफ्तारी का श्रेय लेने की कोशिश क्या की, कांग्रेस को इसमें अपनी राजनीति का 'विकास' दिखने लगा। फिर तो शुरू हुई जुबानी जंग रुकने का नाम ही नहीं ले रही। राज्य में 24 सीटों पर होने वाले उपचुनाव तक इसके जारी रहने की उम्मीद बन गई है। 

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कांग्रेस ने संकेत दिया है कि फिलहाल वह इस मुद्दे को गरम रखकर शिवराज सरकार पर प्रहार करती रहेगी। दरअसल आठ पुलिसर्किमयों की हत्या करके कानपुर से फरार विकास दुबे समूचे देश की पुलिस के लिए चुनौती बना था। तमाम घेरेबंदी के बावजूद मध्य प्रदेश में अचानक उसका पहुंच जाना किसी अचंभे से कम नहीं था। किसी ने सोचा भी नहीं था जिस अपराधी को उत्तर प्रदेश की पुलिस हर रास्ते में नजरें गड़ाकर खोज रही थी और जिसके लिए दिल्ली, बिहार, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात सहित तमाम राज्यों में अलर्ट जारी कर दिया गया था, वह आराम से उज्जैन पहुंच जाएगा।

उज्जैन तक पहुंचने में उसकी मदद किसने की? यह सब सामने अभी बाकी है, लेकिन एक बात तो स्पष्ट हो गई कि अनेक दावों के बावजूद पुलिस का खुफिया तंत्र विफल रहा। यह हैरान करने वाली बात है कि दिल्ली, फरीदाबाद से लेकर उज्जैन तक के लंबे रास्ते में किसी की नजर उसके वाहन और उस पर नहीं गई। वह उज्जैन में पकड़ा भी गया तो सीधे पुलिस के हाथ नहीं, बल्कि उन निजी सुरक्षा गार्डों के हाथ, जिनकी ड्यूटी यात्रियों की देखभाल करने और उन्हें रास्ता दिखाने की होती है। जैसे भी हो, वह मध्य प्रदेश पुलिस को मिल क्या गया, एक तरह से राजनीति के विकास की नई इबारत लिखी जाने लगी।

जाहिर है सरकार को इसमें अपनी बहादुरी दिखानी ही थी, इसलिए बिना देर किए राज्य के गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने मोर्चा संभाल लिया। पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने यह जानकारी दी कि उनकी पुलिस ने बहादुरी का परिचय देते हुए उस विकास को गिरफ्तार कर लिया, जो उत्तर प्रदेश, दिल्ली और हरियाणा पुलिस तक से बच निकला। उन्होंने पुलिस इंटेलिजेंस की भी खूब तारीफ की।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने भी पुलिस की पीठ थपथपाई। सत्ता से जुड़े अन्य कई नेताओं ने विकास की गिरफ्तारी पर पुलिस को सम्मानित करने तक की घोषणा कर दी। एक तरह से इसे बड़ी उपलब्धि के रूप में भुनाने में सरकार जुट गई।

ऐसे में कांग्रेस कहां चुप बैठने वाली थी। लंबे समय से सरकार के खिलाफ मुद्दे तलाश रही कांग्रेस ने बिना देर किए सरकार की घेरेबंदी शुरू कर दी। राज्य के गृह मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक पर निजी हमले किए। बिना किसी साक्ष्य गृह मंत्री पर समर्पण की पृष्ठभूमि बनाने तक के आरोप मढ़ दिए गए। सब कुछ ऐसे चला जैसे कांग्रेस को मानो बिना प्रयास के ही एक बड़ा मुद्दा मिल गया।

दिग्विजय सिंह, कमल नाथ सहित कांग्रेस के लगभग सभी नेता समर्पण के मुद्दे पर सरकार को घेरने में एक से बढ़कर एक तीर चला रहे हैं। मतलब साफ है कि वे इस मुद्दे पर मध्य प्रदेश सरकार को किसी तरह की छूट नहीं देना चाहते हैं। वह किसी भी तरह समर्पण का दोष सरकार के माथे मढ़ना चाहते हैं।

कांग्रेस के आरोप-प्रत्यारोप के बीच शुक्रवार को पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने भी एक तरह से सरकार का सिरदर्द बढ़ा दिया। उन्होंने ट्वीट करके विकास दुबे के महाकाल मंदिर तक पहुंच जाने पर सवाल उठाया और यह भी कहा कि वह शिवराज सिंह चौहान से बात करेंगी और पूछेंगी कि वह उज्जैन तक कैसे पहुंचा? वह महाकाल परिसर में कितनी देर रहा? उसको पहचानने में इतना समय कैसे लगा? उमा के सवालों ने कांग्रेस को मौका दे दिया है।

यद्यपि उत्तर प्रदेश पुलिस ने विकास को मारकर इस अध्याय का समापन कर दिया है, लेकिन इस बहाने शुरू हुई मध्य प्रदेश की सियासत थमने का नाम नहीं ले रही है। मध्य प्रदेश में विकास अभी कुछ दिन और जिंदा रहेगा। विधानसभा उपचुनाव में विकास के बहाने पुलिस की विफलता को कांग्रेस मुद्दा बनाने जा रही है। ऐसा संकेत उसके नेताओं के बयानों से साफसाफ मिल रहे हैं। कांग्रेस सवाल उठा रही है कि आठ पुलिस वालों की हत्या करने के बाद फरार विकास को यहां तक आने में मदद करने वाले तो कई मिल गए, पर उसे ढूंढने वाला कोई क्यों नहीं मिला।

मध्य प्रदेश के तीन पूर्व पुलिस महानिदेशक भी इस बात से इत्तेफाक रखते हैं कि जिस तरह वह मंदिर परिसर में आया, वह सामान्य गिरफ्तारी नहीं थी। वह समर्पण जैसा ही था और उसे समर्पण कहना ही उचित है। विपक्ष के हमले से घिरी सरकार भी पूरी आक्रामकता के साथ अपने बचाव में उतर गई है। विकास के एनकाउंटर की सूचना मिलने के बाद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्र एक बार फिर सामने आए।

इस बार उन्होंने कांग्रेस पर तीखा हमला किया और सवाल किया कि कांग्रेस आतंकवादियों के पकड़े जाने पर जब सेना के खिलाफ बोल देती है तो फिर विकास की गिरफ्तारी पर क्यों चुप बैठने वाली है। आरोप-प्रत्यारोप से जाहिर है इस मुद्दे पर मध्य प्रदेश की सियासत कुछ दिन तक गरम रहेगी। (स्थानीय संपादक, नवदुनिया, भोपाल)  


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