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52 साल बाद चीन सीमा तक जाएंगे सैलानी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा से पहले भारत-चीन सीमा पर स्थित उत्तरकाशी जिले (उत्तराखंड) की जाड़ गंगा घाटी में पर्यटक बेरोकटोक आवाजाही कर सकेंगे। 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद से घाटी में मानवीय गतिविधियां सीमित कर दी गई थीं।

By Murari sharanEdited By: Published: Tue, 12 May 2015 06:43 PM (IST)Updated: Tue, 12 May 2015 07:30 PM (IST)
52 साल बाद चीन सीमा तक जाएंगे सैलानी

जागरण संवाददाता, उत्तरकाशी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चीन यात्रा से पहले भारत-चीन सीमा पर स्थित उत्तरकाशी जिले (उत्तराखंड) की जाड़ गंगा घाटी में पर्यटक बेरोकटोक आवाजाही कर सकेंगे। 1962 में भारत-चीन युद्ध के बाद से घाटी में मानवीय गतिविधियां सीमित कर दी गई थीं।

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मंगलवार को उत्तराखंड के वन मंत्री दिनेश अग्रवाल ने 11 पर्यटकों के एक दल को घाटी के लिए रवाना किया। ये पर्यटक समुद्र तल से साढ़े तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर स्थित सड़क से 27 किलोमीटर की यात्रा के बाद नेलांग पहुंचे और शाम को लौट आए। अभी यहां रात्रि विश्राम की अनुमति नहीं है।

उत्तरकाशी से 90 किलोमीटर दूर स्थित भैरोघाटी में आयोजित समारोह में अग्रवाल ने कहा कि यह पहल उत्तराखंड के पर्यटन में मील का पत्थर साबित होगी। उच्च हिमालयी क्षेत्र में भारत-चीन सीमा पर पसरा सन्नाटा अब सैलानियों की चहलकदमी से गुलजार हो जाएगा। भारत-चीन युद्ध के बाद यहां रहने वाले जाड़ जनजाति के लोगों को विस्थापित कर दिया गया था। उत्तरकाशी के जिलाधिकारी इंदुधर बौड़ाई ने बताया कि उस वक्त सुरक्षा की दृष्टि से यह फैसला किया गया था।

डीएम के अनुसार 80 के दशक में गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क के अस्तित्व में आने के बाद पार्क के कानून भी लागू हो गए। इसके बाद यहां मानवीय गतिविधियां खासी सीमित हो गई। पिछले दिनों पर्यटन के मद्देनजर उत्तराखंड सरकार की पहल पर केंद्र सरकार ने वन विभाग को घाटी में पर्यटन की अनुमति दी। अब गंगोत्री राष्ट्रीय पार्क में पड़ने वाली जाड़ गंगा घाटी की सैर के लिए सैलानियों को पार्क प्रशासन से अनुमति मिलेगी।

नेलांग तक के सफर के लिए भारतीयों से 150 रुपये और विदेशियों से 600 रुपये प्रति व्यक्ति बतौर शुल्क लिया जाएगा। नेलांग से आगे जाने की मनाही है। यहां से सेना और भारत-तिब्बत सीमा पुलिस की अग्रिम चौकियां शुरू हो जाती हैं।


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