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Afghan crisis: रूस से बातचीत में भारत ने दो टूक कहा, तालिबान को लेकर पाकिस्तान की भी तय हो जिम्मेदारी

Afghanistan Crisis तालिबान के सत्ता पर कब्जा करने के बाद अजित डोभाल और पत्रुशेव की बातचीत में भारत रूस और मध्य एशियाई क्षेत्र के लिए सुरक्षा स्थि‍तियों पर बातचीत की क्योंकि अफगानिस्‍तान में युद्ध के दौरान जैश-ए-मुहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा सहित कई खूंखार आतंकवादी समूहों की युद्ध में मजबूत उपस्थिति थी।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Wed, 08 Sep 2021 05:50 PM (IST)Updated: Thu, 09 Sep 2021 04:42 AM (IST)
Afghan crisis: रूस से बातचीत में भारत ने दो टूक कहा, तालिबान को लेकर पाकिस्तान की भी तय हो जिम्मेदारी
एनएसए अजित डोभाल रूसी समकक्ष जनरल निकोले पेत्रुशेव

नई दिल्ली, जागरण ब्यूरो। अफगानिस्तान पर कब्जा जमाने के बाद तालिबान ने वहां सरकार चलाने को लेकर वैश्विक विरादरी से जो वादा किया है अगर उस पर वह खरा नहीं उतरता है तो इसके काफी दूरगामी असर होंगे। यही नहीं, पाकिस्तान को भी अपनी जिम्मेदारी निभानी होगी कि अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल किसी दूसरे देश में आतंकवादी वारदातों को बढ़ावा देने के लिए ना हो। यह बात भारत ने पिछले कुछ दिनों के दौरान ब्रिटेन, अमेरिका और रूस को साफ तौर पर बताया है।

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अफगानिस्तान को लेकर वैश्विक शक्तियों के समक्ष भारत की दो टूक

भारत के दौरे पर पहुंचे रूसी सुरक्षा परिषद के सचिव जनरल निकोले पेत्रुशेव ने बुधवार को पीएम नरेंद्र मोदी और विदेश मंत्री एस जयशंकर से अलग से मुलाकात की। इसके अलावा रूसी दल और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) अजीत डोभाल के नेतृत्व में भारतीय दल की बैठक हुई। इन सभी बैठकों में भारत ने बगैर किसी लाग लपेट के यह बताया कि अफगानिस्तान के हालात सीधे तौर पर उसकी सुरक्षा से जुड़े हैं, लिहाजा वह हर सतर्कता बरतेगा।

सीआइए प्रमुख जा सकते हैं अफगानिस्तान और पाकिस्तान

अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआइए के प्रमुख विलियम ब‌र्न्स के साथ मंगलवार को बैठक में भी डोभाल ने भारत का यही रख रखा था। रूस और अमेरिका के वरिष्ठ सुरक्षा अधिकारियों की यात्रा से पहले माना जा रहा है कि ब्रिटेन की खुफिया एजेंसी एमआइ के प्रमुख ने भी हाल ही में भारत की गोपनीय यात्रा की थी। सरकार की तरफ से आधिकारिक तौर पर ब‌र्न्स और एमआइ प्रमुख की यात्राओं के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई है। सीआइए प्रमुख के बुधवार को अफगानिस्तान व पाकिस्तान जाने की भी अपुष्ट खबरें हैं।

भारत सीधे अमेरिका, रूस व दूसरे देशों के साथ संपर्क में

सूत्रों का कहना है कि अफगानिस्तान के हालात पर भारत सीधे तौर पर कई स्तरों पर अमेरिका, रूस व दूसरे देशों के साथ संपर्क में है। इन देशों को भारत यह भी बता रहा है कि तालिबान को पाकिस्तान से अलग करके नहीं देखा जा सकता। तालिबान की सत्ता आने के बाद पाकिस्तान की यह खास तौर पर जिम्मेदारी है कि वह अफगानिस्तान को आतंकवाद का गढ़ नहीं बनने दे। तालिबान को एक समग्र व आतंकवादी गतिविधियों पर रोक लगाने वाले सत्ता के तौर पर प्रोत्साहित करने की जिम्मेदारी सभी की है लेकिन तालिबान की तरफ से अभी तक इस बारे में साफ संकेत नहीं दिया गया है। खास तौर पर मंगलवार को जिस तरह की सरकार का गठन किया गया है वह ज्यादा चिंता की बात है।

तालिबान की नीतियों पर गंभीर चर्चा

पेत्रुशेव और डोभाल के बीच हुई बैठक में तालिबान व उसकी नीतियों का मुद्दा ही सबसे अहम रहा। भारत व रूस का मानना है कि तालिबान को कोई भी ऐसा कदम नहीं उठाना चाहिए, जिससे उसके किसी भी पड़ोसी देश में आतंकवादी गतिविधियों को बढ़ावा मिले। भारत या मध्य एशियाई देशों में इस्लामिक कट्टरता को बढ़ावा देने या आतंकी संगठनों को प्रशिक्षण व हथियार देने को लेकर भी तालिबान को स्पष्ट तौर पर रोक लगाने का संकेत देना होगा। रूस की तरफ से बताया गया है कि मोदी और पेत्रुशेव के बीच अफगानिस्तान के संदर्भ में बात हुई और दोनों ने महसूस किया कि अपने राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए भारत और रूस को आपसी संबंधों को और मजबूत करने की जरूरत है। 


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