हलफनामा मामला: सुप्रीम कोर्ट ने फडणवीस की पुनर्विचार याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा
फडणवीस का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि पीठ को 1 अक्टूबर 2019 के फैसले की फिर से जांच करने की आवश्यकता है।
नई दिल्ली, पीटीआइ। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की याचिका पर अपना फैसला सुरक्षित रख लिया, जिसमें 2019 के फैसले की समीक्षा करने की मांग की गई थी, जिसमें भाजपा नेता को 2014 के चुनावी हलफनामे में उनके खिलाफ लंबित आपराधिक मामलों की जानकारी ना देने के लिए मुकदमा चलाने के लिए कहा गया था। फडणवीस का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ को बताया कि शीर्ष अदालत को 1 अक्टूबर, 2019 के फैसले की फिर से जांच करने की आवश्यकता है।
पिछले साल के अपने फैसले में, शीर्ष अदालत ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को अलग कर दिया था जिसमें फडणवीस को क्लीन चिट दे दी थी और यह माना था कि उनका अपराध ऐसा नहीं है जो जन प्रतिनिधित्व कानून (आरपीए) के तहत आए। बता दें कि देवेंद्र फडणवीस पर चुनावी हलफनामे में दो आपराधिक मामलों की जानकारी छिपाने का आरोप है।
रोहतगी द्वारा अनुच्छेद 21 का जिक्र करते हुए कहा गया कि यह एक ऐसा मामला है, जिस पर फिर से विचार करने की आवश्यकता है। बता दें कि फडणवीस के खिलाफ इस मामले ने तेजी तब पकड़ी जब महाराष्ट्र में शिवसेना के नेतृत्व वाली नई सरकार ने शपथ ली। फडणवीस नागपुर से विधायक हैं।
मजिस्ट्रेट अदालत ने 1 नवंबर को एक आवेदन पर सुनवाई की थी, जिसमें कथित रूप से खुलासा न करने के लिए भाजपा नेता के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही की मांग की गई थी। शहर के वकील सतीश उके ने अदालत में एक आवेदन दायर कर मांग की थी कि फडणवीस के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही शुरू की जाए।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने निचली अदालत के पहले के आदेश पर उके की याचिका को खारिज कर दिया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने 1 अक्टूबर को मजिस्ट्रेट की अदालत को उके द्वारा दायर आवेदन के साथ आगे बढ़ने का निर्देश दिया। 4 नवंबर को मजिस्ट्रेट की अदालत ने कहा कि इस मामले को आपराधिक मामले के रूप में रखा जाएगा और नोटिस जारी किया जाएगा।
बता दें कि 1996 और 1998 में फडणवीस के खिलाफ धोखाधड़ी और जालसाजी के मामले दर्ज किए गए थे, लेकिन दोनों मामलों में आरोप तय नहीं हुए थे। उके ने आरोप लगाया कि फडणवीस ने अपने चुनावी हलफनामों में इस जानकारी का खुलासा नहीं किया।