फारस की खाड़ी में सैन्य मौजूदगी दर्ज कराएगा भारत
सुन्नी बहुल अरब देशों और शिया बहुल इरान के साथ संबंधों में बेहतर संतुलन साधने के नजरिए से तीन मई को भारतीय नौसेना की एक पूरी पलटन फारस की खाड़ी जाएगी। भारतीय नौसेना आइएनएस दिल्ली , आइएनएस गंगा, आइएनएस तर्कश, आइएनएस त्रिखंड, आइएनएस दीपक को रवाना करेगी।
नई दिल्ली। खाड़ी देशों के साथ आर्थिक संबंधों को एक नई दिशा देने के बाद केंद्र सरकार सामरिक संबंधों को और मजबूत बनाने की दिशा में काम कर रही है। सुन्नी बहुल अरब देशों और शिया बहुल इरान के साथ संबंधों में बेहतर संतुलन साधने के नजरिए से तीन मई को भारतीय नौसेना की एक पूरी पलटन फारस की खाड़ी जाएगी। भारतीय नौसेना, आइएनएस दिल्ली , आइएनएस गंगा, आइएनएस तर्कश, आइएनएस त्रिखंड, आइएनएस दीपक को रवाना करेगी।
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तीन दिनों तक दुबई में रुकने के बाद 12 मई के आसपास नौसेना की पलटन कुवैत जाएगी। उसके बाद मनामा(बहरीन) और मस्कट के लिए रवाना होगी। ठीक उसी समय भारतीय नौसेना की एक और पलटन इरान के बंदर अब्बास पोर्ट पर मौजूद रहेगी। नौसेना की पूरी पलटन करीब 20 दिनों तक फारस की खाड़ी में रहेगी और उसके बाद स्वदेश रवाना होगी।
इसके अलावा मई के महीने में रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ओमान में रहेंगे। ये दौरा इस लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अमेरिका के अलास्का में 28 अप्रैल से 13 मई तक रेड फ्लैग अभ्यास में शिरकत करने वाले भारतीय वायुसेनाा के जहाज दुबई की धरती पर भी उतरेंगे।
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अंग्रेजी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक भारतीय नौसेना के इस दौरे के कई मतलब हैं। बताया जा रहा है कि भारत सरकार फारस की खाड़ी से लेकर मलक्कन स्ट्रेट तक अपनी मौजूदगी से ये बताने का प्रयास कर रहा है कि खाड़ी देशों के आसपास के देशों से उसके बेहतर रिश्ते हैं इसके अलावा चीन और अमेरिका को भी ये संदेश देने की कोशिश है कि भारत भी शक्ति संतुलन स्थापित करने में एक बेहतर दावेदार है।
इसके अलावा पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट के विकास में चीनी भागीदारी भारत के लिए चिंता का विषय है। भारत सरकार ने ग्वादर पोर्ट से संभावित खतरों से निपटने के लिए इरान के चा-बहार पोर्ट के विकास में रुचि दिखा रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक ग्वादर पोर्ट के जरिए चीन भारत के लिए मुश्किल खड़़ा कर सकता है। उस लिहाज से चा-बहार और खाड़ी के इलाकों में भारत की मौजूदगी बेहद अहम है।