नियमित दिनचर्या में शामिल करें योग और ध्यान, रहेंगे स्वस्थ और प्रसन्न, जानें कैसे
आज की भागमभाग दौड़ भरी जिंदगी में हमें अपने शरीर को स्वस्थ रखने के लिए समय ही नहीं मिल पाता है। ऐसे में थोड़े समय योग करके हम अपने को स्वस्थ रख सकते हैं।
[सीमा झा]। आइटी पेशेवर सुशांत गत दो माह से खुद में बड़ा बदलाव महसूस कर रहे हैं। पहले नींद की समस्या तो थी ही, तमाम सुख- सुविधाओं के बाद भी उनका मन उचाट हो गया था। झल्लाहट और घबराहट रहती थी। सुबह की ताजगी क्या होती है, यह भूल चुके थे वे। दफ्तर के कामों में दिन गुजारना और शाम लौटते ही घर, बस इसी में गुजर रही थी उनकी जिंदगी। फिर एक दिन टीवी पर किसी योग विशेषज्ञ को देखा और सुना कि योग से ऐसी मन:स्थिति पर काबू पाना सरल है तो वे सक्रिय हो गए। खुद योग करना शुरू किया लेकिन बड़ी चुनौती नियमित रूप योग करने की थी। योग विशेषज्ञ की मदद से यह आसान हो गया। अब उनकी नियमित दिनचर्या में शामिल हो गया है योग और ध्यान। आज वे अपने उद्धारक खुद बन गए हैं।
दवा से मिलेगा छुटकारा
डॉ. पंकज कुमार झा, न्यूरो सर्जन, दिल्ली का कहना है कि यह सच है कि सुविधाएं आपको स्वस्थ नहीं बना सकतीं। आज लोग दवाओं के सेवन से आजिज आ चुके हैं। दरअसल, दवाएं अक्सर आपको पूर्णतया ठीक नहीं करतीं बल्कि तात्कालिक उपचार भर करने में मदद करती हैं। यकीनन दवा के बिना भी स्वस्थ जीवन बिता सकते हैं। यह सुनने में अजीब बात लग सकती है पर ऐसा हो रहा है। दुनिया के बड़े चिकित्सक, शोध संस्थान भी यह मान रहे हैं कि विचारों को सकारात्मक दिशा देकर स्वास्थ्य में बड़ा बदलाव किया जा सकता है जो कि योग और ध्यान से संभव है। यदि योग करते हैं तो आप महसूस कर सकते हैं कि महज अपनी सांस पर ध्यान केंद्रित करने से यानी प्राणायाम करने से शरीर का दर्द भी दूर हो जाता है। अगर दर्द भी रहता है वह सामान्य होता जा रहा है। यदि योग नियमित करते रहें तो आप पाएंगे कि एक दिन तनाव पैदा करने वाले रोजमर्रा के कारक खुद-ब-खुद आपसे दूर जाने लगे हैं।
योग जीवन है दवा नहीं
बीके ईवी गिरीश, राजयोग प्रशिक्षक, ब्रह्माकुमारी, मुंबई का कहना है कि आज के समय में अजीब स्थिति है। हर चीज एक क्लिक में पा लेने की प्रवृत्ति बढ़ती जा रही है। पैदा होते ही सिखाया जाता है कि जल्दी सो जाओ, फटाफट खाना, फटाफट तैयार हो जाओ, जल्दी नहा लो। शिक्षा भी जल्दी, नौकरी, शादी और निवेश की जल्दी लेकिन फिर भी संतुष्टि नहीं केवल तनाव। दरअसल, हमें यह समझना है कि प्रकृति की अपनी एक मर्यादा है।आपकी मर्जी से वह नहीं चल सकती। वास्तव में तमाम तरह की बीमारियां जैसे अवसाद (डिप्रेशन) वर्षों की लापरवाही के बाद ही पैदा हुई है। इसलिए उन्हें ठीक होने में भी लंबा वक्त चाहिए, लेकिन लोग योग को भी दवा मानकर इसे करते हैं। खुद पहल नहीं करते। जब मेडिकल रिपोर्ट डराती है, डॉक्टर सलाह देते हैं तो झट से शुरू करना चाहते हैं। याद रहे, योग दवा की तरह काम नहीं करता। यह आपके जीवन में बदलाव लाता है। मन को शांत कर सरल बनाता है ताकि आप विपरीत परिस्थितियों में भी संयमित रह सकें।
मुक्ति पाएं गैजेट्स की गिरफ्त से
डॉ. नेहा दत्ता, साइकोलॉजिस्ट, धर्मशिला नारायणा सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली बताती हैं कि तनाव की स्थिति में सांसें धीरे या तेज हो जाती हैं। कभी रुक- रुक कर चलती हैं। जो चीज संभव नहीं या जो नियंत्रण में नहीं, आपका दिमाग उस पर टिक जाता है। यही तनाव, चिंता के कारण हैं। योग से इस स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सकता है। योग करते हुए एंडॉर्फिन यानी प्रसन्नता उत्पन्न करने वाले हार्मोन का स्राव होता है। इन दिनों अनेक लोग योग करने के बजाय खुद को विभिन्न हेल्थ गैजेट्स के हवाले कर रहे हैं। हमारे पास ऐसे कई मरीज आते हैं जो इस तरह की दिक्कतें बताते हैं। जब उन्हें काउंसलिंग के दौरान प्राणायाम कराते हैं तब उन्हें काफी राहत महसूस होती है डिप्रेशन की गंभीरता कम करता है योग।
ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एम्स), नई दिल्ली की एक रिपोर्ट के अनुसार, योग मस्तिष्क में कुछ रसायनों के स्तर को बढ़ाकर अवसाद की गंभीरता को कम करने में मदद करता है। योग से तनाव पैदा करने वाले हार्मोन कॉर्टिसोल में कमी होती है। तनाव बढ़ाने वाले हार्मोन और मस्तिष्क में सूजन बढ़ाने वाले अणुओं का स्तर कम हो जाता है। दवाएं और मनोवैज्ञानिक उपचार पद्धतियां अवसाद को ठीक करने के लिए एक तरीका हो सकती है लेकिन योग उनमें सबसे बेहतर उपाय है।
आसन वही जो आसान हो
योगाचार्य राजरानी चौहान निशा, नेचुरोपैथ, योग प्रशिक्षक, विवेकानंद अस्पताल, योगाश्रम, दिल्ली का कहना है कि एक वस्त्र सब पर फिट नहीं हो सकता। योग करते समय भी यही ध्यान रखें। यदि आपको किसी तरह की शारीरिक परेशानी है, हाई बीपी या हाइपरटेंशन आदि की शिकायत है , तो आप किसी प्रशिक्षित योग विशेषज्ञ की निगरानी या निर्देश में रहकर योग करें। ऐसे मरीज को ज्यादा जोर से सांस लेने या छोड़ने आदि को लेकर सतर्क रहना होता है। इसी तरह, पीठ दर्द की समस्या है तो शरीर को मोड़ने या झटके देकर योग करने की प्रक्रिया को छोड़ना ही श्रेयस्कर है। याद रखें, हर आसन अलग है, हर व्यक्ति भी अलग है, उसे उसी अनुसार आसन का चयन करना चाहिए। याद रहे, आसन वही हो, जो आसान हो। आपको कोई दिक्कत न हो। यदि आपको लगता है कि आप कोई खास आसन नहीं कर सकते या आपका शरीर उसके लिए तैयार नहीं तो जबर्दस्ती न करें। शरीर के साथ एक रिश्ता बनाएं, आपको तब उसका प्रभाव भी दिखेगा। अक्सर लोग योग का असर कितने दिन में दिखेगा, जैसे सवाल करते हैं। यह स्वाभाविक है। अगर आप यदि सही तरीके से ओम का उच्चारण भी करें तो आप 10 से 11 दिन बाद बाद ही अच्छा महसूस करने लगेंगे। भ्रस्त्रिका और अनुलोम-विलोम प्राणायाम का प्रभाव 20 से 25 दिनों में दिख जाता है। हालांकि यह व्यक्ति-व्यक्ति पर निर्भर करता है।
योग की परिभाषा
महर्षि पतंजलि ने योग को चित्तवृत्ति निरोध कहा है यानी यदि हम मन की चंचलता या गतिविधियों को स्थिर कर सकते हैं, तो योग की स्थिति को प्राप्त कर सकते।
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